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नागौर की तांगा दौड़ फिर से शुरू करावाने की मांग तेज - नागौर खबर

नागौर जिले के पारंपरिक मेलों में तांगा दौड़ फिर से शुरू करवाने की मांग को लेकर मुहिम फिर से शुरु हो गई है. तांगा दौड़ संघर्ष समिति की ओर से शनिवार को इस मामले में एडीएम को ज्ञापन दिया गया. इस दौरान कहा गया कि जब तमिलनाडु में अध्यादेश लाकर जल्लीकट्टू करवाया जा सकता है, तो नागौर में तांगा दौड़ भी शुरु कराया जाना चाहिए.

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Published : Aug 10, 2019, 5:00 PM IST

नागौर. जिले के प्रसिद्ध खरनाल- मुंदियाड़ मेला, बासनी-कुम्हारी मेला और रोल के बालापीर मेला में तांगा दौड़ फिर से शुरू करवाने की मांग को लेकर तांगा दौड़ संघर्ष समिति की ओर से शनिवार को एडीएम को ज्ञापन सौंपा गया और मांग की गई कि तांगा दौड़ पर रोक मामले में जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उसमें राजस्थान सरकार अच्छी तरह से पैरवी करे और तांगा दौड़ फिर से शुरू करवाए.

तांगा दौड़ फिर से शुरू करावाने की मांग

बता दें, इस सम्बन्ध में सरकार से अध्यादेश लाने की भी मांग की गई है. जिले के इन प्रसिद्ध मेंलो में पहले टांगा दौड़ होती थी और शहर सहित आस-पास के सभी ग्रामीण बड़ी ही उत्सुकता से भाग लेते थे. लोगों का कहना है कि यह एक सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. लेकिन, पशु प्रेमियों से सम्बन्धित एक एनजीओ के विरोध के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है. लेकिन, एक बार फिर से यह मामला जोर पकड़ रहा है.

पढ़े- बाड़मेरः अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाक ने थार एक्सप्रेस को रद्द करने का किया ऐलान

संघर्ष समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांग को गंभीरता से नहीं लिया तो 19 अगस्त को नागौर में आन्दोलन भी किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि तांगा दौड़ नागौर के लोगों की आस्था और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. लोगों की मांग है कि जब तमिलनाडु में अध्यादेश लाकर जल्लीकट्टू करवाया जा सकता है, तो नागौर में तांगा दौड़ भी शुरु कराया जाना चाहिए.

नागौर. जिले के प्रसिद्ध खरनाल- मुंदियाड़ मेला, बासनी-कुम्हारी मेला और रोल के बालापीर मेला में तांगा दौड़ फिर से शुरू करवाने की मांग को लेकर तांगा दौड़ संघर्ष समिति की ओर से शनिवार को एडीएम को ज्ञापन सौंपा गया और मांग की गई कि तांगा दौड़ पर रोक मामले में जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उसमें राजस्थान सरकार अच्छी तरह से पैरवी करे और तांगा दौड़ फिर से शुरू करवाए.

तांगा दौड़ फिर से शुरू करावाने की मांग

बता दें, इस सम्बन्ध में सरकार से अध्यादेश लाने की भी मांग की गई है. जिले के इन प्रसिद्ध मेंलो में पहले टांगा दौड़ होती थी और शहर सहित आस-पास के सभी ग्रामीण बड़ी ही उत्सुकता से भाग लेते थे. लोगों का कहना है कि यह एक सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. लेकिन, पशु प्रेमियों से सम्बन्धित एक एनजीओ के विरोध के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है. लेकिन, एक बार फिर से यह मामला जोर पकड़ रहा है.

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संघर्ष समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांग को गंभीरता से नहीं लिया तो 19 अगस्त को नागौर में आन्दोलन भी किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि तांगा दौड़ नागौर के लोगों की आस्था और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. लोगों की मांग है कि जब तमिलनाडु में अध्यादेश लाकर जल्लीकट्टू करवाया जा सकता है, तो नागौर में तांगा दौड़ भी शुरु कराया जाना चाहिए.

Intro:नागौर के पारंपरिक मेलों में तांगा दौड़ फिर से शुरू करवाने की मांग को लेकर मुहिम फिर जोर पकड़ने लगी है। तांगा दौड़ संघर्ष समिति की ओर से शनिवार को इस मामले में एडीएम को ज्ञापन देकर मांग की गई कि तांगा दौड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में राजस्थान सरकार की ओर से मजबूती से पैरवी की जाए। इसके साथ ही तांगा दौड़ को लेकर अध्यादेश लाने की मांग भी रखी गई है।


Body:नागौर. नागौर के खरनाल- मुंदियाड़ मेले, बासनी-कुम्हारी मेले और रोल के बालापीर मेले में तांगा दौड़ फिर से शुरू करवाने की मांग को लेकर तांगा दौड़ संघर्ष समिति की ओर से शनिवार को एडीएम को ज्ञापन दिया गया। इसमें मांग की गई कि तांगा दौड़ पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जो केस चल रहा है। उसमें राजस्थान सरकार मजबूती से पैरवी करे और तांगा दौड़ फिर से शुरू करवाए। इसके साथ ही सरकार से इस संबंध में अध्यादेश लाने की भी मांग रखी गई है। आपको बता दें कि नागौर के खरनाल-मुंदियाड़, बासनी-कुम्हारी और रोल के बालापीर मेले में पहले तांगा दौड़ होती थी। शहर सहित आसपास के गांवों के लोग उस में उत्साह से भाग लेते थे। लोगों का कहना है कि यह सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रही है। लेकिन पशु प्रेमियों से जुड़े एक एनजीओ के विरोध के बाद हाईकोर्ट ने तांगा दौड़ पर रोक लगा दी थी। इसका मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। जिस पर एक बार फिर सुनवाई होनी है ऐसे में तांगा दौड़ को फिर शुरू करवाने की मुहिम जोर पकड़ने लगी है।


Conclusion:संघर्ष समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांग को गंभीरता से नहीं लिया तो 19 अगस्त को नागौर में महापड़ाव भी डाला जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि तांगा दौड़ नागौर के लोगों की आस्था और यहां की सांस्कृतिक विरासत का काम हिस्सा है। लोगों की मांग है कि जब तमिलनाडु में अध्यादेश लाकर जल्लीकट्टू करवाया जा सकता है तो नागौर में तांगा दौड़ भी शुरू होनी चाहिए।
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बाइट- ओम चौधरी, सदस्य, तांगा दौड़ संघर्ष समिति।
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