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साहब...! खेतों में ही सूख रही फूलों की 'बगिया', अब तो तोड़ने से भी डर लगता है

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Published : Apr 20, 2020, 1:34 PM IST

वैसे तो फूल महकने के साथ-साथ व्यक्ति, स्थान और कार्यक्रमों की भी सुंदरता को बढ़ा देते हैं. इतना ही नहीं फूलों की लोगों के जीवन में बड़ी अहम भूमिका भी होती है. कभी-कभार तो लोग फूल देकर अपने प्यार का इजहार भी करते हैं और सुगंध का भी आनंद लेते हैं. लेकिन अगर इन फूलों पर किसी भी प्रकार से कोई संकट आ जाए तो मजा ही किरकिरा हो जाता है. इन दिनों फूलों की बागवानी लगाने वाले पाली के किसानों की कुछ ऐसी ही है दास्तां...

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खेतों में ही सूख रहे लाखों के फूल

पाली. देश भर में लॉकडाउन के चलते सभी जगह व्यापार और व्यापार करने वालों लोगों को खासा नुकसान नजर आने लगा है. लॉकडाउन के बाद से पाली में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. पिछले 27 दिनों से पाली में सभी मंदिरों के कपाट तो पूरी तरह बंद ही हैं साथ ही शादी समारोह व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं.

खेतों में ही सूख रहे लाखों के फूल

ऐसे में इस लॉकडाउन का सबसे बड़ा प्रभाव फूलों की खेती करने वाले किसानों पर साफ नजर आने लगा है. पाली में सैकड़ों बीघा जमीन में खड़े फूलों के बाग अब पूरी तरह से बदरंग होने लगे हैं. वर्तमान में इन फूलों की बागवानी लगाने वाले किसानों की स्थिति देखें तो ये लोग नुकसान के डर से अपने खेतों से फूल भी नहीं तोड़ रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः संकट में किसान: बाजार और खरीददार के अभाव में सड़ रहे पपीते

ऐसे में बाजार और मंडी में फूलों की बिक्री पूरी तरह से बंद हो गई है. अब इन किसानों को आने वाले लम्बे समय में भी कोई भी संस्कृति कार्यक्रम न होने का डर सता रहा है. उन्हें डर है कि इस बंदी के चलते इस सीजन के सभी फूल नहीं बिक पाएंगे. स्थिति यह है कि किसानों के आंखों के सामने उनके खेतों में फूलों के पौधे अब धीरे-धीरे सूख रहे हैं. बाजार में फूल नहीं जाने से किसानों के फूलों की बगिया अब उजड़ने लगी है.

एक नजर...

पाली में हेमावास, रायपुर, सादड़ी, फालना और जोजावर क्षेत्र में सबसे ज्यादा फूलों का उत्पादन होता है. यहां रोजाना करीब 2200 किलोग्राम फूलों की खपत होती थी. विवाह सीजन के दौरान पाली में 6 हजार किलोग्राम फूलों की खपत होती है. यहां करीब 700 से ज्यादा किसान फूलों की खेती पर आधारित हैं और लगभग 1800 बीघा जमीन पर फूलों के बागवानी लगी है. पाली में लॉकडाउन से पहले गेंदे का फूल 40, गुलाब का फूल 100 और सफेद गेंदे का फूल 50 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा था. लेकिन इस समय मंडी में फूलों की खरीद भी नहीं हो रही है, जिसके चलते किसानों को औसतन 50 से 70 हजार रुपए का नुकसान हो चुका है.

यह भी पढ़ेंः एक उम्मीद थी...उस पर भी Corona का कहर, साहब...'लहलहाते टमाटर खेतों में सड़ गए'

किसानों ने इस बार विवाह और अन्य त्योहारों को देखते हुए खेतों में फूलों के पैदावार की थी. इस बार पाली में गेंदा, मोगरा, गुलाब और नवरंग सहित कई फूलों की प्रजातियों के उत्पादन किया गया है. लेकिन लॉकडाउन के चलते पिछले 27 दिनों से फूल मंडी तक नहीं पहुंच पाए. ऐसे में पिछले 27 दिनों से किसानों द्वारा फूल नहीं तोड़ने से उनके पौधे पूरी तरह से खराब होने लगे हैं. कई किसानों के खेतों में फूल के पौधे पूरी तरह से सूख चुके हैं.

ऐसे में किसानों को फूलों की तुड़वाई भी अब महंगी लगने लगी है. मंडी में फूल न जाने से ये लोग अब खेतों से फूल भी नहीं तोड़ रहे हैं. किसानों की बात माने तो इनके फूल प्रतिदिन 40 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बिकते थे. लेकिन, अब इन्हें इन फूलों की कोई भी कीमत नहीं मिल रही है. इसके चलते इन्हें अब तक इन्हें लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है.

पाली. देश भर में लॉकडाउन के चलते सभी जगह व्यापार और व्यापार करने वालों लोगों को खासा नुकसान नजर आने लगा है. लॉकडाउन के बाद से पाली में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. पिछले 27 दिनों से पाली में सभी मंदिरों के कपाट तो पूरी तरह बंद ही हैं साथ ही शादी समारोह व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं.

खेतों में ही सूख रहे लाखों के फूल

ऐसे में इस लॉकडाउन का सबसे बड़ा प्रभाव फूलों की खेती करने वाले किसानों पर साफ नजर आने लगा है. पाली में सैकड़ों बीघा जमीन में खड़े फूलों के बाग अब पूरी तरह से बदरंग होने लगे हैं. वर्तमान में इन फूलों की बागवानी लगाने वाले किसानों की स्थिति देखें तो ये लोग नुकसान के डर से अपने खेतों से फूल भी नहीं तोड़ रहे हैं.

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ऐसे में बाजार और मंडी में फूलों की बिक्री पूरी तरह से बंद हो गई है. अब इन किसानों को आने वाले लम्बे समय में भी कोई भी संस्कृति कार्यक्रम न होने का डर सता रहा है. उन्हें डर है कि इस बंदी के चलते इस सीजन के सभी फूल नहीं बिक पाएंगे. स्थिति यह है कि किसानों के आंखों के सामने उनके खेतों में फूलों के पौधे अब धीरे-धीरे सूख रहे हैं. बाजार में फूल नहीं जाने से किसानों के फूलों की बगिया अब उजड़ने लगी है.

एक नजर...

पाली में हेमावास, रायपुर, सादड़ी, फालना और जोजावर क्षेत्र में सबसे ज्यादा फूलों का उत्पादन होता है. यहां रोजाना करीब 2200 किलोग्राम फूलों की खपत होती थी. विवाह सीजन के दौरान पाली में 6 हजार किलोग्राम फूलों की खपत होती है. यहां करीब 700 से ज्यादा किसान फूलों की खेती पर आधारित हैं और लगभग 1800 बीघा जमीन पर फूलों के बागवानी लगी है. पाली में लॉकडाउन से पहले गेंदे का फूल 40, गुलाब का फूल 100 और सफेद गेंदे का फूल 50 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा था. लेकिन इस समय मंडी में फूलों की खरीद भी नहीं हो रही है, जिसके चलते किसानों को औसतन 50 से 70 हजार रुपए का नुकसान हो चुका है.

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किसानों ने इस बार विवाह और अन्य त्योहारों को देखते हुए खेतों में फूलों के पैदावार की थी. इस बार पाली में गेंदा, मोगरा, गुलाब और नवरंग सहित कई फूलों की प्रजातियों के उत्पादन किया गया है. लेकिन लॉकडाउन के चलते पिछले 27 दिनों से फूल मंडी तक नहीं पहुंच पाए. ऐसे में पिछले 27 दिनों से किसानों द्वारा फूल नहीं तोड़ने से उनके पौधे पूरी तरह से खराब होने लगे हैं. कई किसानों के खेतों में फूल के पौधे पूरी तरह से सूख चुके हैं.

ऐसे में किसानों को फूलों की तुड़वाई भी अब महंगी लगने लगी है. मंडी में फूल न जाने से ये लोग अब खेतों से फूल भी नहीं तोड़ रहे हैं. किसानों की बात माने तो इनके फूल प्रतिदिन 40 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बिकते थे. लेकिन, अब इन्हें इन फूलों की कोई भी कीमत नहीं मिल रही है. इसके चलते इन्हें अब तक इन्हें लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है.

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