ETV Bharat / state

Special: नागौर में किसान औने-पौने दाम पर मूंग बेचने को मजबूर, क्या MSP पर खरीद हुई फेल?

भले ही केंद्र सरकार फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाकर किसानों को राहत पहुंचाने की बात कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नागौर में 1 नवंबर से 15 केंद्रों पर मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू हुई.

green pulse, farmers news, rajasthan news
नागौर में समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद की जमीनी हकीकत.
author img

By

Published : Nov 23, 2020, 12:10 PM IST

नागौर. भले ही केंद्र सरकार फसलों का समर्थन मूल्य ( Crops Minimum Support Price ) बढ़ाकर किसानों को राहत पहुंचाने की बात कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नागौर ( Nagaur Farmers ) में 1 नवंबर से 15 केंद्रों पर मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू हुई. बीते 20 दिन में महज 171 किसान समर्थन मूल्य पर अपनी मूंग की फसल बेच पाए. इन किसानों से 3,952.5 क्विंटल मूंग की खरीद समर्थन मूल्य पर की गई है. जबकि, 4 हजार 793 किसानों को मूंग की खरीद के लिए तारीख का आवंटन किया जा चुका है. हालांकि, नागौर सहित जिले की सभी मंडियों में मूंग की बंपर आवक हो रही है और मंडियों में मूंग की जमकर खरीद-फरोख्त भी हो रही है. लेकिन, समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद अब तक जोर नहीं पकड़ पाई है.

नागौर में समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद ने नहीं पकड़ी रफ्तार.

आनाकानी कर रहे अधिकारी

गोवा कलां गांव के किसान उदयराम का कहना है कि उन्हें जिस दिन खरीद केंद्र आने का मैसेज मिला. वह अपने मूंग ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर खरीद केंद्र पर आ गए, जहां उन्हें पहले सैंपल पास करवाने को कहा गया. खरीद को लेकर सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है. उनका दावा है कि उनके खेत का मूंग उच्च गुणवत्ता का है, फिर भी इसे खरीदने को लेकर अधिकारी साफ तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं. जब हम माल लेकर आ गए तो सैंपल पास करवाने को कहा जा रहा है. सैंपल लेकर जाने पर स्टाफ की कमी का बहाना बनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: SPECIAL : उपभोक्ता अब ऑनलाइन देख सकेंगे अपने मीटर की रीडिंग, रिमोट कंट्रोल के जरिए भी कर सकेंगे मॉनिटर

अच्छी गुणवत्ता के मूंग को भी दरकिनार!

भाकरोद गांव से मंडी में मूंग बेचने आए किसान हनुमान सिंह भाकल सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े करते हैं. उनका कहना है कि समर्थन मूल्य पर खरीद के नाम पर सरकार केवल ढिंढोरा पीट रही है, जबकि हकीकत में 10 फीसदी किसानों से भी मूंग की खरीद नहीं की जा रही है. किसानों के मूंग में कोई न कोई कमी बताकर उसे रिजेक्ट किया जा रहा है. उनकी मांग है कि जिस तरह पिछले साल कोटा इलाके में बारिश से खराब हुए गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए सरकार ने कुछ रियायतें दी थी. उसी तरह मूंग की खरीद के लिए भी रियायतें दी जाए, क्योंकि इस साल जब मूंग की फसल पकने की कगार पर थी. तब बारिश और खराब मौसम के कारण मूंग के दाने काले पड़ गए.

green pulse, farmers news, rajasthan news
किसान मंडियों में मूंग बेचने को मजबूर.

अब ऐसे दानों को सरकारी खरीद केंद्र पर रिजेक्ट किया जा रहा है. यह माल बाजार में 6000-6500 रुपए में बिक रहा है. जबकि मूंग का समर्थन मूल्य सरकार ने 7196 रुपए तय कर रखा है. नागौर खरीद केंद्र के प्रभारी रामनिवास सिंवर का कहना है कि खरीद एजेंसी नैफेड द्वारा तय किए गए मापदंड के अनुसार ही खरीद की जा रही है. किसानों को माल लाने और ले जाने में कोई दिक्कत नहीं हो, इसलिए पहले उनसे 100 ग्राम का सैंपल मंगवाया जा रहा है. इसमें यदि 3 फीसदी से कम डेमेज होता है तो मूंग की खरीद की जा रही है. सैंपल में 3 फीसदी से ज्यादा डेमेज होने पर सैंपल रिजेक्ट किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: Special : स्मार्ट सिटी जयपुर की पेयजल व्यवस्था की तस्वीर...साईकिल से पानी ढोने को मजबूर लोग

क्यों नहीं हो रही खरीदी?

नागौर जिले में मूंग की बंपर पैदावार के बावजूद समर्थन मूल्य पर मूंग की कम खरीद पर सहकारी समितियों के उप रजिस्ट्रार जयपाल गोदारा बताते हैं कि इस बार अच्छी गुणवत्ता के मूंग का बाजार भाव अच्छा मिल रहा है. मंडी में अच्छी गुणवत्ता का मूंग 7500 से 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. इसलिए अच्छी क्वालिटी का मूंग किसान मंडी में बेच रहे हैं. जबकि, कमजोर गुणवत्ता का मूंग किसान सरकारी खरीद केंद्र पर ला रहे हैं. इसलिए ज्यादा सैंपल रिजेक्ट हो रहे हैं. उनका कहना है कि मूंग की फसल के पकने के समय हुई बारिश के चलते फसल खराब भी हुई है. ऐसे किसानों को राहत देने के लिए उच्चाधिकारियों से पत्र व्यवहार किया जा रहा है.

green pulse, farmers news, rajasthan news
किसानों ने सरकार पर लगाया आरोप.

यह भी पढ़ें: मंत्री अशोक चांदना के वायरल ऑडियो पर भड़की सियासत..राठौड़, दिलावर और गोठवाल ने की बर्खास्तगी की मांग

समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद करने वाली एजेंसी नैफेड के प्रतिनिधि हर्ष बताते हैं कि फिलहाल जो गाइड लाइन तय की गई है. उसी के अनुरूप खरीद की जा रही है. यदि हम कमजोर गुणवत्ता का मूंग खरीद भी लेंगे तो वह माल वेयर हाउस में जमा नहीं होगा और उसका भुगतान किसानों को नहीं मिल पाएगा. ऐसे में यदि सरकार के स्तर पर किसानों को मूंग खरीद में कुछ राहत देने का फैसला लिया जाता है, तो ही खरीद केंद्र पर खरीदे जाने वाले मूंग की गुणवत्ता को लेकर किसानों को कुछ राहत दी जा सकेगी.

नागौर. भले ही केंद्र सरकार फसलों का समर्थन मूल्य ( Crops Minimum Support Price ) बढ़ाकर किसानों को राहत पहुंचाने की बात कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. नागौर ( Nagaur Farmers ) में 1 नवंबर से 15 केंद्रों पर मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू हुई. बीते 20 दिन में महज 171 किसान समर्थन मूल्य पर अपनी मूंग की फसल बेच पाए. इन किसानों से 3,952.5 क्विंटल मूंग की खरीद समर्थन मूल्य पर की गई है. जबकि, 4 हजार 793 किसानों को मूंग की खरीद के लिए तारीख का आवंटन किया जा चुका है. हालांकि, नागौर सहित जिले की सभी मंडियों में मूंग की बंपर आवक हो रही है और मंडियों में मूंग की जमकर खरीद-फरोख्त भी हो रही है. लेकिन, समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद अब तक जोर नहीं पकड़ पाई है.

नागौर में समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद ने नहीं पकड़ी रफ्तार.

आनाकानी कर रहे अधिकारी

गोवा कलां गांव के किसान उदयराम का कहना है कि उन्हें जिस दिन खरीद केंद्र आने का मैसेज मिला. वह अपने मूंग ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर खरीद केंद्र पर आ गए, जहां उन्हें पहले सैंपल पास करवाने को कहा गया. खरीद को लेकर सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है. उनका दावा है कि उनके खेत का मूंग उच्च गुणवत्ता का है, फिर भी इसे खरीदने को लेकर अधिकारी साफ तौर पर कुछ नहीं कह रहे हैं. जब हम माल लेकर आ गए तो सैंपल पास करवाने को कहा जा रहा है. सैंपल लेकर जाने पर स्टाफ की कमी का बहाना बनाया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: SPECIAL : उपभोक्ता अब ऑनलाइन देख सकेंगे अपने मीटर की रीडिंग, रिमोट कंट्रोल के जरिए भी कर सकेंगे मॉनिटर

अच्छी गुणवत्ता के मूंग को भी दरकिनार!

भाकरोद गांव से मंडी में मूंग बेचने आए किसान हनुमान सिंह भाकल सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े करते हैं. उनका कहना है कि समर्थन मूल्य पर खरीद के नाम पर सरकार केवल ढिंढोरा पीट रही है, जबकि हकीकत में 10 फीसदी किसानों से भी मूंग की खरीद नहीं की जा रही है. किसानों के मूंग में कोई न कोई कमी बताकर उसे रिजेक्ट किया जा रहा है. उनकी मांग है कि जिस तरह पिछले साल कोटा इलाके में बारिश से खराब हुए गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए सरकार ने कुछ रियायतें दी थी. उसी तरह मूंग की खरीद के लिए भी रियायतें दी जाए, क्योंकि इस साल जब मूंग की फसल पकने की कगार पर थी. तब बारिश और खराब मौसम के कारण मूंग के दाने काले पड़ गए.

green pulse, farmers news, rajasthan news
किसान मंडियों में मूंग बेचने को मजबूर.

अब ऐसे दानों को सरकारी खरीद केंद्र पर रिजेक्ट किया जा रहा है. यह माल बाजार में 6000-6500 रुपए में बिक रहा है. जबकि मूंग का समर्थन मूल्य सरकार ने 7196 रुपए तय कर रखा है. नागौर खरीद केंद्र के प्रभारी रामनिवास सिंवर का कहना है कि खरीद एजेंसी नैफेड द्वारा तय किए गए मापदंड के अनुसार ही खरीद की जा रही है. किसानों को माल लाने और ले जाने में कोई दिक्कत नहीं हो, इसलिए पहले उनसे 100 ग्राम का सैंपल मंगवाया जा रहा है. इसमें यदि 3 फीसदी से कम डेमेज होता है तो मूंग की खरीद की जा रही है. सैंपल में 3 फीसदी से ज्यादा डेमेज होने पर सैंपल रिजेक्ट किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: Special : स्मार्ट सिटी जयपुर की पेयजल व्यवस्था की तस्वीर...साईकिल से पानी ढोने को मजबूर लोग

क्यों नहीं हो रही खरीदी?

नागौर जिले में मूंग की बंपर पैदावार के बावजूद समर्थन मूल्य पर मूंग की कम खरीद पर सहकारी समितियों के उप रजिस्ट्रार जयपाल गोदारा बताते हैं कि इस बार अच्छी गुणवत्ता के मूंग का बाजार भाव अच्छा मिल रहा है. मंडी में अच्छी गुणवत्ता का मूंग 7500 से 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. इसलिए अच्छी क्वालिटी का मूंग किसान मंडी में बेच रहे हैं. जबकि, कमजोर गुणवत्ता का मूंग किसान सरकारी खरीद केंद्र पर ला रहे हैं. इसलिए ज्यादा सैंपल रिजेक्ट हो रहे हैं. उनका कहना है कि मूंग की फसल के पकने के समय हुई बारिश के चलते फसल खराब भी हुई है. ऐसे किसानों को राहत देने के लिए उच्चाधिकारियों से पत्र व्यवहार किया जा रहा है.

green pulse, farmers news, rajasthan news
किसानों ने सरकार पर लगाया आरोप.

यह भी पढ़ें: मंत्री अशोक चांदना के वायरल ऑडियो पर भड़की सियासत..राठौड़, दिलावर और गोठवाल ने की बर्खास्तगी की मांग

समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद करने वाली एजेंसी नैफेड के प्रतिनिधि हर्ष बताते हैं कि फिलहाल जो गाइड लाइन तय की गई है. उसी के अनुरूप खरीद की जा रही है. यदि हम कमजोर गुणवत्ता का मूंग खरीद भी लेंगे तो वह माल वेयर हाउस में जमा नहीं होगा और उसका भुगतान किसानों को नहीं मिल पाएगा. ऐसे में यदि सरकार के स्तर पर किसानों को मूंग खरीद में कुछ राहत देने का फैसला लिया जाता है, तो ही खरीद केंद्र पर खरीदे जाने वाले मूंग की गुणवत्ता को लेकर किसानों को कुछ राहत दी जा सकेगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.