नागौर. सांभर झील में विदेशी पक्षियों के शव मिलने का सिलसिला फिलहाल थम नहीं रहा है. यहां मिलने वाले शवों को वन विभाग के कर्मचारियों और एनजीओ के स्वयंसेवकों की ओर से दफनाया जा रहा है. इस बीच जांच में यह सामने आया है कि पक्षियों की मौत बर्ड फ्लू से नहीं बल्कि बोटूलिज्म से हुई है.
वहीं, जांच में सामने आया है कि झील में कुछ पक्षियों के मरने के बाद उनके शव में जीवाणु पनप गए थे और उन पक्षियों को खाने के कारण दूसरे पक्षियों में यह बीमारी हुई है. विशेषज्ञों के अनुसार मारे गए ज्यादातर पक्षी मांसाहारी हैं. इस बीमारी में लकवे के कारण पहले पक्षियों के पैर खराब हो जाते हैं और फिर धीरे-धीरे उनके पूरे शरीर को लकवा अपनी चपेट में ले लेता है.
वहीं, अगर इन पक्षियों की मौत का कारण बर्ड फ्लू होता तो 90 वर्ग मील क्षेत्र में फैली सांभर झील में फ्लू को रोकने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ सकती थी. इसके साथ ही इस बीमारी का आसपास के पक्षियों और इंसानों में फैलने का भी खतरा हो सकता था. लेकिन अब इन पक्षियों के मौत का कारण सामने आ गया है.
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वहीं, ईटीवी भारत की ओर से इस मुद्दे को प्रमुख्ता से दिखाए जाने के बाद अब पशु पालन विभाग और वन विभाग की तरफ से बीमार पक्षियों के उपचार के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाए जा रहे हैं. साथ ही मृत पक्षियों के शवों को पानी से बाहर निकलकर दफनाने के लिए भी 14 टीमों का गठन किया गया है. हालांकि, पक्षियों की मौत के आंकड़े को लेकर अभी तक भी कोई अधिकारी साफ तौर पर कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है.
जयपुर कलेक्टर जगरूप सिंह यादव का कहना है कि यहां 3 से 4 हजार पक्षियों की मौत हुई हैं, जिनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं. जबकि, पक्षी प्रेमियों का दावा है कि यहां अब तक 10 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है.