पाली. प्रदूषण की समस्या को लेकर जिस प्रकार से प्रशासन की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उन प्रयासों के बीच में एक बार फिर से पाली के रोहट क्षेत्र के किसान आंदोलन की राह पर नजर आ रहे हैं. इस बार रोहट के किसान अपने नेहड़ा बांध को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं और इसको लेकर किसानों ने अपनी रणनीति भी तैयार कर दी है.
नेहड़ा बांध में नहीं आने देना चाहते दूषित पानी
किसानों ने पाली की 600 कपड़े इकाइयों से बनी नदी के माध्यम से नेहड़ा बांध तक पहुंचने वाले रंगीन पानी को रास्ते में ही रोक कर उसके निस्तारण की मांग की है. इसके साथ ही किसानों ने प्रशासन को सीधे तौर पर यह भी कह दिया है कि प्रदूषित पानी कहीं भी जाए, लेकिन वह लोग नेहड़ा बांध में इस पानी को नहीं आने देना चाहते हैं.
नेहड़ा बांध शुद्ध पानी से लबालब
आपको बता दें कि पाली में इस बार मानसून की अच्छी बारिश हुई. इस कारण से पाली के सभी बांध ओवर फ्लो होकर छलकने लगे. इन्हीं बांधों के बीच पाली में प्रदूषण के दंश को झेल रहा नेहड़ा बांध भी इस बार बारिश के शुद्ध पानी से लबालब हो गया. उस समय किसानों ने आंदोलन कर पाली की कपड़ा इकाइयों से आने वाले रंगीन पानी को रोकने की मांग की थी. इस पर प्रशासन की ओर से बांडी नदी में चार अलग-अलग धोरे बनाए गए थे. इन धोरों को बनाने का मुख्य उद्देश्य पाली की 600 कपड़ा इकाइयों से छोड़ा जाने वाला रंगीन पानी जिसे सीईटीपी प्लांट में ट्रीट कर बांडी नदी में डाला जाता है, उसे वहीं रोक दिया जाए. जिससे कि यह रंगीन पानी नेहड़ा बांध के शुद्ध पानी में ना मिले और नोहडा बांध का पानी किसानों की खेती में काम आ सके.
रंगीन पानी के धोरे फुल
पिछले 6 माह से पाली की सभी कपड़ा इकाइयों का रंगीन पानी इन धोरों में आगे से आगे इकट्ठा हो रहा है. अब स्थिति यह है कि यह धोरे पूरी तरह से लबालब हो चुके हैं और किसी भी समय या ओवरफ्लो होकर बांडी नदी में गिर सकते हैं. किसान अपने नेहड़ा बांध को फिर से प्रदूषित नहीं देखना चाहते. इस कारण से किसान अब प्रशासन से सीधे तौर पर इस बात की मांग कर रहे हैं कि प्रशासन इन चार घरों में इकट्ठे हुए पानी को कहीं भी ले जाएं लेकिन वह इस पानी को नेहड़ा बांध में नहीं आने देंगे.
एनजीटी में 5 साल से पाली प्रदूषण का मुद्दा
दरअसल, पाली के प्रदूषण का मुद्दा पिछले 5 सालों से एनजीटी में लगातार जारी है. किसानों की बंजर हुई जमीनों के चलते एनजीटी पिछले 2 सालों से सख्त रवैया में नजर आ रही है और कई बार पाली की इन कपड़ा इकाइयों पर एनजीटी द्वारा जुर्माना भी लगाया गया और कई बार यहां की कपड़ा इकाइयों पर संचालन की रोक भी लगाई गई है. इन सभी के बावजूद अभी भी बांडी नदी में रंगीन व प्रदूषित पानी लगातार बहाया जा रहा है. ऐसे में एनजीटी द्वारा कई बार यहां जांच करने आई टीमों ने अपनी रिपोर्ट में रोहट तक के किसानों की जमीन बंजर होने व नेहड़ा बांध के दूषित होने की रिपोर्ट भी एनजीटी में जमा करा रखी है.
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अब किसानों की चेतावनी
अब किसानों ने यह भी चेतावनी दे डाली है कि अगर प्रशासन किसानों की सुनवाई को दरकिनार करते हुए पानी नदी में आएगा तो एक बार फिर से उन्हें एनजीटी कोर्ट का सहारा लेना होगा. किसानों की इस चेतावनी के बाद में प्रशासनिक अधिकारी इन चारों में इकट्ठे हो रखे पानी के निस्तारण को लेकर लगातार अपनी रूपरेखा बना रहे हैं, लेकिन सभी के सामने सबसे बड़ा संकट यह रंगीन पानी ही बना हुआ है. इतने बिस्तर में भरे पानी को विस्तारित करना भी प्रशासन के लिए एक कड़ी चुनौती बन चुका है.