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हरा-भरा राजस्थान : पाली जिले में पिछले 3 सालों में लाखों पौधे लगे, आधे से ज्यादा का धरातल पर नहीं कोई वजूद - वन विभाग

पाली जिले में भी वन क्षेत्रों को हरा-भरा बनाने के लिए पिछले तीन सालों में लाखों की संख्या में पौधारोपण किया गया है. लेकिन पानी की कमी और सुरक्षा के अभाव में आधे से ज्यादा पौधे बरसात के कुछ दिनों बाद ही नष्ट हो जाते हैं. ऐसे में लाख कोशिशों के बाद भी वन क्षेत्र हरा-भरा नहीं हो पा रहा है.

पाली में पिछले 3 सालों में लाखों की संख्या में पौधारोपण
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Published : Jun 29, 2019, 6:27 PM IST

पाली. जिले के जंगलों को हरा-भरा बनाने के लिए हर साल मानसून से पहले सरकार की ओर से पौधारोपण के लिए लाखों रुपए का बजट स्वीकृत होता है. जिले में वन विभाग ने लाखों की संख्या में पौधारोपण किया है. लेकिन इसके बाद भी पाली का वन क्षेत्र सूखा और वीरान नजर आता है. कागजों में लाखों की संख्या में पौधारोपण हुआ. लेकिन धरातल पर उनका कोई वजूद नहीं है. वन विभाग की ओर से जहां पौधे लगाए गए थे. वहां सिर्फ गड्ढे हैं. पौधों का कोई नामोनिशान नहीं है. वन विभाग हर साल लाखों रुपए का बजट पौधारोपण पर खर्च करता जा रहा है. लेकिन देखरेख के अभाव में पौधे सूखकर खत्म हो जाते हैं.

पाली में पिछले 3 सालों में लाखों की संख्या में पौधारोपण, आधे से ज्यादा का धरातल पर नहीं कोई वजूद

पाली में मानसून से पहले पौधारोपण के लिए वन विभाग को पिछले 3 सालों में 16 लाख पौधारोपण का लक्ष्य दिया जा चुका है. वन विभाग ने वन क्षेत्र और शहरी सीमा में पौधारोपण कर लक्ष्य को करीब 85 फीसदी पूरा कर दिया. लेकिन पानी की कमी और सुरक्षा के अभाव में आधे से ज्यादा पौधे बरसात के बाद ही नष्ट हो जाते हैं. ऐसे में विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी वन क्षेत्र हरा-भरा नहीं हो पा रहा है.

वन विभाग की लापरवाही का एक उदाहरण पाली शहरी क्षेत्र में भी नजर आता है. यहां वन विभाग की एक बड़ी जमीन बंजर पड़ी थी. जिसे हरा-भरा करने के लिए वर्ष 2016 में 72 लाख की लागत से एक प्रोजेक्ट जारी किया था. जिसके तहत वन विभाग को करीब 12 हजार 500 पौधे लगाने थे. प्रोजेक्ट के 3 साल पूरे होने वाले हैं. इसका ज्यादातर बजट भी आवंटित हो चुका है. लेकिन इसके बाद भी इस जमीन पर कहीं पेड़ नजर नहीं आ रहे हैं. यहां हर साल बारिश में पौधारोपण किया जाता है. लेकिन सुरक्षा और देखरेख के अभाव में पौधे नष्ट हो जाते हैं. अब इस प्रोजेक्ट को 2 साल बचे हैं और वन विभाग एक बार फिर यहां पौधारोपण कर इसे जंगल बनाने की कोशिश करने में जुटा है.

पाली. जिले के जंगलों को हरा-भरा बनाने के लिए हर साल मानसून से पहले सरकार की ओर से पौधारोपण के लिए लाखों रुपए का बजट स्वीकृत होता है. जिले में वन विभाग ने लाखों की संख्या में पौधारोपण किया है. लेकिन इसके बाद भी पाली का वन क्षेत्र सूखा और वीरान नजर आता है. कागजों में लाखों की संख्या में पौधारोपण हुआ. लेकिन धरातल पर उनका कोई वजूद नहीं है. वन विभाग की ओर से जहां पौधे लगाए गए थे. वहां सिर्फ गड्ढे हैं. पौधों का कोई नामोनिशान नहीं है. वन विभाग हर साल लाखों रुपए का बजट पौधारोपण पर खर्च करता जा रहा है. लेकिन देखरेख के अभाव में पौधे सूखकर खत्म हो जाते हैं.

पाली में पिछले 3 सालों में लाखों की संख्या में पौधारोपण, आधे से ज्यादा का धरातल पर नहीं कोई वजूद

पाली में मानसून से पहले पौधारोपण के लिए वन विभाग को पिछले 3 सालों में 16 लाख पौधारोपण का लक्ष्य दिया जा चुका है. वन विभाग ने वन क्षेत्र और शहरी सीमा में पौधारोपण कर लक्ष्य को करीब 85 फीसदी पूरा कर दिया. लेकिन पानी की कमी और सुरक्षा के अभाव में आधे से ज्यादा पौधे बरसात के बाद ही नष्ट हो जाते हैं. ऐसे में विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी वन क्षेत्र हरा-भरा नहीं हो पा रहा है.

वन विभाग की लापरवाही का एक उदाहरण पाली शहरी क्षेत्र में भी नजर आता है. यहां वन विभाग की एक बड़ी जमीन बंजर पड़ी थी. जिसे हरा-भरा करने के लिए वर्ष 2016 में 72 लाख की लागत से एक प्रोजेक्ट जारी किया था. जिसके तहत वन विभाग को करीब 12 हजार 500 पौधे लगाने थे. प्रोजेक्ट के 3 साल पूरे होने वाले हैं. इसका ज्यादातर बजट भी आवंटित हो चुका है. लेकिन इसके बाद भी इस जमीन पर कहीं पेड़ नजर नहीं आ रहे हैं. यहां हर साल बारिश में पौधारोपण किया जाता है. लेकिन सुरक्षा और देखरेख के अभाव में पौधे नष्ट हो जाते हैं. अब इस प्रोजेक्ट को 2 साल बचे हैं और वन विभाग एक बार फिर यहां पौधारोपण कर इसे जंगल बनाने की कोशिश करने में जुटा है.

Intro:पाली. जिले का जंगल हरा-भरा हो सके इसको लेकर सरकार की ओर से मानसून से पहले हर साल पौधरोपण के नाम पर लाखों रुपए का बजट स्वीकृत होता है। इस बजट का उपयोग पाली के जंगलों में पौधरोपण के लिए किया जाता है। पिछले 3 सालों में पाली में लाखों की संख्या में पौधरोपण हुआ। लेकिन इसके बावजूद भी आज भी पाली का जंगल वही का वही सूखा और वीराना सा नजर आता है। लाखों पौधरोपण हुआ लेकिन वह धरातल पर खत्म हो चुका है। जहां पौधे लगाए गए थे वहां सिर्फ उन पौधों के गड्ढे हैं। वहां अब पौधों का नामोनिशान वहां से खत्म हो चुका है। ऐसे में वन विभाग हर साल लाखों रुपए का बजट खर्च कर पौधरोपण करता जा रहा है। और पीछे पीछे वही पौधे सुरक्षा व पानी के अभाव में खत्म होते जा रहे हैं।





Body:पिछले 3 सालों की बात करें तो पाली में मानसून से पहले पौधरोपण करने के लिए वन विभाग को अलग अलग लक्ष्य दिए गए थे ।3 साल में पाली में अब तक 16 लाख पौधरोपण का लक्ष्य दिया जा चुका है। वन विभाग में इस लक्ष्य को लगभग 85% पूरा कर दिया है। यह पौधरोपण पाली के पूरे वन क्षेत्र व शहरी सीमा में किया गया पौधरोपण से पहले वन विभाग जिले में अलग-अलग जगह स्थापित नर्सरी में 4 से 5 फुट के पौधे तैयार कर के उन्हें बरसात के समय पौधरोपण करता है। इसके बाद इन पौधों को छोड़ दिया जाता है। पानी की कमी और सुरक्षा के अभाव में वन विभाग द्वारा लगाए आधे से ज्यादा पौधे बरसात के बाद नष्ट हो जाते हैं। इस कारण से लगातार वन विभाग पौधरोपण करने के बाद भी जंगल हरा-भरा नहीं हो पा रहा है।






Conclusion:वन विभाग की लापरवाही का एक उदाहरण पाली शहरी क्षेत्र में भी नजर आता है। पाली शहरी क्षेत्र में वन विभाग की एक बड़ी जमीन बंजर अवस्था में पड़ी थी। जिसे हरा-भरा करने के लिए वर्ष 2016 में 72 लाख की लागत से एक प्रोजेक्ट जारी किया था इस प्रोजेक्ट में के तहत इस वन भूमि में वन विभाग को 12500 पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनाना था। जिससे कि शहरी सीमा में एक बेहतर जंगल तैयार हो सके लेकिन इस प्रोजेक्ट को 3 साल बिताने आए हैं। इसका ज्यादातर बजट उठ चुका है। लेकिन इसके बाद भी इस चित्र में पेड़ कहीं नजर नहीं आ रहा है। वन विभाग हर साल यहां पौधरोपण तो करता है। लेकिन इन पौधों पर सुरक्षा व ध्यान नहीं देने से हर बार यहां पौधे जल जाते हैं। ऐसे में अब इस प्रोजेक्ट को 2 साल बचे हैं और वन विभाग अब भी यहां पर पौधरोपण कर इसे जंगल बनाने की कोशिश कर रहा।
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