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केसर के नाम पर किसानों के साथ धोखाधड़ी, बाजार में बेचने पहुंचे तो सामने आई हकीकत - पाली

राजस्थान में सैकड़ों किसान बाजार में केसर बेचने की जुगत में लगे हैं. लेकिन हकीकत यह है कि किसान जिसे केसर समझ रहे है वह कुसुम के फूल है.

केसर के नाम पर कुसुम के फूल
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Published : May 14, 2019, 9:18 PM IST

पाली. राजस्थान का किसान लगातार कृषि के क्षेत्र में उन्नत होता जा रहा हैं. कम लागत में किसान को बेहतर मुनाफा मिले इसकी कवायद लगातार जारी है. लेकिन किसानों के साथ धोखाधड़ी की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही है. नया मामला पाली व कई अन्य जिलों के किसानों का है.

दरअसल राज्य के कई किसानों के द्वारा अपने खेतों में केसर के नाम पर कुसुम की खेती के मामले सामने आ रहे है. इन किसानों को केसर के बीज के स्थान पर कुसुम के बीज देकर इनके साथ धोखाधड़ी की गई है.

किसानों के साथ हो रही धोखाथड़ी

केसर के नाम पर कुसुम के फूल
कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरजसिंह ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि राजस्थान में सैकड़ों किसान बाजार में केसर बेचने की जुगत में लगे हैं. लेकिन किसान जिसे बाजार में केसर के नाम पर बेचने निकले हैं, असल मे वह कुसुम के फूल के पत्ते हैं. जो सूखने के बाद केसर की तरह लगते हैं. सिंह ने बताया कि तीन साल पहले कुछ किसानों को केसर के नाम पर कुसुम के बीज महंगे दामों में बेचे गए थे. उस समय से किसान लगातार इस धोखाधड़ी में आ रहे हैं.

उपर्युक्त माहौल का आभाव

उन्होंने बताया कि कुसुम के पौधे के बीज से तेल निकलता हैं. इसका उत्पादन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा होता हैं. वहीं केसर की बात है तो उसकी खेती राजस्थान में सम्भव भी नहीं हैं. केसर के पौधे के लिए 18 डिग्री से नीचे के तापमान की जरूरत होती है. वहीं केसर के एक पौधे से मात्र तीन परागकण पत्ती ही मिलती हैं. उसे चाय में सुखाने पर केसर तैयार होता हैं. जबकि राजस्थान में केसर की खेती की सही तकनीक और माहौल का आभाव है.





पाली. राजस्थान का किसान लगातार कृषि के क्षेत्र में उन्नत होता जा रहा हैं. कम लागत में किसान को बेहतर मुनाफा मिले इसकी कवायद लगातार जारी है. लेकिन किसानों के साथ धोखाधड़ी की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही है. नया मामला पाली व कई अन्य जिलों के किसानों का है.

दरअसल राज्य के कई किसानों के द्वारा अपने खेतों में केसर के नाम पर कुसुम की खेती के मामले सामने आ रहे है. इन किसानों को केसर के बीज के स्थान पर कुसुम के बीज देकर इनके साथ धोखाधड़ी की गई है.

किसानों के साथ हो रही धोखाथड़ी

केसर के नाम पर कुसुम के फूल
कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरजसिंह ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया कि राजस्थान में सैकड़ों किसान बाजार में केसर बेचने की जुगत में लगे हैं. लेकिन किसान जिसे बाजार में केसर के नाम पर बेचने निकले हैं, असल मे वह कुसुम के फूल के पत्ते हैं. जो सूखने के बाद केसर की तरह लगते हैं. सिंह ने बताया कि तीन साल पहले कुछ किसानों को केसर के नाम पर कुसुम के बीज महंगे दामों में बेचे गए थे. उस समय से किसान लगातार इस धोखाधड़ी में आ रहे हैं.

उपर्युक्त माहौल का आभाव

उन्होंने बताया कि कुसुम के पौधे के बीज से तेल निकलता हैं. इसका उत्पादन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा होता हैं. वहीं केसर की बात है तो उसकी खेती राजस्थान में सम्भव भी नहीं हैं. केसर के पौधे के लिए 18 डिग्री से नीचे के तापमान की जरूरत होती है. वहीं केसर के एक पौधे से मात्र तीन परागकण पत्ती ही मिलती हैं. उसे चाय में सुखाने पर केसर तैयार होता हैं. जबकि राजस्थान में केसर की खेती की सही तकनीक और माहौल का आभाव है.





Intro:पाली. राजस्थान का किसान लगातार कृषि के क्षेत्र में उन्नत होता जा रहा हैं। कम लागत में किसान को बेहतर मुनाफा मिले इसकी कवायद देशभर में हो रही हैं। कई किसान ऐसी। फसलों की पैदावार कर अच्छा फायदा उठा रहे हैं। एसे में राजस्थान की तपती गर्मी में भी किसानों द्वारा अपने खेतों में केसर के नाम पर कुसुम की खेती के उदाहरण काफी सामने आ रहे हैं। कृषि वैज्ञानिको के सामने भी ऐसे कई किसान आचुके हैं। जिन्हें केसर के नाम पर कुसुम के बीज देकर चुना लगाया गया हैं। भारत के जानेमाने कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरजसिंह के साथ राजस्थान के किसानों के के हित में ईटीवी भारत राजस्थान की की एक रिपोर्ट।





Body:दरअसल राजस्थान में सैकड़ों किसान बाजार में केसर बेचने की जुगत में लगे हैं। लेकिन, किसान जिसे बाजार में केसर के नाम पर बेचने निकले हैं, असल मे वह कुसुम के के फूल के पत्ते हैं जो सूखने के बाद केसर की तरह लगते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. धीरज सिंह ने बताया कि तीन साल पहले कुछ किसानों को केसर के नाम पर कुसुम के बीज महंगे दामों में बेचे गए थे। उस समय से के किसान लगातार इस धोखाधड़ी में आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि आज भी राजस्थान के कई किसानों के पास 80 से 100 बोरी तक कुसुम को केसर के भरोसे इक्कठा कर रखा हैं। उन्होंने बताया कि कुसुम के पौधे के बीज से तेल निकलता हैं। इसका उत्पादन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा होता हैं। वही केसर की बात हैं तो उसकी खेती राजस्थान में सम्भव भी नही हैं। केसर के पौधों को 18 डिग्री से नीचे का तापमान उपयुक्त होता हैं। केसर के एक पौधे से मात्र तीन परागकण पत्ती कहि मिलती हैं। उसे चाय में सुखाने पर केसर तैयार होता हैं। ऐसे में में राजस्थान में केसर उगाने के नाम पर किसानों के साथ लगातार धोखाधड़ी बढ़ रही हैं।


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