नागौर. बंग्लादेश सरहद पर शनिवार को जवान शीशराम उर्फ नरेंद्र सिंह शहीद (Nagore jawan martyr) हो गए थे. शहीद का पार्थिव शरीर उनके चितावा गांव पहुंचा, जहां मंगलवार को उनका अंतिम संस्कार हुआ. वहीं शहीद के दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा.
शहीद शीशराम का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव चितावा पहुंचा तो पूरे गांव में कोहराम मच गया. शहीद बेटे का शव देख परिजनों के साथ हर मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गई. शहीद की वीरांगना निशा कंवर 8 महीने की गर्भवती हैं. जैसे ही शव पैतृक गांव पहुंचा, वीरांगना का विलाप सुनकर सबकी आंखें नम हो गई.
वहीं शहीद नरेंद्र की अंतिम यात्रा में आसपास के कई गांवों के लोग, सैनिक और अधिकारी शामिल हुए. पुलिस और बीएसएफ के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और मातमी धुन बजा सलामी दी. क्षेत्रीय विधायक और SDM बाबू लाल जाट ने पुष्पचक्र अर्पित किया. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, पूर्व विधायक हरीश कुमावत, विजय सिंह चौधरी, पूर्व विधायक मानसिंह किनसरिया, नागौर जिला प्रमुख भागीरथ सिंह, एडीएम रिछपाल सिंह, कुचामन एसडीएम बाबू लाल, पुलिस उपाधीक्षक मोटाराम बेनीवाल, चितावा थाना प्रभारी प्रकाश मीणा, जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
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छोटे भाई मुकेश सिंह ने शहीद शीशराम को मुखाग्नि दी. एसडीएम बाबू लाल जाट ने बताया की चितावा कस्बे का लाल शीशराम उर्फ नरेंद्र सिंह रविवार को पश्चिम बंगाल में बॉर्डर पर ड्यूटी करते हुए शहीद हो गए थे. जिनका पार्थिव शव मंगलवार सुबह सम्मान के साथ कुचामन, कुकनवाली होते हुए चितावा पहुंचा. जहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
जानकारी के मुताबिक शीशराम ने कुचामन और चितावा में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद बैंगलोर में शिक्षा प्राप्त की. जिसके बाद वे देश सेवा के लिए बीएसएफ 75 बटालियन में 2014 मे भर्ती हुए. मार्च 2018 में शीशराम की डसाना (डीडवाना) की निशा कंवर के साथ शादी हुई. जो अब पहली संतान को जन्म देगी. निशा अभी आठ महीने की गर्भवती हैं. शीशराम के पिता प्रह्लाद सिंह किसान और माता गृहिणी हैं. एक छोटा भाई मुकेश सिंह गांव में ही काम करता है.
एसडीएम बाबू लाल जाट ने बताया कि शीशराम 75 बीएसएफ बटालियन कूच बिहार गोपालपुरा बांग्लादेश सरहद पर रविवार 29 अगस्त को ड्यूटी कर रहे थे. उसी दौरान अचानक बॉर्डर पर कुछ तस्करों की अवांछनीय हरकत हुई. तस्करों का पीछा करने शीशराम अपनी टीम के साथ क्षेत्र में गए. उसी दौरान गहरे पानी में उतरने के कारण वे वापस लौट नहीं पाए और शहीद हो गए.