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जल के लिए जारी 'जंग' खत्म...बिना शर्त किसानों को पानी देने पर प्रशासन राजी

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Published : Oct 22, 2020, 5:39 PM IST

पाली जिले के सुमेरपुर में किसानों का पानी को लेकर महापड़ाव जारी था. किसानों से समझाइश के लिए प्रशासन की ओर से वार्ता की गई, लेकिन पहली दौर की वार्ता विफल रही. आखिरकार गुरुवार को दूसरे दौर की वार्ता प्रशासन और किसानों के बीच हुई. जिसमें प्रशासन ने किसानों की मांग को मानते हुए बिना शर्त 4000 एमसीएफटी पानी देने की सहमति जताई.

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4000 एमसीएफटी पानी किसानों को देने पर सहमत

पाली. पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े बांध जवाई से सिंचाई के लिए 4000 एमसीएफटी पानी की मांग को लेकर दूसरे दिन दोपहर तक किसानों का महापड़ाव जारी रहा. आखिर दोपहर में दूसरे दौर की वार्ता प्रशासन और किसानों के बीच हुई, जिसमें प्रशासन ने किसानों की मांग को मानते हुए बिना शर्त 4000 एमसीएफटी पानी देने पर सहमति जताई.

किसानों का महापड़ाव समाप्त

गौरतलब है कि बुधवार से किसानों ने पानी को लेकर महाराजा उपज कृषि मंडी में महापड़ाव शुरू किया था. जिसमें दिन भर महापड़ाव में प्रशासन और किसानों के बीच में पहले दौर की वार्ता विफल रही. वार्ता विफल होने पर किसानों ने सुमेरपुर शहर में शक्ति प्रदर्शन करते हुए शहर मुख्य मार्गों से जुलूस निकाला. किसानों ने मंडी परिसर में ही धरने पर बैठे और रात मंडी में बिताई. रात्रि विश्राम के बाद दूसरे दिन सुबह यानी गुरुवार को फिर से किसानों की संख्या महापड़ाव में बढ़ने लगी.

पढ़ेंः पालीः सुमेरपुर में किसानों का पानी को लेकर महापड़ाव जारी, पहले दौर की वार्ता विफल

उसके बाद दोपहर 12:00 बजे अतिरिक्त जिला कलेक्टर विरेंद्र सिंह चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बृजेश सोनी, उपखंड अधिकारी देवेंद्र कुमार यादव, जल संसाधन अधिशासी अभियंता चंद्रवीर सिंह उदावत और किसान प्रतिनिधियों के बीच में दूसरे दौर की वार्ता शुरू हुई. करीब आधे घंटे में इस समस्या का समाधान निकालते हुए आखिरकार किसानों को सिंचाई के लिए 4000 एमसीएफटी पानी बिना शर्त देने की सहमती बनी. अतिरिक्त जिला कलेक्टर विरेंद्र सिंह चौधरी ने किसानों के बीच पहुंच कर 4000 एमसीएफटी पानी बिना शर्त देने की घोषणा की. उसके बाद किसान संघर्ष समिति ने महापड़ाव खत्म करने घोषणा की.

किसानों और प्रशासन के बीच विवाद का कारण...

7 अक्टूबर को संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में जल वितरण समिति की बैठक वीसी के माध्यम से हुई. जिसमें सर्वसहमति से जवाई बांध से किसानों को 4000 एमसीएफटी पानी देने और शेष पानी पेयजल के लिए आरक्षित किया गया था. जबकि पानी निर्धारित करते समय संगम अध्यक्षों और जल संसाधन विभाग के बैठक में 3900 एमसीएफटी ही पानी देने पर किसानों ने बैठक का बहिष्कार कर शुरू किया.

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अतिरिक्त जिला कलेक्टर विरेंद्र सिंह चौधरी की किसानों से चर्चा

क्या था मामला...

दरअसल, पाली के सुमेरपुर में किसानों का पानी को लेकर महापड़ाव जारी था. जवाई जल वितरण कमेटी की बैठक में किसानों को सिंचाई के लिए दिए गए पानी में से 100 एमसीएफटी पानी कम देने का विरोध जताते हुए किसानों ने बुधवार को सुमेरपुर के स्थित महाराजा उम्मेद सिंह कृषि उपज मंडी परिसर मे महापड़ाव के साथ आंदोलन शुरू किया था.

पाली. पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े बांध जवाई से सिंचाई के लिए 4000 एमसीएफटी पानी की मांग को लेकर दूसरे दिन दोपहर तक किसानों का महापड़ाव जारी रहा. आखिर दोपहर में दूसरे दौर की वार्ता प्रशासन और किसानों के बीच हुई, जिसमें प्रशासन ने किसानों की मांग को मानते हुए बिना शर्त 4000 एमसीएफटी पानी देने पर सहमति जताई.

किसानों का महापड़ाव समाप्त

गौरतलब है कि बुधवार से किसानों ने पानी को लेकर महाराजा उपज कृषि मंडी में महापड़ाव शुरू किया था. जिसमें दिन भर महापड़ाव में प्रशासन और किसानों के बीच में पहले दौर की वार्ता विफल रही. वार्ता विफल होने पर किसानों ने सुमेरपुर शहर में शक्ति प्रदर्शन करते हुए शहर मुख्य मार्गों से जुलूस निकाला. किसानों ने मंडी परिसर में ही धरने पर बैठे और रात मंडी में बिताई. रात्रि विश्राम के बाद दूसरे दिन सुबह यानी गुरुवार को फिर से किसानों की संख्या महापड़ाव में बढ़ने लगी.

पढ़ेंः पालीः सुमेरपुर में किसानों का पानी को लेकर महापड़ाव जारी, पहले दौर की वार्ता विफल

उसके बाद दोपहर 12:00 बजे अतिरिक्त जिला कलेक्टर विरेंद्र सिंह चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बृजेश सोनी, उपखंड अधिकारी देवेंद्र कुमार यादव, जल संसाधन अधिशासी अभियंता चंद्रवीर सिंह उदावत और किसान प्रतिनिधियों के बीच में दूसरे दौर की वार्ता शुरू हुई. करीब आधे घंटे में इस समस्या का समाधान निकालते हुए आखिरकार किसानों को सिंचाई के लिए 4000 एमसीएफटी पानी बिना शर्त देने की सहमती बनी. अतिरिक्त जिला कलेक्टर विरेंद्र सिंह चौधरी ने किसानों के बीच पहुंच कर 4000 एमसीएफटी पानी बिना शर्त देने की घोषणा की. उसके बाद किसान संघर्ष समिति ने महापड़ाव खत्म करने घोषणा की.

किसानों और प्रशासन के बीच विवाद का कारण...

7 अक्टूबर को संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में जल वितरण समिति की बैठक वीसी के माध्यम से हुई. जिसमें सर्वसहमति से जवाई बांध से किसानों को 4000 एमसीएफटी पानी देने और शेष पानी पेयजल के लिए आरक्षित किया गया था. जबकि पानी निर्धारित करते समय संगम अध्यक्षों और जल संसाधन विभाग के बैठक में 3900 एमसीएफटी ही पानी देने पर किसानों ने बैठक का बहिष्कार कर शुरू किया.

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अतिरिक्त जिला कलेक्टर विरेंद्र सिंह चौधरी की किसानों से चर्चा

क्या था मामला...

दरअसल, पाली के सुमेरपुर में किसानों का पानी को लेकर महापड़ाव जारी था. जवाई जल वितरण कमेटी की बैठक में किसानों को सिंचाई के लिए दिए गए पानी में से 100 एमसीएफटी पानी कम देने का विरोध जताते हुए किसानों ने बुधवार को सुमेरपुर के स्थित महाराजा उम्मेद सिंह कृषि उपज मंडी परिसर मे महापड़ाव के साथ आंदोलन शुरू किया था.

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