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खसरा-रूबेला को मात देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कसी कमर...22 जुलाई से टीकाकरण अभियान की शुरूआत - rajasthan

नागौर में स्वास्थ्य विभाग की ओर से खसरा- रूबेला बीमारी से बचाव के लिए आगामी 22 जुलाई से टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा. करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले इस अभियान में दस लाख बच्चों को टीका लगाया जाएगा.

टीकाकरण अभियान 22 जुलाई से
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Published : May 4, 2019, 9:54 AM IST

नागौर. खसरा-रूबेला से बचाव के लिए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग बड़े पैमाने पर अभियान चलाने जा रहा है. इसका आगाज 22 जुलाई से होगा और करीब डेढ़ महीने तक यह अभियान चलेगा, लेकिन अभियान को सफल बनाने के लिए विभाग के अधिकारियों ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. जिलेभर के डॉक्टरों को इसकी तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दे दिए गए हैं.

सबसे पहले स्कूलों से की जाएगी शुरूआत

इस अभियान के तहत 9 माह से 15 साल तक के सभी बच्चों को खसरा-रूबेला से बचाव का टीका लगाया जाएगा. खास बात यह है कि इसके लिए सबसे पहले सरकारी और निजी स्कूलों में जाकर टीकाकरण किया जाएगा. बाकी बच्चों को घर-घर जाकर टीका लगाया जाएगा. दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बच्चे टीकाकरण से वंचित न रहे, इसके लिए मोबाइल टीम का गठन भी किया जाएगा.

टीकाकरण अभियान 22 जुलाई से

नागौर सीएमएचओ डॉ. सुकुमार कश्यप ने बताया कि 22 जुलाई से नागौर जिले में खसरा-रूबेला से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा. आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के 10 लाख से ज्यादा बच्चों को यह टीका लगाया जाएगा.

40 साल से लगाया जा रहा टीका

डॉ. कश्यप का कहना है कि खसरा-रूबेला का टीका बहुत सुरक्षित टीका है. पिछले 40 साल से इसका उपयोग किया जा रहा है. भारत के अलावा विश्व के करोड़ों बच्चों को यह टीका लगाया जा रहा है. देश के 29 राज्यों में विभिन्न चरणों में यह अभियान सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है.

जानिए, कितनी खतरनाक है यह बीमारी
डॉ. कश्यप ने बताया कि खसरा एक जानलेवा संक्रामक बीमारी है, जो वायरस से फैलता है. देश में इस बीमारी के कारण हर साल करीब 50 हजार बच्चों की जान चली जाती है. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं में रूबेला रोग होने से जन्मजात रूबेला सिंड्रोम हो सकता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक साबित होता है. इससे गर्भपात, समय से पूर्व प्रसव या मरा हुआ बच्चा पैदा होने की संभावनाएं बढ़ जाती है. जन्म के बाद बच्चे में मोतियाबिंद, बहरापन की भी समस्या हो सकती है. इन दोनों बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है.

नागौर. खसरा-रूबेला से बचाव के लिए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग बड़े पैमाने पर अभियान चलाने जा रहा है. इसका आगाज 22 जुलाई से होगा और करीब डेढ़ महीने तक यह अभियान चलेगा, लेकिन अभियान को सफल बनाने के लिए विभाग के अधिकारियों ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है. जिलेभर के डॉक्टरों को इसकी तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दे दिए गए हैं.

सबसे पहले स्कूलों से की जाएगी शुरूआत

इस अभियान के तहत 9 माह से 15 साल तक के सभी बच्चों को खसरा-रूबेला से बचाव का टीका लगाया जाएगा. खास बात यह है कि इसके लिए सबसे पहले सरकारी और निजी स्कूलों में जाकर टीकाकरण किया जाएगा. बाकी बच्चों को घर-घर जाकर टीका लगाया जाएगा. दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बच्चे टीकाकरण से वंचित न रहे, इसके लिए मोबाइल टीम का गठन भी किया जाएगा.

टीकाकरण अभियान 22 जुलाई से

नागौर सीएमएचओ डॉ. सुकुमार कश्यप ने बताया कि 22 जुलाई से नागौर जिले में खसरा-रूबेला से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा. आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के 10 लाख से ज्यादा बच्चों को यह टीका लगाया जाएगा.

40 साल से लगाया जा रहा टीका

डॉ. कश्यप का कहना है कि खसरा-रूबेला का टीका बहुत सुरक्षित टीका है. पिछले 40 साल से इसका उपयोग किया जा रहा है. भारत के अलावा विश्व के करोड़ों बच्चों को यह टीका लगाया जा रहा है. देश के 29 राज्यों में विभिन्न चरणों में यह अभियान सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है.

जानिए, कितनी खतरनाक है यह बीमारी
डॉ. कश्यप ने बताया कि खसरा एक जानलेवा संक्रामक बीमारी है, जो वायरस से फैलता है. देश में इस बीमारी के कारण हर साल करीब 50 हजार बच्चों की जान चली जाती है. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं में रूबेला रोग होने से जन्मजात रूबेला सिंड्रोम हो सकता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक साबित होता है. इससे गर्भपात, समय से पूर्व प्रसव या मरा हुआ बच्चा पैदा होने की संभावनाएं बढ़ जाती है. जन्म के बाद बच्चे में मोतियाबिंद, बहरापन की भी समस्या हो सकती है. इन दोनों बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है.

Intro:नागौर. खसरा-रूबेला से बचाव के लिए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग बड़े पैमाने पर अभियान चलाने जा रहा है। इसका आगाज 22 जुलाई से होगा और करीब डेढ़ महीने तक यह अभियान चलेगा। लेकिन अभियान को सफल बनाने के लिए विभाग के अधिकारियों ने तैयारियां शुरू कर दी है। जिलेभर के डॉक्टरों को इसकी तैयारियां सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। इस अभियान के तहत 9 माह से 15 साल तक के सभी बच्चों को खसरा-रूबेला से बचाव का टीका लगाया जाएगा। खास बात यह है कि इसके लिए सबसे पहले सरकारी और निजी स्कूलों में जाकर टीकाकरण किया जाएगा। बाकी बच्चों को घर-घर जाकर टीका लगाया जाएगा। दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बच्चे टीकाकरण से वंचित न रहे। इसके लिए मोबाइल टीम का गठन भी किया जाएगा।


Body:नागौर सीएमएचओ डॉ. सुकुमार कश्यप ने बताया कि 22 जुलाई से नागौर जिले में खसरा रूबेला से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। इसमें जिले की 30 प्रतिशत आबादी को टीका लगाया जाएगा। आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के 10 लाख से ज्यादा बच्चों को यह टीका लगाया जाएगा।
डॉ. कश्यप का कहना है कि खसरा-रूबेला का टीका बहुत सुरक्षित टीका है। पिछले 40 साल से इसका उपयोग किया जा रहा है। भारत के अलावा विश्व के करोड़ों बच्चों को यह टीका लगाया जा रहा है। देश के 29 राज्यों में विभिन्न चरणों में यह अभियान सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है।
जानिए, कितनी खतरनाक है यह बीमारियां
डॉ. कश्यप ने बताया कि खसरा एक जानलेवा संक्रामक बीमारी है। जो वायरस से फैलता है। देश में इस बीमारी के कारण हर साल करीब 50 हजार बच्चों की जान चली जाती है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं में रूबेला रोग होने से जन्मजात रूबेला सिंड्रोम हो सकता है। जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे गर्भपात, समय से पूर्व प्रसव या मरा हुआ बच्चा पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है। जन्म के बाद बच्चे में मोतियाबिंद, बहरापन की भी समस्या हो सकती है। इन दोनों बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है।
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बाइट- डॉ. सुकुमार कश्यप, सीएमएचओ।


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