पाली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत से टीबी के उन्मूलन की घोषणा की थी. इसको लेकर भी देश में अलग-अलग अभियान चलाए जा रहे हैं. अब तक टीबी को ग्रामीण और गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों में ही देखा गया था. यही प्रचलन था, गंदगी और धूम्रपान टीबी का सबसे बड़ा कारण बन रहा है. और उसी परिवेश में रहने वाले लोग सामने आ रहे थे, लेकिन जिस स्लम में टीबी को माना जाता था. अब वह टीबी स्लम से शहरी क्षेत्र की ओर बढ़ रही है. यह चौंकाने वाला खुलासा है, लेकिन पिछले 5 सालों में साफ तौर पर आंकड़ों ने और डॉक्टरों के शोध ने इस स्थिति को स्पष्ट किया है.
देश के जाने-माने टीवी चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉक्टर वीके जैन ने अपना शोध का कुछ अंश ईटीवी भारत के साथ शेयर किया. वीके जैन के मुताबिक टीबी कुछ सालों पहले तक धूम्रपान करने वाले लोगों में नजर आ रही थी. साथ ही गंदी बस्तियों में भी इस टीबी का सबसे ज्यादा प्रकोप था, लेकिन अब टीबी ने अपना रूप बदल दिया है. पिछले 5 सालों की बात करें तो शहर में रहने वाली धनाढ्य, सक्षम और शिक्षित परिवारों में भी टीबी ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है.
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उन्होंने कहा, हर तरह की स्वच्छता रखने के बाद भी इन लोगों में टीबी फैलने के कारण पर जब शोध किया गया, तो सीधे तौर पर इन क्षेत्र में रहने वाले लोगों की बदलती दिनचर्या इसका प्रमुख कारण बना. बदलती दिनचर्या और कम होती रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण शहर के यह लोग भी टीबी जैसी बीमारी की चपेट में आना शुरू हो चुके हैं.
उन्होंने बताया कि पहले 5 सालों तक टीबी मात्र फेफड़ों में होती थी, लेकिन अब शरीर के दूसरे अंगों में भी टीबी ने अपना प्रकोप करना शुरू कर दिया है. वर्तमान में देश की स्थिति को देखें तो 80% मरीज फेफड़ों की टीबी के सामने आ रहे हैं. वहीं, 20% मरीज हड्डी, रीड की हड्डी, दिमाग, गर्भाशय, आंख, चमड़ी जैसे अंगों में भी नजर आने लगी है. इंसान की कम होती रोग प्रतिरोधक क्षमता अब इंसान के लिए एक बड़ा खतरा महसूस होने लगी है. इसके लिए लोगों को सतर्क होना पड़ेगा.