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नागौरः प्रवासी मजदूर बसों से बिहार के लिए रवाना

नागौर के मकराना उपखंड में बिहार राज्य के कई मजदूर अनेक प्रकार के काम करते हैं और लॉकडाउन की वजह से यह मजदूर यहां पर फंस गए थे. बीते कई दिनों से इन मजदूरों को इनके मालिकों द्वारा लगातार खाने-पीने की व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाती रही, लेकिन 2 माह के करीब लॉकडाउन होने की स्थिति में लोगों के पास जमा धन भी अब समाप्त होने की और हैं.

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प्रवासी मजदूर बसों से बिहार के लिये हुए रवाना
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Published : May 22, 2020, 4:22 PM IST

मकराना (नागौर). जिले के मकराना उपखंड में बिहार राज्य के कई मजदूर अनेक प्रकार के काम करते हैं और लॉकडाउन की वजह से यह मजदूर यहां पर फंस गए थे.

प्रवासी मजदूर बसों से बिहार के लिये हुए रवाना

बता दें, कि कई दिनों तक इन मजदूरों को इनके मालिकों द्वारा लगातार खाने-पीने की व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाती रही, लेकिन 2 माह के करीब लॉकडाउन होने की स्थिति में लोगों के पास जमा धन भी अब समाप्त होने की और है. ऐसी परिस्थितियों में इन लोगों को यहां रख पाना फैक्ट्री मालिकों के बस से दूर होता चला गया. जिसकी वजह से यह भी काफी परेशान होने लगे. इन मजदूरों ने अपने स्थानीय संपर्क के माध्यम से 30 रूपये प्रति किलोमीटर की दर से एक बस किराए पर मकराना तक बुलाई और बस में करीब 40 मजदूर सवार हुए.

पढ़ेंः बस पॉलिटिक्स पर बोले पायलट, कहा- बसों से सरकार का कोई लेना देना नहीं

मजदूरों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया, कि सरकार अगर उनकी हितेषी होती तो वे काफी समय पहले ही अपने घर पहुंच जाते, लेकिन उनके पास ना तो सरकार के किसी कार्मिक ने संपर्क किया ना ही सरकार की ओर से कोई मदद पहुंच पाई. ऐसे में कामगारों ने स्वयं के स्तर पर ही बस की व्यवस्था कर बिहार के लिए प्रस्थान किया. इस बस को शहर के भीतरी क्षेत्र में प्रवेश से रोके जाने के साथ ही सभी मजदूरों को मंगलाना बाई पास तिराह पर बुलाकर बस में बैठाया गया. हालांकि कुछ सामाजिक संगठनों द्वारा बस में सवार मजदूरों को पानी और नाश्ता उपलब्ध करवाया.।

मकराना (नागौर). जिले के मकराना उपखंड में बिहार राज्य के कई मजदूर अनेक प्रकार के काम करते हैं और लॉकडाउन की वजह से यह मजदूर यहां पर फंस गए थे.

प्रवासी मजदूर बसों से बिहार के लिये हुए रवाना

बता दें, कि कई दिनों तक इन मजदूरों को इनके मालिकों द्वारा लगातार खाने-पीने की व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाती रही, लेकिन 2 माह के करीब लॉकडाउन होने की स्थिति में लोगों के पास जमा धन भी अब समाप्त होने की और है. ऐसी परिस्थितियों में इन लोगों को यहां रख पाना फैक्ट्री मालिकों के बस से दूर होता चला गया. जिसकी वजह से यह भी काफी परेशान होने लगे. इन मजदूरों ने अपने स्थानीय संपर्क के माध्यम से 30 रूपये प्रति किलोमीटर की दर से एक बस किराए पर मकराना तक बुलाई और बस में करीब 40 मजदूर सवार हुए.

पढ़ेंः बस पॉलिटिक्स पर बोले पायलट, कहा- बसों से सरकार का कोई लेना देना नहीं

मजदूरों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया, कि सरकार अगर उनकी हितेषी होती तो वे काफी समय पहले ही अपने घर पहुंच जाते, लेकिन उनके पास ना तो सरकार के किसी कार्मिक ने संपर्क किया ना ही सरकार की ओर से कोई मदद पहुंच पाई. ऐसे में कामगारों ने स्वयं के स्तर पर ही बस की व्यवस्था कर बिहार के लिए प्रस्थान किया. इस बस को शहर के भीतरी क्षेत्र में प्रवेश से रोके जाने के साथ ही सभी मजदूरों को मंगलाना बाई पास तिराह पर बुलाकर बस में बैठाया गया. हालांकि कुछ सामाजिक संगठनों द्वारा बस में सवार मजदूरों को पानी और नाश्ता उपलब्ध करवाया.।

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