कोटा. शहर में बुधवार को भीतरिया कुंड में महिलाओं ने दशा माता की पूजा की. वहीं कहानी सुनकर सभी ने पीपल की पूजा कर परिवार की सुख सम्रद्धि की कामना की. हर व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं. कई लोगों के जीवन में ये कम समय के लिए आते हैं, तो कई लोग जीवनभर परेशानियों से जूझते रहते हैं. ऐसे में उनके परिवार की, जीवन की दशा बिगड़ जाती है. यदि किसी व्यक्ति के जीवन की दशा बिगड़ी हुई होती है, तो उसे अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है. जब दशा अच्छी होती है तो उसका जीवन सुखद होता है. जीवन की इसी बिगड़ी हुई दशा को सुधारने के लिए दशामाता का पूजन किया जाता है.
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशामाता का पूजन किया जाता है. इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा लाकर उसमें 10 गांठ लगाती हैं और पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं. डोरे की पूजा करने के बाद पूजन स्थल पर नल दमयंती की कथा सुनती हैं. इसके बाद इस डोरे को गले में बांधती हैं. पूजन के बाद महिलाएं घर पर हल्दी कुमकुम के छापे लगाती हैं. व्रत रखते हुए एक ही समय भोजन करती हैं. भोजन में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है. इस दिन घर की साफ-सफाई करके अटाला, कचरा सब बाहर फेंक दिया जाता है.
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बता दें कि, होली के दस दिन बाद आने वाली दशमी के दिन दशा माता को पूजा जाता है. इस दिन महिलाएं घर का चौका कर एक जगह एकत्रित हो कर दशा माता की पूजा करती हैं और दशा माता की कहानी सुनती हैं. वहीं बाद में एक दूसरे के लिए मंगल कामना करती हुई सुहाग के समान भेंट करती हैं. अंत में पीपल का पूजन कर अपने परिवार की सुख सम्रद्धि की कामना करती हैं.