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सियासत के गढ़ नागौर में राजनीतिक घरानों की नई पीढ़ी हुई एक्टिव - Ramniwas mirdha

नागौर की राजनीति के भीष्म पिता माने जाने वाले नाथूराम मिर्धा का लम्बे समय तक दबदबा रहा. अब उनकी पोती ज्योति मिर्धा उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं.

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Published : Mar 27, 2019, 8:44 PM IST

नागौर. आजादी के बाद से ही प्रदेश और देश की सियासत में नागौर का मजबूत दखल रहा है. एक लंबे अरसे तक नागौर की राजनीति में मिर्धा परिवार का दबदबा रहा. इसी बीच कई नेताओं ने मिर्धा परिवार की सत्ता को चुनौती दी. वंशानुगत राजनीति की फेहरिस्त में अब मिर्धा परिवार के अलावा अन्य परिवार भी अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. इस नई पीढ़ी के कई नेता चुनाव लड़कर जीत भी चुके हैं.

नागौर की राजनीति के भीष्म पिता माने जाने वाले नाथूराम मिर्धा का लम्बे समय तक दबदबा रहा. अब उनकी पोती ज्योति मिर्धा उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. जबकि रामनिवास मिर्धा की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे हरेंद्र मिर्धा आगे बढ़ा रहे हैं. हालांकि, हरेंद्र मिर्धा के बेटे रघुवेन्द्र फिलहाल सक्रिय राजनीति से दूर हैं. मिर्धा परिवार के ही एक धड़े की कमान रिछपाल मिर्धा के हाथ में है.

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उनके बेटे विजयपाल ने इस बार विधानसभा चुनाव में डेगाना सीट से चुनाव जीता है. उधर इसी सियासी कद के समानांतर दिवंगत सांसद रामरघुनाथ चौधरी की बेटी बिंदु चौधरी और बेटे अजय सिंह किलक का भी नागौर की सियासत में मजबूत दखल है. अजय सिंह किलक भाजपा के टिकट पर डेगाना से विधायक बने और पिछली भाजपा सरकार में सहकारिता मंत्री भी रहे. जबकि बिंदु चौधरी पहले जिला प्रमुख रहीं हैं. भाजपा के टिकट पर 2009 में ज्योति मिर्धा के सामने सांसद का चुनाव भी लड़ा. लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था.

हनुमान बेनीवाल और महेंद्र चौधरी भी इसी क्रम में
विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर प्रदेश की राजनीति में तीसरे मोर्चे की बुनियाद तैयार करने वाले हनुमान बेनीवाल भी राजनीतिक घराने से आते हैं. उनके पिता रामदेव चौधरी मूंडवा सीट से विधायक रहे थे. जबकि, नांवा विधायक और सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी इसी कड़ी में शुमार हैं. हनुमान बेनीवाल और महेंद्र चौधरी में एक और बात आम है कि ये दोनों छात्र राजनीति से मुख्य राजनीति में आए हैं. इसके अलावा डीडवाना विधायक चेतन डूडी भी अपने पिता रूपाराम डूडी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

नागौर के परबतसर से विधायक रामनिवास गावड़िया भी छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं. वे जयपुर के विधि महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं. वहीं, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर भी छात्र राजनीति का हिस्सा रहे हैं. जबकि, नागौर से विधायक रहे हबीबुर्रहमान के पिता हाजी उस्मान भी मूंडवा सीट से विधायक रहे थे.

नागौर. आजादी के बाद से ही प्रदेश और देश की सियासत में नागौर का मजबूत दखल रहा है. एक लंबे अरसे तक नागौर की राजनीति में मिर्धा परिवार का दबदबा रहा. इसी बीच कई नेताओं ने मिर्धा परिवार की सत्ता को चुनौती दी. वंशानुगत राजनीति की फेहरिस्त में अब मिर्धा परिवार के अलावा अन्य परिवार भी अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. इस नई पीढ़ी के कई नेता चुनाव लड़कर जीत भी चुके हैं.

नागौर की राजनीति के भीष्म पिता माने जाने वाले नाथूराम मिर्धा का लम्बे समय तक दबदबा रहा. अब उनकी पोती ज्योति मिर्धा उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. जबकि रामनिवास मिर्धा की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे हरेंद्र मिर्धा आगे बढ़ा रहे हैं. हालांकि, हरेंद्र मिर्धा के बेटे रघुवेन्द्र फिलहाल सक्रिय राजनीति से दूर हैं. मिर्धा परिवार के ही एक धड़े की कमान रिछपाल मिर्धा के हाथ में है.

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उनके बेटे विजयपाल ने इस बार विधानसभा चुनाव में डेगाना सीट से चुनाव जीता है. उधर इसी सियासी कद के समानांतर दिवंगत सांसद रामरघुनाथ चौधरी की बेटी बिंदु चौधरी और बेटे अजय सिंह किलक का भी नागौर की सियासत में मजबूत दखल है. अजय सिंह किलक भाजपा के टिकट पर डेगाना से विधायक बने और पिछली भाजपा सरकार में सहकारिता मंत्री भी रहे. जबकि बिंदु चौधरी पहले जिला प्रमुख रहीं हैं. भाजपा के टिकट पर 2009 में ज्योति मिर्धा के सामने सांसद का चुनाव भी लड़ा. लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था.

हनुमान बेनीवाल और महेंद्र चौधरी भी इसी क्रम में
विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर प्रदेश की राजनीति में तीसरे मोर्चे की बुनियाद तैयार करने वाले हनुमान बेनीवाल भी राजनीतिक घराने से आते हैं. उनके पिता रामदेव चौधरी मूंडवा सीट से विधायक रहे थे. जबकि, नांवा विधायक और सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी इसी कड़ी में शुमार हैं. हनुमान बेनीवाल और महेंद्र चौधरी में एक और बात आम है कि ये दोनों छात्र राजनीति से मुख्य राजनीति में आए हैं. इसके अलावा डीडवाना विधायक चेतन डूडी भी अपने पिता रूपाराम डूडी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

नागौर के परबतसर से विधायक रामनिवास गावड़िया भी छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं. वे जयपुर के विधि महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं. वहीं, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर भी छात्र राजनीति का हिस्सा रहे हैं. जबकि, नागौर से विधायक रहे हबीबुर्रहमान के पिता हाजी उस्मान भी मूंडवा सीट से विधायक रहे थे.

Intro:नागौर. आजादी के बाद से ही प्रदेश और देश की सियासत में नागौर का मजबूत दखल रहा है। एक लंबे अरसे तक नागौर की राजनीति में मिर्धा परिवार का दबदबा रहा। इसी बीच कई अन्य घरानों ने भी मिर्धा परिवार की सत्ता को चुनौती दी। अब मिर्धा परिवार के साथ ही अन्य परिवारों की नई पीढ़ी भी राजनीति में अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ा रही है। इस नई पीढ़ी के कई नेता चुनाव लड़कर जीत भी चुके हैं।


Body:नागौर की राजनीति के भीष्म पिता माने जाने वाले नाथूराम मिर्धा का लम्बे समय तक दबदबा रहा। अब उनकी पोती ज्योति मिर्धा उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही है। जबकि रामनिवास मिर्धा की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे हरेंद्र मिर्धा आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि, हरेंद्र मिर्धा के बेटे रघुवेन्द्र फिलहाल सक्रिय राजनीति से दूर हैं। मिर्धा परिवार के ही एक धड़े की कमान रिछपाल मिर्धा के हाथ में है। उनके बेटे विजयपाल ने इस बार विधानसभा चुनाव में डेगाना सीट से चुनाव जीता है। इधर, रामरघुनाथ चौधरी की बेटी बिंदु चौधरी और बेटे अजय सिंह किलक का भी नागौर की सियासत में मजबूत दखल है। अजय सिंह किलक भाजपा के टिकट पर डेगाना से विधायक बने और पिछली भाजपा सरकार में सहकारिता मंत्री भी रहे। जबकि बिंदु चौधरी पहले जिला प्रमुख रहीं। भाजपा के टिकट पर 2009 में सांसद का चुनाव भी लड़ा। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।

हनुमान बेनीवाल और महेंद्र चौधरी ने भी आगे बढ़ाई अपने परिवार की राजनीतिक विरासत

विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर प्रदेश की राजनीति में तीसरे मोर्चे की बुनियाद तैयार करने वाले हनुमान बेनीवाल भी राजनीतिक घराने से आते हैं। उनके पिता रामदेव चौधरी मूंडवा सीट से विधायक रहे थे। जबकि, सरकारी उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी भी इसी कड़ी में शुमार हैं। हनुमान बेनीवाल और महेंद्र चौधरी में एक और बात आम है कि ये दोनों छात्र राजनीति से मुख्य राजनीति में आए हैं।

छात्र राजनीति से मुख्य राजनीति में आए ये नए चेहरे भी बने विधायक

नागौर के परबतसर से विधायक रामनिवास गावड़िया भी छात्र राजनीति में सक्रिय रहे हैं। वे जयपुर के विधि महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। वहीं, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर भी छात्र राजनीति का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा डीडवाना विधायक चेतन डूडी भी अपने पिता रूपाराम डूडी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। जबकि, नागौर से विधायक रहे हबीबुर्रहमान के पिता हाजी उस्मान भी मूंडवा सीट से विधायक रहे थे।


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