पाली. जिले के जंगलों को हरा-भरा बनाने के लिए हर साल मानसून से पहले सरकार की ओर से पौधारोपण के लिए लाखों रुपए का बजट स्वीकृत होता है. जिले में वन विभाग ने लाखों की संख्या में पौधारोपण किया है. लेकिन इसके बाद भी पाली का वन क्षेत्र सूखा और वीरान नजर आता है. कागजों में लाखों की संख्या में पौधारोपण हुआ. लेकिन धरातल पर उनका कोई वजूद नहीं है. वन विभाग की ओर से जहां पौधे लगाए गए थे. वहां सिर्फ गड्ढे हैं. पौधों का कोई नामोनिशान नहीं है. वन विभाग हर साल लाखों रुपए का बजट पौधारोपण पर खर्च करता जा रहा है. लेकिन देखरेख के अभाव में पौधे सूखकर खत्म हो जाते हैं.
पाली में मानसून से पहले पौधारोपण के लिए वन विभाग को पिछले 3 सालों में 16 लाख पौधारोपण का लक्ष्य दिया जा चुका है. वन विभाग ने वन क्षेत्र और शहरी सीमा में पौधारोपण कर लक्ष्य को करीब 85 फीसदी पूरा कर दिया. लेकिन पानी की कमी और सुरक्षा के अभाव में आधे से ज्यादा पौधे बरसात के बाद ही नष्ट हो जाते हैं. ऐसे में विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी वन क्षेत्र हरा-भरा नहीं हो पा रहा है.
वन विभाग की लापरवाही का एक उदाहरण पाली शहरी क्षेत्र में भी नजर आता है. यहां वन विभाग की एक बड़ी जमीन बंजर पड़ी थी. जिसे हरा-भरा करने के लिए वर्ष 2016 में 72 लाख की लागत से एक प्रोजेक्ट जारी किया था. जिसके तहत वन विभाग को करीब 12 हजार 500 पौधे लगाने थे. प्रोजेक्ट के 3 साल पूरे होने वाले हैं. इसका ज्यादातर बजट भी आवंटित हो चुका है. लेकिन इसके बाद भी इस जमीन पर कहीं पेड़ नजर नहीं आ रहे हैं. यहां हर साल बारिश में पौधारोपण किया जाता है. लेकिन सुरक्षा और देखरेख के अभाव में पौधे नष्ट हो जाते हैं. अब इस प्रोजेक्ट को 2 साल बचे हैं और वन विभाग एक बार फिर यहां पौधारोपण कर इसे जंगल बनाने की कोशिश करने में जुटा है.