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फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र लगाकर तीन साल कर ली नर्स की नौकरी, मामला खुला तो दो को हटाया - नर्सिंग छात्र संगठन

नागौर में फर्जी तरीके से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाकर जिले के चिकित्सा विभाग में नौकरी हासिल करने के दो मामले सामने आए हैं. इसके बाद विभाग ने आनन-फानन में इन दोनों का चयन निरस्त कर दिया है. इसके साथ ही अब नागौर के सीएमएचओ विभाग की ओर से इन दोनों की सेवा समाप्ती के आदेश निकाले जा रहे हैं.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, नागौर की खबर, CMHO Department
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Published : Oct 4, 2019, 7:51 PM IST

नागौर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी लगने का मामला सामने आने के बाद विभाग में हडकंप मचा है. दरसल, प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय की ओर से नर्स ग्रेड 2 के रिक्त पदों के लिए 2013 में सीधी भर्ती निकाली गई थी.

वहीं, जिले के टांगला निवासी भंवरलाल पुत्र रामचंद्र और जोधपुर निवासी भंवरलाल पुत्र मनीराम ने निशक्तजन श्रेणी के तहत आवेदन किया था. चयन हो जाने के बाद 2016 में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर के अधीन इनका पदस्थापन किया गया था.

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भंवरलाल पुत्र मनीराम जिले के कुड़छी अस्पताल में कार्यरत रहा और वर्तमान में जोधपुर में कार्यरत है. जबकि भंवरलाल पुत्र रामचंद्र खाटू के राजकीय अस्पताल में कार्यरत है. इन दोनों के खिलाफ एक शिकायत मिलने पर जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में मेडिकल बोर्ड की ओर से चेकअप किया गया.

बता दें कि इनकी रिपोर्ट के अनुसार दोनों अभ्यर्थियों की दिव्यांगता 40 फीसदी से कम और तय मानदंड के अनुसार नहीं पाई गई. जिसके चलते चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त निदेशक मुकुल शर्मा ने इन दोनों कर्मचारियों का चयन और पदस्थापन निरस्त कर सेवाएं समाप्त करने के निर्देश जारी किए हैं.

इधर यह मामला सामने आने के बाद नर्सिंग छात्र संगठन की ओर से मांग की गई है कि 2013 में निकाली गई नर्स ग्रेड की सीधी भर्ती के पूरे मामलों की जांच की जाए. उन्होंने विभाग के अधिकारियों पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने का भी आरोप लगाया है और पूरे मामले की जल्द से जल्द जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है.

नागौर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी लगने का मामला सामने आने के बाद विभाग में हडकंप मचा है. दरसल, प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय की ओर से नर्स ग्रेड 2 के रिक्त पदों के लिए 2013 में सीधी भर्ती निकाली गई थी.

वहीं, जिले के टांगला निवासी भंवरलाल पुत्र रामचंद्र और जोधपुर निवासी भंवरलाल पुत्र मनीराम ने निशक्तजन श्रेणी के तहत आवेदन किया था. चयन हो जाने के बाद 2016 में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर के अधीन इनका पदस्थापन किया गया था.

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भंवरलाल पुत्र मनीराम जिले के कुड़छी अस्पताल में कार्यरत रहा और वर्तमान में जोधपुर में कार्यरत है. जबकि भंवरलाल पुत्र रामचंद्र खाटू के राजकीय अस्पताल में कार्यरत है. इन दोनों के खिलाफ एक शिकायत मिलने पर जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में मेडिकल बोर्ड की ओर से चेकअप किया गया.

बता दें कि इनकी रिपोर्ट के अनुसार दोनों अभ्यर्थियों की दिव्यांगता 40 फीसदी से कम और तय मानदंड के अनुसार नहीं पाई गई. जिसके चलते चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त निदेशक मुकुल शर्मा ने इन दोनों कर्मचारियों का चयन और पदस्थापन निरस्त कर सेवाएं समाप्त करने के निर्देश जारी किए हैं.

इधर यह मामला सामने आने के बाद नर्सिंग छात्र संगठन की ओर से मांग की गई है कि 2013 में निकाली गई नर्स ग्रेड की सीधी भर्ती के पूरे मामलों की जांच की जाए. उन्होंने विभाग के अधिकारियों पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने का भी आरोप लगाया है और पूरे मामले की जल्द से जल्द जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है.

Intro:फर्जी तरीके से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाकर जिले के चिकित्सा विभाग में नौकरी हासिल करने के दो मामले सामने आए हैं। इसके बाद विभाग ने आनन-फानन में इन दोनों का चयन निरस्त कर दिया है। अब नागौर के सीएमएचओ विभाग की ओर से इन दोनों की सेवा समाप्ती के आदेश निकाले जा रहे हैं। इस मामले का खुलासा होने के बाद एकबारगी विभाग में हडकंप मच गया।


Body:नागौर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी लगने का मामला सामने आने के बाद विभाग में हडकंप मचा है। दरसल, प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय की ओर से नर्स ग्रेड 2 के रिक्त पदों के लिए 2013 में सीधी भर्ती निकाली गई थी। जिले के टांगला निवासी भंवरलाल पुत्र रामचंद्र व नोखा हाल जोधपुर निवासी भंवरलाल पुत्र मनीराम ने निशक्तजन श्रेणी के तहत आवेदन किया था। चयन हो जाने के बाद 2016 में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नागौर के अधीन इनका पदस्थापन किया गया था। भंवरलाल पुत्र मनीराम जिले के कुड़छी अस्पताल में कार्यरत रहा और वर्तमान में जोधपुर में कार्यरत है। जबकि भंवरलाल पुत्र रामचंद्र खाटू के राजकीय अस्पताल में कार्यरत है। इन दोनों के खिलाफ एक शिकायत मिलने पर जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में मेडिकल बोर्ड द्वारा चेकअप किया गया। इसकी रिपोर्ट के अनुसार दोनों अभ्यर्थियों की दिव्यांगता 40 फीसदी से कम और तय मानदंड के अनुसार नहीं पाई गई। जिसके चलते चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त निदेशक मुकुल शर्मा ने इन दोनों कर्मचारियों का चयन और पदस्थापन निरस्त कर सेवाएं समाप्त करने के निर्देश जारी किए हैं।


Conclusion:इधर यह मामला सामने आने के बाद नर्सिंग छात्र संगठन की ओर से मांग की गई है कि 2013 में निकाली गई नर्स ग्रेड सेकंड की सीधी भर्ती के पूरे मामलों की जांच की जाए। उन्होंने विभाग के अधिकारियों पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने का भी आरोप लगाया है और पूरे मामले की जल्द से जल्द जांच करने व दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
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बाइट 1-डॉ. सुकुमार कश्यप, सीएमएचओ, नागौर।
बाइट 2- शेर मोहम्मद, सदस्य, नर्सिंग छात्र संगठन।
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