पाली. भले ही सरकार की ओर से बेटा और बेटी को समान बताने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. समाज में जागरूकता भी फैलाई जा रही है. लेकिन अब भी समाज का एक कोना बेटे और बेटी के अंतर को नहीं भूल पा रहा है. समाज की इस रूढ़िवादी मानसिकता का एक संवेदनाहीन मामला गुरुवार को पाली के बांगड़ अस्पताल में नजर आया. जहां एक मां अपनी बेटी को पैदा होते ही अस्पताल में इसलिए छोड़ कर चली गई, क्योंकि उसकी 3 बेटी उसके पहले से हैं. ऐसे में इस बार बेटे की उम्मीद थी. उस मासूम ने अपनी आंखे भी नहीं खोली थी और उससे पहले ही मां का आंचल उसे ठुकरा कर चला गया. अब वह बेटी अस्पताल के स्टाफ के भरोसे ही पल रही है और उस बेटी को अस्पताल ने गुंजन नाम दिया है.
मंगलवार को कराया गया था भर्ती
दरअसल बांगड़ अस्पताल के मातृ शिशु केंद्र में मंगलवार सुबह प्रसव पीड़ा के चलते एक महिला भर्ती हुई थी. बुधवार दोपहर 3 बजे उस महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया. महिला जब होश में आई और उसे पता चला कि उसे बेटी हुई है, तो वह पहले रोने लगी और उसके बाद वह गुरुवार को अस्पताल में रखे पालना गृह में अपनी बच्ची को छोड़ रवाना होने लगी.
डॉक्टरों के समझाने पर भी नहीं मानी
अस्पताल के स्टाफ ने उस महिला को देख भी लिया. अस्पताल के डॉक्टर मौके पर पहुंचे और महिला को समझाने भी लगे. लेकिन उस महिला ने कड़े शब्दों में कह दिया कि उसके पहले से 3 बेटियां हैं और अब वह चौथी बेटी को पाल नहीं पाएगी. उसे उम्मीद थी कि इस बार उसके बेटा ही होगा, लेकिन उसके बेटा नहीं हुआ. लगभग रात को 10 बजे तक अस्पताल का स्टाफ उस महिला को समझाता रहा. लेकिन वह महिला नहीं मानी और वह उस मासूम को आंखें खुलने से पहले ही पालना गृह के पालने में छोड़कर चली गई.
महिला जब बच्ची को छोड़कर गई, तो उसका स्वास्थ्य भी खराब था. बच्ची का वजन करीब 1 किलो 300 ग्राम ही था. इसके चलते अस्पताल स्टाफ ने उसे वार्म रूम में रखा और अब अस्पताल का स्टाफ उसकी देखभाल कर रहा है. देर रात बच्ची ने आंखें खोली और उसकी किलकारी अस्पताल में गूंजने लगी. ऐसे में बच्ची को गुंजन नाम दिया गया है.
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मातृ शिशु स्वास्थ्य केंद्र के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एसएन स्वर्णकार ने बताया कि महिला के बेटी होने के बाद उसने अपने घर जाने की इच्छा जाहिर कर दी थी. लेकिन बच्ची का स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने से उसे छुट्टी नहीं दी गई. इस पर वह महिला अपने घर जाने की जिद करने लगी और डॉक्टरों को बिन बताए वहां से निकल गई. इस पर डॉक्टरों ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस उस महिला को ढूंढ कर फिर से अस्पताल लेकर आई.
चुपके से अस्पताल से भाग गई
अस्पताल लाने के बाद उस महिला ने बच्ची को नहीं रखने की बात कह दी. डॉक्टरों ने समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन महिला नहीं मानी और बच्ची को अस्पताल के पालना गृह में छोड़ कर चली गई. डॉक्टरों ने यह भी माना कि अगर वह महिला इस बच्ची को अपने साथ ले जाती तो शायद वह उसे कहीं अन्यत्र फेंक देती या उसके स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रखती. जिससे उस बच्ची की मौत भी हो सकती थी और एक बड़ा अपराध भी.