पाली. जिले में बांडी नदी के अंदर बह रहे रंगीन पानी को नेहड़ा बांध में जाने से रोकने के लिए प्रयास तेज हो चुके हैं. इसको लेकर लगातार प्रशासन की ओर से नई रूप रेखा तैयार की जा रही है. साथ ही इस संबंध में एनजीटी द्वारा मांगे गए जवाब को लेकर भी प्रशासन अब अपनी गति तेज कर चुका है.
सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों के साथ जल संसाधन विभाग के अधिकारी और पाली एसडीएम सहित कई उद्यमियों ने बांडी नदी का निरीक्षण किया. पाली शहर से निकली लगभग 10 किमी क्षेत्र में फैली नदी के अंदर रंगीन पानी को अगले तीन से चार माह तक बांडी नदी में ही रोकने के प्रयास के लिए रूपरेखा तैयार की गई.
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जानकारी के अनुसार गत दिनों एनजीटी में पाली प्रदूषण मामले में सुनवाई को लेकर पाली के किसान संघर्ष समिति के किसानों ने एनजीटी में अपना पक्ष रखते हुए बताया था कि पाली में बारिश के बाद बांडी नदी अच्छी चली थी. जिससे नदी के रास्ते में आने वाला नेहड़ा बांध पूरी तरह से बारिश के शुद्ध पानी से भर गया था. इस बारिश के रुकने के बाद में पाली क्षेत्र में संचालित हो रही लगभग 600 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों द्वारा बांडी नदी में फिर से रंगीन और केमिकल युक्त पानी छोड़ने का कार्य शुरू हो गया है. अब यह पानी फिर से नेहड़ा बांध तक पहुंचने वाला है. ऐसे में एक बार फिर से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें छा गई है.
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किसानों का कहना था कि अगर यह प्रदूषित पानी फिर से नेहड़ा बांध में पहुंचता है तो आगामी सर्दी में फसलों की सिंचाई के लिए उनके पास पानी उपलब्ध नहीं होगा और नेहड़ा बांध का प्रदूषित पानी उसमें उपयोग नहीं लिया जा सकेगा. ऐसे में एनजीटी ने सख्ती बरतते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित पाली जिला प्रशासन को पानी को बांडी नदी में ही डाइवर्ट कर रोकने के आदेश दिए हैं. इसको लेकर प्रशासन ने अपनी कार्ययोजना को तेज कर दिया है. इसी के चलते सोमवार को संबंधित विभागों के सभी अधिकारियों ने नदी का निरीक्षण किया.