पाली. कुएं में से मजदूर मुपाराम के शव को निकालना, पाली प्रशासन के लिए एक कड़ी चुनौती बन गया है. प्रशासन ने उसके शव को निकालने के लिए कई एक्सपर्ट की सलाह लेकर चार दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन भी चलाया, लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद प्रशासन ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए. ऐसे में अब कानेलाव गांव का यह कुआं उस मजदूर की कब्रगाह बन चुका है. लेकिन अब इस कब्रगाह से एक बार फिर मजूदर के शव को निकालने को लेकर आस जगी है.
मृतक मुपाराम के परिजन इस कुएं के पास ही पिछले 10 दिनों से बैठे हैं और अंतिम संस्कार कराने के लिए उसके शव को निकालने की मांग कर रहे हैं. मानवीय संवेदनाओं से भरा यह मामला, जब पाली के प्रभारी मंत्री सालेह मोहम्मद और प्रभारी सचिव सुमित शर्मा तक पहुंचा तो उन्होंने एक बार फिर से शव को निकालने के लिए प्रयास करने के आदेश दिए. ऐसे में 10 दिनों बाद मृतक मुपाराम की कब्रगाह बने कुएं को फिर से खोदने की तैयारी की जा रही है.
बता दें कि 26 सितंबर को सुमेरपुर उपखंड के कानेलाव गांव में ईश्वर सिंह के कुएं की खुदाई करने के लिए मजदूर मुपाराम और उसके साथियों को ठेका दिया गया था. इसी के तहत कुएं की खुदाई का कार्य चल रहा था. 27 सितंबर की सुबह 3 बजे खुदाई चल रही थी, उसी दौरान कुएं की मिट्टी मजदूरों पर गिर गई और मजदूर मुपाराम उसमें फंस गया. मलवा गीला होने से कुछ ही देर में वह दलदल में तब्दील हो गया. कुछ ही देर में पुलिस और प्रशासन मजदूर को निकालने के लिए मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया. ऑपरेशन चार दिनों तक चला, इस दौरान मजदूर के परिजनों ने उसके जिंदा होने की उम्मीद पूरी तरह से छोड़ दी थी. लेकिन मजूदर के परिजन मुपाराम का शव बाहर निकालकर उसका अंतिम संस्कार करवाना चाहते थे.
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चार दिन तक उसका शव नहीं निकलने के बाद प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए. प्रशासन ने परिजनों को मुआवजा दिलाने की बात कहकर शव भूल जाने की बात कह दी. लेकिन परिजनों ने शव निकालने की गुहार जिला कलेक्टर और प्रभारी मंत्री तक पहुंचाई. ऐसे में 10 दिनों बाद एक बार फिर से जिला कलेक्टर ने मौके का निरीक्षण कर शव को निकालने के लिए किसी भी प्रकार से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के निर्देश दिए हैं. अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस कुएं में मजूदरों को उतारने की आ रही है. अगर प्रशासन शव को निकालने के लिए दूसरे मजदूरों को कुएं में उतारता है और उस दौरान कोई हादसा होता है तो प्रशासन किसी को जवाब भी नहीं दे पाएगा.
दलदल में फंसा हुआ है शव
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार जिस कुएं में मजदूर का शव फंसा हुआ है. उस कुएं की गहराई 80 फीट से ज्यादा बताई जा रही है. 80 फीट के कुएं में 30 फीट में दलदल है. इस 30 फीट के दलदल के नीचे मुपाराम का शव फंसा हुआ है. इस दलदल को कुएं से बाहर निकाल उसके गहराई से मुपाराम का शव निकालना प्रशासन के लिए एक कठिन कार्य बनता जा रहा है.
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कुएं के मालिक और परिवार डर के साए में
इधर, कुएं के मालिक का पूरा परिवार डर के साए में हैं. पिछले 10 दिनों से कुएं में श्रमिक का शव फंसा हुआ है. इसी कुएं से 15 फीट की दूरी पर ही कुएं मालिक का घर है, जिसमें उसका पूरा परिवार रहता है. कुएं में शव फंसा होने से कुआं मालिक ईश्वर सिंह का पूरा परिवार डर के साए में है और अपने घर से बाहर नहीं निकल पा रहा है. कुएं मालिक ने भी प्रशासन के सामने शव को बाहर निकालने की गुहार लगाई है.
10 दिनों से मृतक के परिजन बैठे हैं कुएं के पास
27 सितंबर से कुएं के मलबे में मुपाराम के दबने के बाद से ही उसका परिवार उस कुएं के पास ही बैठा है. लगातार वे भी प्रयास कर रहे हैं कि किसी भी प्रकार से मुपाराम का शव बाहर निकल जाए. लेकिन जिस कुएं में शव फंसा है, उसमें उतरना खतरे से खाली नहीं है. ऐसे में अभी भी परिजन अधिकारियों के आगे किसी भी प्रकार से शव निकालने की गुहार लगा रहे हैं.
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8 दिनों के बाद प्रभारी मंत्री की फटकार पर कलेक्टर और एसपी पहुंचे मौके पर
करीब 10 दिनों से श्रमिक का शव कुएं में फंसा हुआ है. इसमें प्रशासन की लापरवाही भी खासी सामने आई है. 10 दिनों से मानवीय संवेदनाओं को झंझोरने वाली घटना होने के बाद भी जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक मौके पर नहीं पहुंचे. जब शव निकालने की गुहार परिजन प्रभारी मंत्री के पास लेकर पहुंचे तो प्रभारी मंत्री द्वारा फटकार लगाने के बाद जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे. मौके की स्थिति का जायजा लेकर अधिकारियों को शव निकालने के निर्देश दिए.
8 से ज्यादा सीनियर इंजीनियर की टीम से की जा रही है चर्चा
जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक द्वारा मौका निरीक्षण करने के बाद पाली एवं जोधपुर के कई सीनियर इंजीनियर से इस कुएं से शव निकालने को लेकर चर्चा हुई है. अधिकारियों की टीम सुमेरपुर पहुंच भी चुकी है और जल्द ही एक बार फिर से शव को निकालने के सभी प्रयास किए जाएंगे. इसको लेकर एक बार फिर से मृतक परिवार की उम्मीद जागी है.