कुचामनसिटी. परबतसर विधानसभा चुनाव को लेकर तीनों बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अब त्रिकोणीय मुकाबला होने की स्थिति साफ हो गई है. इस सीट पर आरएलपी ने कांग्रेस छोड़कर आए लच्छाराम बड़ारड़ा को उम्मीदवार घोषित कर समीकरण बदल दिया है. यहां भाजपा ने मानसिंह किनसरिया तो कांग्रेस ने रामनिवास गावड़िया को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, अब आरएलपी ने बड़े चेहरे को मैदान में उतार दिया है, जिससे मुकाबला टक्कर का माना जा रहा है.
वहीं, बसपा सहित अन्य दल भी यहां अपने उम्मीदवार घोषित करने को लेकर बैठकें कर रहे हैं. रालोपा के साथ आजाद पार्टी का गठबंधन होने से क्षेत्र में भाजपा व कांग्रेस के सामने रालोपा को संबल मिलेगा. लच्छाराम बड़ारड़ा तीसरी बार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इससे परबतसर की राजनीति में बड़ा उलटफेर होने की संभावना है. इससे पहले बड़ारड़ा निर्दलीय तथा दूसरी बार कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं.
लच्छाराम मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी : आरएलपी ने लच्छाराम बड़ारड़ा को परबतसर विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया है. लच्छाराम बड़ारड़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काफी करीबी माने जाते हैं. इस बात की भी चर्चा है कि कहीं यह समीकरण पायलट गुट के रामनिवास गावड़िया को मात देने के लिए तो नहीं बनाया गया है, क्योंकि वर्तमान विधायक रामनिवास पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट के माने जाते हैं.
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10 बार SC वर्ग के लोग विधायक बने : सन 1951 में अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट पर आरआरपी के मदन मोहन पहले विधायक बने थे. इसके बाद से 7 बार कांग्रेस तो चार बार भाजपा जीत चुकी है, लेकिन चार बार अन्य दल भी यहां जीत चुके हैं. यहां 2018 में कांग्रेस के रामनिवास गावड़िया युवा चेहरा होने के कारण चुनाव जीत गए थे. वहीं, भाजपा ने मजबूती बनाए रखने के लिए इस बार मानसिंह किनसरिया को मैदान में उतारने के साथ ही कांग्रेस को पटखनी देने के प्रयास शुरू किया है, लेकिन कांग्रेस छोड़कर रालोपा में शामिल हुए लच्छाराम बड़ारड़ा ने यहां मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है.
बड़ारड़ा के साथ भाजपा के बागी नेता तो कांग्रेस के कई लोग रालोपा में आए हैं. ऐसे में तीनों पार्टियां यहां टक्कर में रहेंगी. वहीं बसपा, भी अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है. इस सीट पर 1951 के बाद अब तक 10 एससी के विधायक बन चुके हैं, जबकि पांच बार सामान्य वर्ग के प्रत्याशी चुनाव जीते हैं.