पाली. जिले में कोरोना संक्रमण का खतरा अभी रुकने का नाम नहीं ले रहा है. प्रतिदिन इस संक्रमण के चलते कई लोगों को प्लाज्मा थेरेपी की आवश्यकता पड़ रही है. इस थेरेपी के लिए पाली में किसी भी प्रकार की मशीनरी सुविधाएं नहीं है. इसके चलते हर मरीज को जोधपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. लेकिन इन सभी के बावजूद प्लाज्मा थेरेपी में पाली अपनी भूमिका पूरी तरह से निभा रहा है. जिले में संक्रमित बीमारी से लड़कर स्वस्थ्य होकर लौटे कई लोग प्लाज्मा थेरेपी के लिए जागरूक हुए हैं और इसका असर जिले की मेडिकल कॉलेज में देखने को मिल रहा है.
दरअसल, कई लोगों ने प्लाज्मा थेरेपी के लिए अपनी हामी भरी है और इनमें से 6 लोगों ने अपना प्लाज्मा डोनेट कर लोगों की जान बचाई है. वहीं, पाली मेडिकल कॉलेज की ओर से पिछले 15 दिनों से प्लाज्मा थेरेपी को लेकर अभियान छेड़ा गया है. इस अभियान का नतीजा यह है कि पाली में अब तक 69 लोगों ने किसी भी समय अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए हामी भर दी है. जिले में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के संकट को देखते हुए पाली मेडिकल कॉलेज की ओर से प्लाज्मा थेरेपी को लेकर एक अभियान छेड़ा गया है.
इस अभियान के तहत पाली में कोरोना संक्रमण के गंभीर लक्षण दिखने वाले मरीजों एवं अन्य संक्रमित मरीजों के स्वस्थ्य होकर वापस लौटने के बाद उन्हें अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए अपील की जा रही है. इस अपील का निष्कर्ष निकला है कि कई लोग जागरुक होकर दूसरे लोगों की जान बचाने के लिए अपनी भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं.
पाली मेडिकल कॉलेज की ओर से यह पहला प्रयास 1 सितंबर को किया गया था, उस समय पाली से 9 लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए जोधपुर महात्मा गांधी अस्पताल भेजा गया था. वहां 6 लोगों का प्लाज्मा लोगों की जान बचाने के लिए काम आ गया था. अब इस पहल के बाद में मेडिकल कॉलेज का हौसला इतना बुलंद हुआ कि धीरे-धीरे का इन्होंने 76 लोगों को अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए तैयार कर दिया है. हालांकि, यह अभियान अभी भी जारी है और जिले से और भी प्लाज्मा डोनर तैयार हो रहे हैं. पाली का यह प्रयास विधायक ज्ञानचंद पारख और मेडिकल कॉलेज द्वारा किया जा रहा है.
पाली में अभी तक प्लाज्मा निकालने के लिए नहीं है सुविधा
मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों की मानें तो पाली में भले ही मेडिकल कॉलेज बन गया हो. लेकिन अभी तक प्लाज्मा डोनेट करने वाले लोगों के लिए किसी भी प्रकार की मशीनरी सुविधाएं नहीं है. इसके चलते जब भी कभी जोधपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा की आवश्यकता होती है तो पाली से डोनर को अस्पताल द्वारा वाहन कर जोधपुर भेजा जाता है. इसमें खासा समय भी खराब हो जाता है. इसको लेकर मेडिकल कॉलेज की ओर से सरकार से प्लाज्मा डोनेट करने वाले लोगों के लिए यही पर ब्लड लेने वाली मशीन उपलब्ध कराने की मांग भी की जा रही है.
हर तरह से किया जाता है डोनर का स्वास्थ्य परीक्षण
बांगड़ मेडिकल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि प्लाज्मा डोनेट करने के लिए जो भी डोनर उनके पास आता है, सबसे पहले उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है. उस स्वास्थ्य परीक्षण में डोनर अगर पूरी तरह से खरा उतरता है. तभी उसका फॉर्म डोनर के रूप में भरा जाता है. पाली में अब तक 200 से ज्यादा लोगों ने प्लाज्मा डोनेट करने की मेडिकल कॉलेज के सामने इच्छा जाहिर किए. इन सभी के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद में 76 लोगों का अभी तक चयन हो पाया है. इनमें से 6 लोगों का प्लाज्मा उपयोग में लिया जा चुका है. वहीं, जिले के 17 लोगों की अब तक प्लाज्मा थेरेपी हो चुकी है.