नागौर. जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए व्याख्याताओं और प्रधानाध्यापकों के अनुपात को लेकर अब खींचतान तेज होने लगी है. व्याख्याता जहां पहले से चल रहे अनुपात को बदलने की मांग कर रहे हैं. वहीं, प्रधानाध्यापक अनुपात को यथावत रखने की मांग कर रहे हैं.
अपनी मांग को लेकर व्याख्याता 22 गोदाम पुलिया के पास चल रहे धरने को समर्थन को दिया है. जिसको लेकर आज अपनी मांग को लेकर नागौर कलेक्ट्रेट पर मौन प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. रेसला के ब्लॉक अध्यक्ष शिव नारायण ने बताया कि प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए संख्यात्मक अनुपात में बदलाव के लिए फाइल सभी विभागों से अप्रूव होकर यह मामला कैबिनेट बैठक में रखा जाना था. लेकिन पिछले दिनों हुई कैबिनेट बैठक से ठीक पहले यह मामला डेफर कर दिया गया. इससे व्याख्याताओं में रोष है.
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उन्होंने बताया कि प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति के लिए संख्यात्मक अनुपात जब तय किया गया था. तब प्रदेश में व्याख्याताओं की संख्या 23 हजार और प्रधानाध्यापकों की संख्या 9 हजार थी. इसलिए तब व्याख्याता और प्रधानाध्यापक का संख्यात्मक अनुपात 67:33 निर्धारित किया गया था, लेकिन अब प्रदेश में व्याख्याताओं के पद बढ़कर 54,514 हो गए हैं.
जबकि प्रधानाध्यापकों की संख्या 9 हजार से घटकर 3500 रह गई है. ऐसे में 67:33 का अनुपात अब न्यायसंगत नहीं है. इसलिए रेसला इसमें बदलाव की मांग कर रहा है. जबकि पदोन्नति में प्रधानाध्यापकों का अनुपात कम करने का विरोध किया जा रहा है.