कोटा. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे पर सफर करने वाले वाहन चालकों की सुविधा के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया खुद हाईटेक कस्बे (रेस्ट एरिया) तैयार करवा रही है. हर 25 किलोमीटर की दूरी पर यह कस्बे व गांव बनाए जा रहे हैं. गांव छोटे हैं और कस्बे बड़े हैं. इसी हिसाब से 1 गांव और एक कस्बे के क्रम में इन्हें बनाया जा रहा है. जहां पर सफर के दौरान आम जरूरत की सभी चीजें मौजूद रहेगी. यह कस्बे व गांव ऐसे होंगे कि यहां पर कोई व्यक्ति परमानेंट नहीं रह सकता है, लेकिन सब सुविधाएं शहर व हाइवे जैसी ही जुटाई गई हैं. इसमें शॉपिंग मॉल से लेकर ठहरने की सुविधा भी शामिल है.
इसके अलावा इमरजेंसी में उपयोग के लिए हेलीपैड और ट्रॉमा सेंटर भी बनाया जा रहा है. यहां पर बन रही सभी सुविधाओं को लीज पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया देगी, जिसके बाद लीज पर लेने वाली फर्म ही इन सब सुविधाओं का संचालन करवाएगी. एनएचएआई की प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट कोटा के जनरल मैनेजर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर जेपी गुप्ता का कहना है कि करीब 80 फ़ीसदी तक काम एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ बन रही वे साइड एमेनिटीज का हो चुका है. इनमें नो फैसिलिटी डिवेलप की जा रही है.
कोटा में चेचट और कल्याणपुरा में बनेंगे बड़े रेस्ट एरियाः चेचट और सालेराकलां के बीच में बन रहे बड़े रेस्ट एरिया के साइट इंजीनियर कमल जांगिड़ का कहना है कि रेस्ट एरिया में मोटल और हेलीपैड सहित ज्यादा सुविधाएं हैं. वहीं, छोटे रेस्ट एरिया में महज, एक रेस्टोरेंट, डाबा, फ्यूल व सर्विस रहेगी. यहां पार्किंग भी छोटी होगी. बड़े रेस्ट एरिया बूंदी के लाखेरी व इंद्रगढ़ के बीच, कोटा जिले में कल्याणपुर स्टेशन के नजदीक और सालेराकला व चेचट के बीच में रामगंजमंडी में बन रहा है. जबकि छोटे रेस्ट एरिया दीगोद के रामनगर व दरा मंडाना के बीच सीमलहेड़ी लाडपुरा में बन रहा है. फ्यूल स्टेशन में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की चार्जिंग और सीएनजी की सुविधा भी रहेगी.
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बड़ा रेस्ट एरिया 1.8 लाख स्क्वायर मीटर काः नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सवाई माधोपुर की आयु के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनोज शर्मा के अनुसार दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे कोटा और बूंदी जिले से निकल रहा है. ऐसे में इस पर 10 रेस्ट एरिया बनाए जा रहे हैं. जिनमें 4 छोटे और छह बड़े हैं. बड़े रेस्ट एरिया की साइज भी 300 गुना 600 स्क्वायर मीटर यानी 1 लाख 80 हजार स्क्वायर मीटर है. इसी तरह से छोटे रेस्ट एरिया की साइज 80 गुना 100 मीटर है यानी करीब 8000 स्क्वायर मीटर है. इसमें ज्यादा सुविधाएं भी नहीं रहेगी. इसके एरिया से दोगुनी पार्किंग बड़े रेस्ट एरिया में बनाई गई है. छोटे और बड़े में काफी ज्यादा अंतर है. बड़े रेस्ट एरिया की बात की जाए तो उसमें 300 कारों 150 ट्रक 30 बसों की पार्किंग हो सकेगी. पार्किंग का पूरा एरिया 16250 स्क्वायर मीटर का है.
बीच में एक्सप्रेस वे, दोनों तरफ रेस्ट एरियाः एक्सप्रेस वे के निर्माण में जुटी कांट्रेक्टर फर्म के मैनेजर श्याम शर्मा का कहना है कि एक्सप्रेस वे पर जिस तरह का रेस्ट एरिया रोड के एक तरफ बन रहा है, उसकी ही कार्बन कॉपी या ब्लूप्रिंट दूसरी तरफ बनाया जा रहा है. एक जगह पर ही आमने-सामने दो रेस्ट एरिया बन रहे हैं. यह ड्रोन फोटो या फिर ब्लूप्रिंट में मिरर इमेज की तरह नजर आते हैं. इनके नक्शे भी दिल्ली से लेकर मुंबई तक एक जैसी ही हैं, जिनमें एक जैसी सुविधा है. केवल एक रेस्ट एरिया से दूसरे में आने की व्यवस्था नहीं रहेगी, बीच में से एक्सप्रेसवे गुजर रहा है.
कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से होगी पूरी मॉनिटरिंगः एक्सप्रेस वे पूरी तरह से एक्सिस कंट्रोल रहने वाला है. साइट इंजीनियर कमल जांगिड़ के अनुसार इस पूरे हाईवे पर एडवांस ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम याद किया जा रहा है. हर 1 किलोमीटर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिनके लिए कमांड सेंटर भी दिल्ली से मुंबई के बीच में बनने वाला है. पूरे हाईवे पर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा दी गई है. इसके जरिए इन सभी सीसीटीवी कैमरे को जोड़ा जा रहा है. साथ ही हर रेस्ट एरिया में उसकी जद में आने वाले करीब 25 किलोमीटर एरिया के सीसीटीवी कैमरे की मॉनिटरिंग की जाएगी, इसके लिए ट्रॉमा सेंटर के साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक बनाया जा रहा है.
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इमरजेंसी के लिए क्रेन और एंबुलेंस की सुविधा भीः एक्सप्रेस वे के रेस्ट हाउस पर किसी भी तरह की जानकारी के लिए किओस्क और स्टोर भी उपलब्ध रहेगा. इस स्टोर पर वाहन सवारों को सभी जरूरत के सामान मुहैया करवाए जाएंगे. उनकी बिक्री की जाएगी, इसके अलावा इन रेस्ट एरिया में ही एक ऑफिस हाईवे मैनेजमेंट का रहेगा. जिनके पास एक क्रेन और एक एंबुलेंस रहेगी, जिसके पास एक लाइन के पूरे 25 किलोमीटर का हिस्सा रहेगा. इसी तरह से सामने वाले रेस्ट एरिया पर दूसरी लेन की जिम्मेदारी रहेगी. हाईवे निर्माण कर रही कांट्रेक्ट फर्म के पास ही 10 साल का ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का काम भी है, इसमें उनका दफ्तर भी वहीं रहेगा.
बाइक, ऑटो, जुगाड़ और ट्रैक्टर नहीं चल सकेंगेः वैसे तो दिल्ली से मुंबई के बीच में यू-टर्न नहीं लिया जा सकता है. केवल यू टर्न जहां पर चैनज बनाए गए हैं, यानी चढ़ने उतरने की जगह वहां से ही लिया जा सकता है. हालांकि यूटिलिटी के लिए हाईवे के बीच में कई जगह दी गई है, जिनका उपयोग इमरजेंसी या दुर्घटना के समय किया जा सकेगा. इन जगह पर बैरियर लगाकर वर्तमान में बंद किया गया है. जरूरत होने पर इन बैरियर को खोलकर ट्रैफिक को डायवर्ट या फिर इमरजेंसी व्हीकल को जगह दी जा सकेगी. एक्सप्रेस-वे पर दुपहिया, तिपहिया, ट्रैक्टर व कृषि यंत्र वाले संसाधन नहीं चल सकेंगे. यह केवल कार, जीप, बस, ट्रक और कमर्शियल व्हीकल के ही उपयोग में लाया जा सकेगा.
मोटल अत्याधुनिक, शादी समारोह के रिजॉर्ट जैसाः बड़े रेस्ट एरिया में बन रहे मोटल पूरी तरह से अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. इनका निर्माण भी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया कांट्रेक्ट फर्म के जरिए करवा रही है. इनमें बैंक्विट हॉल से लेकर स्पा, जिम और लोगों के रुकने के लिए एयर कंडीशन रूम भी होंगे. यहां पर ही एक बड़ा रेस्टोरेंट भी संचालित किया जाएगा. यह इतने बड़े हैं कि इनमें शादी समारोह भी आयोजित किया जा सकता है. इसके अलावा ज्यादातर हिस्सा ग्रीन एरिया बनाया जा रहा है. एक बड़े एरिया में वाटर बॉडी का भी निर्माण किया गया है, ताकि वहां पर पानी भर लोगों को आनंदित किया जा सके.
हर कैटेगरी के लोगों के लिए व्यवस्थाः मोटल के अलावा भी 3 फूड कोर्ट अलग से तैयार करवाए जा रहे हैं, जिनमें दो सामान्य और एक एयर कंडीशन रेस्टोरेंट्स शामिल है. बच्चों के खेलने के लिए प्ले एरिया भी बनाया गया है. ड्राइवर के रुकने के लिए डॉरमेट्री बनाई गई है. इसके साथ ही वाहनों में किसी भी तरह की तकलीफ होने पर सर्विस स्टेशन है. साथ ही वाहनों में फ्यूल के लिए भी फ्यूल स्टेशन बनाए गए हैं. रेस्ट एरिया में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही इनके लिए सोलर स्टेशन भी लगाया गया है.