ETV Bharat / state

Special : देश की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी का भरने लगा 'घाव'...सांभर में फिर गूंजने लगा प्रवासी पक्षियों का कलरव - नागौर न्यूज

खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर में देश की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी के 'घाव' एक साल बाद धीरे-धीरे भरने लगे हैं. सांभर में प्रवासी परिंदों की कलरव एक बार फिर गूंजने लगी है. शरद ऋतु के साथ ही प्रवासी पक्षी सांभर और नालियासर झील में फिर से डेरा जमाने लगे हैं. पक्षी त्रासदी जैसी किसी भी घटना से निपटने के लिए वन विभाग और पशुपालन विभाग द्वारा पुख्ता इंतजाम करने का दावा किया गया है. देखिये नागौर से ये खास रिपोर्ट...

sambar bird tragedy, sambhar lake story, rajasthan news, nagaur news
पक्षी त्रासदी जैसी किसी भी घटना से निपटने के लिए वन विभाग और पशुपालन विभाग द्वारा पुख्ता इंतजाम किए हैं.
author img

By

Published : Nov 11, 2020, 4:40 PM IST

नागौर. खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर (Sambhar Lake) में हजारों परिंदों की मौत का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता. देश की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी (Sambar Bird Tragedy) के उस दर्दनाक मंजर को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप उठती है. इस घटना को एक साल होने को है और अब धीरे-धीरे पक्षी त्रासदी के घाव भरने लगे हैं. विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में प्रवासी परिंदों (Birds in Sambhar Lake) की कलरव एक बार फिर गूंजने लगी है. शरद ऋतु के साथ ही प्रवासी पक्षी सांभर और नालियासर झील में फिर से डेरा जमाने लगे हैं. एक साल पहले हुई पक्षी त्रासदी जैसी किसी भी घटना से निपटने के लिए वन विभाग और पशुपालन विभाग द्वारा पुख्ता इंतजाम करने का दावा किया गया है. वन विभाग की ओर से सांभर झील से सटे रतन तालाब पर अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाकर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. काचरोदा गांव में बनी वन विभाग की नर्सरी में भी एक रेस्क्यू सेंटर स्थापित किया गया है.

सांभर झील में प्रवासी परिंदों की कलरव...

यह भी पढ़ें: NEWS TODAY: आज की बड़ी सुर्खियां, जिन पर रहेंगी सबकी निगाहें

30 हजार पक्षी बने थे काल के ग्रास...

पिछले साल नवंबर के पहले सप्ताह में सांभर झील के रतन तालाब के आस पास के इलाकों में सबसे पहले पक्षियों की मौत की जानकारी सामने आई थी. इसके बाद परिंदों की मौत का सिलसिला लगातार बढ़ने लगा और करीब 270 वर्ग किलोमीटर में फैली झील के हर कोने में पक्षियों के शव मिलने लगे. इस त्रासदी में मारे गए हजारों पक्षियों के शव पानी से निकालकर उन्हें वहीं दफनाया गया. जहां तक नजर जाए, वहां तक पक्षियों की कब्र ही कब्र​ देखी जा सकती थी.

sambar bird tragedy, sambhar lake story, rajasthan news, nagaur news
ऐसी किसी भी घटना से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम का दावा...

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस पक्षी त्रासदी में करीब 30 हजार पक्षियों की मौत हुई थी, जबकि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के अनुसार एक लाख से ज्यादा परिंदों की मौत हुई. कई स्तर पर जांच के बाद सामने आया कि एवियन बोटूलिज्म नाम के जीवाणु के कारण सांभर झील में हजारों पक्षी काल के ग्रास बन गए.

यह भी पढ़ें: गुर्जर आंदोलन : वार्ता के लिए राजी कर्नल बैंसला 12 बजे जयपुर में CM गहलोत से मिलेंगे

क्यों आते हैं प्रवासी पक्षी?

बता दें कि सांभर झील के खारे पानी में मिलने वाली नील हरित शैवाल कई पक्षियों के लिए पौष्टिक आहार मानी जाती है. इसके साथ ही 270 वर्ग किलोमीटर के सुनसान इलाके में सुरक्षित प्रवास की परिस्थितियों के कारण सांभर झील न केवल स्थानीय बल्कि प्रवासी पक्षियों की भी सालों से पसंदीदा प्रवास स्थल बना हुआ है. लेसर और ग्रेटर फ्लेमिंगो के साथ ही करीब दो दर्जन प्रजातियों के विदेशी पक्षी भी सांभर झील के छिछले पानी में अक्टूबर से फरवरी-मार्च तक प्रवास करते हैं. लेकिन पिछले साल हुई पक्षी त्रासदी के बाद सांभर झील में पक्षियों के सुरक्षित प्रवास पर कई सवाल उठने लगे. इस साल कम बारिश के कारण झील का ज्यादातर इलाका सूखा पड़ा है, लेकिन जिन इलाकों में पानी भरा है वहां अब प्रवासी पक्षियों का जमघट लगने लगा है. नालियासर झील में भी इस बार प्रवासी पक्षियों की खासी संख्या देखी जा रही है.

sambar bird tragedy, sambhar lake story, rajasthan news, nagaur news
अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाकर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है...

यह भी पढ़ें: श्रीगंगानगर में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास जाली नोट के साथ पकड़ी पूरी गैंग, नकली नोटों की खेप बरामद

रेस्क्यू सेंटर से हो रही मॉनिटरिंग...

वन विभाग के क्षेत्रीय वन अधिकारी राजेंद्र सिंह जाखड़ का कहना है कि आमतौर पर अक्टूबर में विदेशी पक्षियों का सांभर झील में प्रवास शुरू हो जाता है. इस बार अक्टूबर के आखिरी दिनों में पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ है. पिछले साल जैसी किसी घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए वन विभाग के कर्मचारी स्थानीय पक्षी प्रेमियों और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर नियमित रूप से झील के इलाके में गश्त कर रहे हैं. अभी तक पक्षियों में किसी भी तरह के संक्रमण या बीमारी के लक्षण नहीं मिले हैं. रतन तालाब के पास एक अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाया गया है, जहां वन विभाग के 9 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जो लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. काचरोदा नर्सरी में भी चार पिंजरे लगाकर रेस्क्यू और उपचार की व्यवस्था की गई है.

नागौर. खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर (Sambhar Lake) में हजारों परिंदों की मौत का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता. देश की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी (Sambar Bird Tragedy) के उस दर्दनाक मंजर को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप उठती है. इस घटना को एक साल होने को है और अब धीरे-धीरे पक्षी त्रासदी के घाव भरने लगे हैं. विश्व प्रसिद्ध सांभर झील में प्रवासी परिंदों (Birds in Sambhar Lake) की कलरव एक बार फिर गूंजने लगी है. शरद ऋतु के साथ ही प्रवासी पक्षी सांभर और नालियासर झील में फिर से डेरा जमाने लगे हैं. एक साल पहले हुई पक्षी त्रासदी जैसी किसी भी घटना से निपटने के लिए वन विभाग और पशुपालन विभाग द्वारा पुख्ता इंतजाम करने का दावा किया गया है. वन विभाग की ओर से सांभर झील से सटे रतन तालाब पर अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाकर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. काचरोदा गांव में बनी वन विभाग की नर्सरी में भी एक रेस्क्यू सेंटर स्थापित किया गया है.

सांभर झील में प्रवासी परिंदों की कलरव...

यह भी पढ़ें: NEWS TODAY: आज की बड़ी सुर्खियां, जिन पर रहेंगी सबकी निगाहें

30 हजार पक्षी बने थे काल के ग्रास...

पिछले साल नवंबर के पहले सप्ताह में सांभर झील के रतन तालाब के आस पास के इलाकों में सबसे पहले पक्षियों की मौत की जानकारी सामने आई थी. इसके बाद परिंदों की मौत का सिलसिला लगातार बढ़ने लगा और करीब 270 वर्ग किलोमीटर में फैली झील के हर कोने में पक्षियों के शव मिलने लगे. इस त्रासदी में मारे गए हजारों पक्षियों के शव पानी से निकालकर उन्हें वहीं दफनाया गया. जहां तक नजर जाए, वहां तक पक्षियों की कब्र ही कब्र​ देखी जा सकती थी.

sambar bird tragedy, sambhar lake story, rajasthan news, nagaur news
ऐसी किसी भी घटना से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम का दावा...

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस पक्षी त्रासदी में करीब 30 हजार पक्षियों की मौत हुई थी, जबकि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के अनुसार एक लाख से ज्यादा परिंदों की मौत हुई. कई स्तर पर जांच के बाद सामने आया कि एवियन बोटूलिज्म नाम के जीवाणु के कारण सांभर झील में हजारों पक्षी काल के ग्रास बन गए.

यह भी पढ़ें: गुर्जर आंदोलन : वार्ता के लिए राजी कर्नल बैंसला 12 बजे जयपुर में CM गहलोत से मिलेंगे

क्यों आते हैं प्रवासी पक्षी?

बता दें कि सांभर झील के खारे पानी में मिलने वाली नील हरित शैवाल कई पक्षियों के लिए पौष्टिक आहार मानी जाती है. इसके साथ ही 270 वर्ग किलोमीटर के सुनसान इलाके में सुरक्षित प्रवास की परिस्थितियों के कारण सांभर झील न केवल स्थानीय बल्कि प्रवासी पक्षियों की भी सालों से पसंदीदा प्रवास स्थल बना हुआ है. लेसर और ग्रेटर फ्लेमिंगो के साथ ही करीब दो दर्जन प्रजातियों के विदेशी पक्षी भी सांभर झील के छिछले पानी में अक्टूबर से फरवरी-मार्च तक प्रवास करते हैं. लेकिन पिछले साल हुई पक्षी त्रासदी के बाद सांभर झील में पक्षियों के सुरक्षित प्रवास पर कई सवाल उठने लगे. इस साल कम बारिश के कारण झील का ज्यादातर इलाका सूखा पड़ा है, लेकिन जिन इलाकों में पानी भरा है वहां अब प्रवासी पक्षियों का जमघट लगने लगा है. नालियासर झील में भी इस बार प्रवासी पक्षियों की खासी संख्या देखी जा रही है.

sambar bird tragedy, sambhar lake story, rajasthan news, nagaur news
अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाकर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है...

यह भी पढ़ें: श्रीगंगानगर में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास जाली नोट के साथ पकड़ी पूरी गैंग, नकली नोटों की खेप बरामद

रेस्क्यू सेंटर से हो रही मॉनिटरिंग...

वन विभाग के क्षेत्रीय वन अधिकारी राजेंद्र सिंह जाखड़ का कहना है कि आमतौर पर अक्टूबर में विदेशी पक्षियों का सांभर झील में प्रवास शुरू हो जाता है. इस बार अक्टूबर के आखिरी दिनों में पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ है. पिछले साल जैसी किसी घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए वन विभाग के कर्मचारी स्थानीय पक्षी प्रेमियों और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर नियमित रूप से झील के इलाके में गश्त कर रहे हैं. अभी तक पक्षियों में किसी भी तरह के संक्रमण या बीमारी के लक्षण नहीं मिले हैं. रतन तालाब के पास एक अस्थाई रेस्क्यू सेंटर बनाया गया है, जहां वन विभाग के 9 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जो लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. काचरोदा नर्सरी में भी चार पिंजरे लगाकर रेस्क्यू और उपचार की व्यवस्था की गई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.