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Special: पटवारियों की हड़ताल ने किसानों को तोड़ा, फसलों की गिरदावरी नहीं होने से नहीं मिल रही MSP - पटवारियों की हड़ताल

पटवारियों की हड़ताल के चलते फसलों की गिरदावरी नहीं हो पा रही है. जबकि, किसानों के खेतों में खड़ी उम्मीदों की फसल कटने को तैयार हैं. कई किसानों ने फसल काटना शुरू भी कर दिया है. गिरदावरी नहीं होने से किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है. देखें ये खास रिपोर्ट

farmers not get msp , online girdawari
पटवारियों की हड़ताल से किसानों को भारी नुकसान
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Published : Mar 14, 2021, 5:32 PM IST

पाली. जिले के किसानों के खेतों में खड़ी उम्मीदों की फसल कटने को तैयार हैं. कई किसानों ने फसल काटना शुरू भी कर दिया है. लेकिन, एक बार फिर से इन किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. इस बार किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है पटवारियों की हड़ताल. पटवारियों की हड़ताल के चलते इन किसानों के खेतों में खड़ी फसलों की गिरदावरी नहीं हो पा रही है. देखें ये खास रिपोर्ट

पटवारियों की हड़ताल से फसलों की गिरदावरी नहीं हो पा रही है...

समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं...

सरकार की ओर से समर्थन मूल्य में खरीदी जाने वाली फसल की जानकारी गिरदावरी नहीं होने के चलते ऑनलाइन नहीं हो पा रही है. ऐसे में किसानों को समर्थन मूल्य में फसल बेचने का मौका नहीं मिल पा रहा. इस मसले को लेकर किसान जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कई बार अवगत करा चुके हैं, लेकिन किसानों की अभी तक अनसुनी हो रही है. किसानों की गिरदावरी नहीं होने से पाली की कृषि उपज मंडी भी पूरी तरह से सुनसान पड़ी है.

एक महीने से हड़ताल पर पटवारी...

बता दें कि पटवारियों पर अतिरिक्त गांव का चार्ज देने के विरोध में और खाली पदों को भरने की मांग को लेकर पिछले 1 माह से पटवारी कार्य बहिष्कार कर रहे हैं. पटवारियों की ओर से जिस गांव में उन्हें नियुक्त किया गया है, वह सिर्फ उसी गांव का कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा जिन गांव का उन्हें अतिरिक्त चार्ज दे रखा है, उन सभी का कार्य उन्होंने करना बंद कर दिया है और उन गांव के संबंधित सभी दस्तावेज भी उन्होंने तहसील कार्यालय में जमा करवा दिया है.

पढ़ें: किसानों पर कहर: खड़ी फसलों को 'खा' गए ओले, तो अतिवृष्टि ने अरमानों पर फेरा पानी...अब मुआवजे की आस

फसल काटने का समय...

पटवारियों की ओर से अतिरिक्त गांव का कार्य नहीं करने के चलते जिन गांव में अब पटवारी नहीं है, उन गांव में किसानों की गिरदावरी नहीं हो पा रही है. रबी की फसल को काटने का समय हो चुका है. कई खेतों में फसल कटना भी शुरू हो चुकी है, लेकिन गिरदावरी नहीं होने के कारण किसान अभी भी अपनी फसलों को काटकर खेतों में ही रख कर अधिकारियों का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उनके खेतों में उपजी फसल की गिरदावरी होने के बाद उन्हें मंडी में समर्थन मूल्य के भाव पर देश सकेंगे, जिससे कि उन्हें बाजारी मूल्य से करीब 1000 प्रति क्विंटल फायदा होगा.

farmers not get msp , online girdawari
फसल काटने का समय...

एक हजार प्रति क्विंटल फायदा...

किसानों ने बताया कि उनके खेतों पर अभी चना और रायडा की फसल निकल रही है. चने की फसल का समर्थन मूल्य इस बार 5085 रुपए सरकार की ओर से तय किया गया है. लेकिन, उनके खेतों की गिरदावरी नहीं होने के कारण मजबूरी में इन किसानों को बाजार में चने को 4000 प्रति क्विंटल से बेचना पड़ रहा है. यही स्थिति किसानों के राइडे की फसल की भी है.

कृषि मंडी पड़ी सुनसान...

बता दें कि रबी की फसल की कटाई के साथ ही उसे समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए जिला मुख्यालय पर कृषि उपज मंडियों में अधिकारियों और किसानों की रेलमपेल शुरू हो जाती है. लेकिन, अभी तक पाली की सभी कृषि उपज मंडी बिना किसानों के पूरी तरह से सुनसान पड़ी है.

पाली. जिले के किसानों के खेतों में खड़ी उम्मीदों की फसल कटने को तैयार हैं. कई किसानों ने फसल काटना शुरू भी कर दिया है. लेकिन, एक बार फिर से इन किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. इस बार किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है पटवारियों की हड़ताल. पटवारियों की हड़ताल के चलते इन किसानों के खेतों में खड़ी फसलों की गिरदावरी नहीं हो पा रही है. देखें ये खास रिपोर्ट

पटवारियों की हड़ताल से फसलों की गिरदावरी नहीं हो पा रही है...

समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं...

सरकार की ओर से समर्थन मूल्य में खरीदी जाने वाली फसल की जानकारी गिरदावरी नहीं होने के चलते ऑनलाइन नहीं हो पा रही है. ऐसे में किसानों को समर्थन मूल्य में फसल बेचने का मौका नहीं मिल पा रहा. इस मसले को लेकर किसान जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कई बार अवगत करा चुके हैं, लेकिन किसानों की अभी तक अनसुनी हो रही है. किसानों की गिरदावरी नहीं होने से पाली की कृषि उपज मंडी भी पूरी तरह से सुनसान पड़ी है.

एक महीने से हड़ताल पर पटवारी...

बता दें कि पटवारियों पर अतिरिक्त गांव का चार्ज देने के विरोध में और खाली पदों को भरने की मांग को लेकर पिछले 1 माह से पटवारी कार्य बहिष्कार कर रहे हैं. पटवारियों की ओर से जिस गांव में उन्हें नियुक्त किया गया है, वह सिर्फ उसी गांव का कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा जिन गांव का उन्हें अतिरिक्त चार्ज दे रखा है, उन सभी का कार्य उन्होंने करना बंद कर दिया है और उन गांव के संबंधित सभी दस्तावेज भी उन्होंने तहसील कार्यालय में जमा करवा दिया है.

पढ़ें: किसानों पर कहर: खड़ी फसलों को 'खा' गए ओले, तो अतिवृष्टि ने अरमानों पर फेरा पानी...अब मुआवजे की आस

फसल काटने का समय...

पटवारियों की ओर से अतिरिक्त गांव का कार्य नहीं करने के चलते जिन गांव में अब पटवारी नहीं है, उन गांव में किसानों की गिरदावरी नहीं हो पा रही है. रबी की फसल को काटने का समय हो चुका है. कई खेतों में फसल कटना भी शुरू हो चुकी है, लेकिन गिरदावरी नहीं होने के कारण किसान अभी भी अपनी फसलों को काटकर खेतों में ही रख कर अधिकारियों का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उनके खेतों में उपजी फसल की गिरदावरी होने के बाद उन्हें मंडी में समर्थन मूल्य के भाव पर देश सकेंगे, जिससे कि उन्हें बाजारी मूल्य से करीब 1000 प्रति क्विंटल फायदा होगा.

farmers not get msp , online girdawari
फसल काटने का समय...

एक हजार प्रति क्विंटल फायदा...

किसानों ने बताया कि उनके खेतों पर अभी चना और रायडा की फसल निकल रही है. चने की फसल का समर्थन मूल्य इस बार 5085 रुपए सरकार की ओर से तय किया गया है. लेकिन, उनके खेतों की गिरदावरी नहीं होने के कारण मजबूरी में इन किसानों को बाजार में चने को 4000 प्रति क्विंटल से बेचना पड़ रहा है. यही स्थिति किसानों के राइडे की फसल की भी है.

कृषि मंडी पड़ी सुनसान...

बता दें कि रबी की फसल की कटाई के साथ ही उसे समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए जिला मुख्यालय पर कृषि उपज मंडियों में अधिकारियों और किसानों की रेलमपेल शुरू हो जाती है. लेकिन, अभी तक पाली की सभी कृषि उपज मंडी बिना किसानों के पूरी तरह से सुनसान पड़ी है.

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