कुचामनसिटी : बछ बारस पर महिलाओं ने गाय की बछड़े की पूजा कर अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना करते हुए विधिवत पूजा अर्चना की. इस दिन परिवार में सब्जी नहीं काटी जाती है. मक्का की रोटी गाय को खिलाई जाती है. महिलाओं ने भी मक्के की रोटी के व्यंजन बनाकर खाई. कुचामन शहर सहित क्षेत्र में महिलाओं ने गाय बछड़े की पूजा कर बच्छ बारस का पर्व मनाया गया. पर्व कर रही सुशीला देवी ने बताया कि बछ बारस पर महिलाएं गाय और बछड़े की पूजा करके अपने बच्चों की लंबी उम्र एव अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. महिलाएं इस दिन मक्का व ज्वार से बने आटे की रोटी व अन्य चीजें खाती हैं. गेहूं व अन्य चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसमें गाय बछड़ा और बाघ बाघिन की मूर्तियां बना कर उनकी पूजा की जाती है. व्रत के दिन बछड़े वाली गाय की पूजा कर कथा सुनी जाती है फिर प्रसाद ग्रहण किया जाता है.
आज महिलाओं ने व्रत व उपवास रखते हुए गाय व बछड़े की पूजा कर पुत्र की दीर्घायु व घर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की. वहीं महिलाओं ने सामूहिक रूप से कहानियां भी सुनी. महिलाओं ने दिनभर चाकू से कटे व अन्न का त्याग किया. उसकी जगह पर केवल मक्का, चना, मूंग और मोठ आदि खाने में काम लिया. महिलाएं पूजा सामग्री से सजी धजी थाली हाथ में लिए नए परिधान में गाय व बछड़े को चना, मुंग, मोठ, मक्का और दही खिलाकर एवं वस्त्र ओढ़ाकर पूजा अर्चना की. गाय के पूंछ को सिर पर लगाकर महिलाओं ने गाय बछड़े की परिक्रमा करते हुए पुत्र के लिए मंगल कामना की. महिलाओं ने मक्का की रोटी, मूंग, मोठ व चना बनाकर खाया. पौराणिक रीति रिवाजों के चलते चाकू का कटा हुआ खाने से परहेज रखा.
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जगह जगह पूजा करती दिखीं महिलाएं : बछ बारस के पावन अवसर पर शहर में जगह जगह महिलाएं सुबह से गाय व बछड़े की पूजा करती दिखाई दीं. महिलाएं सज धजकर पूजा की थाली हाथ में लिए समूह में पूजा करती दिखीं. मंगल गीत गाते हुए पूजा करने पहुंची महिलाओं ने पूजा के बाद समूह में बैठकर कहानियां भी सुनी.
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गोपालक को भेंट किए वस्त्र व अन्न : महिलाओं ने बछ बारस पर गाय व बछड़े की पुजा कर गोपालक को अन्न वस्त्र भेंट किए. गाय व बछड़े को गुड़ व लापसी खिलाई. वहीं शहर में अनेक स्थानों पर लोगों ने गायों को हरा चारा डाला.