नागौर. डीडवाना नगर पालिका सभागार में शुक्रवार को नगर पालिका की बैठक हुई. ये बैठक काफी हंगामेदार रही. नगर पालिका के 40 पार्षदों वाले सदन की बैठक में केवल 22 पार्षद ही मौजूद रहे. इनमें से सत्ताधारी दल कांग्रेस के 17 पार्षद इस बैठक में अनुपस्थित रहे. इसकी राजनीतिक गलियारों के साथ ही शहरभर में चर्चा रही.
डीडवाना नगर पालिका की बैठक में 10 प्रस्तावों पर चर्चा होनी थी. इनमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बरसाती पानी की निकासी का था. बरसाती पानी की निकासी के लिए 10 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव इस बैठक में शामिल किया गया. इस पर विपक्ष ने सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए विरोध किया.
विपक्ष का कहना है कि सीवरेज के दूसरे फेज का टेंडर राज्य सरकार ने जारी कर दिया है. साथ ही ड्रेनेज सिस्टम का टेंडर भी राज्य सरकार ने जारी किया है, फिर 10 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाकर जनता का पैसा बर्बाद क्यों किया जा रहा है. इस पर अधिशासी अधिकारी ने राज्य सरकार की ओर से जारी किसी भी टेंडर की जानकारी होने से इनकार कर दिया.
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वहीं, विपक्ष का दावा है कि सत्ता पक्ष के पार्षद भी इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं, इसलिए आधे से ज्यादा पार्षद बैठक में ही नहीं आए. अधिशासी अधिकारी ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बीते साल बारिश में शहर की कई कॉलोनियों में पानी भर गया था और आमजन को काफी परेशानी हुई थी. अब भी बरसाती पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई तो जनता को परेशानी होगी.
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शहर में प्रस्तावित नए बस स्टैंड की चारदीवारी करवाने का प्रस्ताव भी इस बैठक में रखा गया. इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया कि पालिका के अधिशासी अधिकारी से प्रस्तावित बस स्टैंड के खसरे और रकबे की जानकारी मांगी गई, लेकिन उन्होंने जानकारी नहीं दी. विपक्ष का आरोप है कि पालिका प्रशासन और सत्ता पक्ष पार्षदों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं. उनका यह भी आरोप है कि विकास कार्यों में भी भेदभाव किया जा रहा है.