नागौर. कोरोना के चलते जारी लॉकडाउन के दौरान नागौर के ऐतिहासिक तालाबों की बची हुई जमीनों पर कब्जा करने वाले सक्रिय हैं. अब नागौर नगर परिषद के कार्मिकों से सांठगांठ करके नियमन कराने की फिराक में थे, लेकिन नागौर जिला कलेक्टर के पास मामले की शिकायत के रूप में पहुंचने पर जिला कलेक्टर ने आयुक्त से सभी फाइलें तलब कर ली हैं.
हालांकि, इस मामले को चुपके से निपटाने की तैयारी थी, लेकिन इस मामले की जानकारी नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव के पास पहुंचने से मिलीभगत के खेल में रुकावट आ गई है. नागौर जिला कलेक्टर ने चारों फाइलों को तलब कर लिया है.
बता दें कि इस मामले की जानकारी नागौर जिला कलेक्टर तक पहुंचने वाले अधिवक्ता महावीर विश्नोई ने जिला कलेक्टर को दिए गए मांग पत्र में बताया कि नागौर के जमीन कारोबारी हरिराम लोमरोड़ ने 1 अक्टूबर 2010 को मेढ़ समाज के अध्यक्ष और मंत्री से एग्रीमेंट के जरिए जमीन खरीदी.
पढ़ेंः CM गहलोत ने राज कौशल पोर्टल और ऑनलाइन श्रमिक एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज का किया शुभारंभ
उसी आधार पर एक नया पट्टा बनाने के लिए नागौर नगर परिषद से मिलीभगत करके खांचा भूमि को ले ली थी. जिसकी शिकायत अधिवक्ता माल विष्णु ने तत्कालीन डीएम को राजस्व विभाग को करने पर मामले की जांच कराई और खांचा भूमि को नियम विरुद्ध अलॉट करना बताया गया. 2016 में आयुक्त नगर परिषद और जमीन कारोबारी हरिराम लोमरोड़ के खिलाफ एसओजी में जांच जारी है.
इसके साथ ही झड़ा तालाब के पास बची हुई जमीन पर कब्जा करने की कोशिश लॉकडाउन के दौरान चल रही थी. नागौर नगर परिषद में ग्रांट एक्ट का कूटरचित दस्तावेज पेश करते हुए 4 फाइलें लगा दी गई और जिला कलेक्टर को जानकारी मिलते ही नागौर नगर परिषद के आयुक्त जोधाराम विश्नोई से 4 फाइलें तलब कर ली गई हैं.
इस विषय को लेकर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव का कहना है कि मामला उनके ध्यान में आया, जिसके बाद चारों फाइलें तलब कर ली गई हैं. साथ ही एसडीएम को सभी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं.