कोटा. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में दो साल पहले लगातार हुए बाघों की मौत के बाद वहां एक ही बाघिन रह गई (Mukundra Hills Tiger Reserve In Kota) थी. इसके बाद इसी महीने रिजर्व में बाघ टी 110 को शिफ्ट किया गया है. दूसरी तरफ वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के सर्वे में सामने आया है कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 86 से ज्यादा लेपर्ड हैं. यह किसी भी टाइगर रिजर्व में मौजूद लेपर्ड की सर्वाधिक संख्या है. ऐसे में साफ है कि टाइगर के लिए घोषित टेरिटरी में बेघरों ने कब्जा किया हुआ है. टाइगर और पैंथर के बीच संघर्ष की घटना भी हो सकती है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ऐसा संभव नहीं होगा.
वर्तमान में कोर एरिया में भी मौजूद हैं लेपर्ड : मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और फील्ड डायरेक्टर शारदा प्रताप सिंह का कहना है कि वर्तमान में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में भी (leopards in Mukundra Hills Tiger Reserve) लेपर्ड मौजूद हैं. अधिकारियों के मुताबिक पैंथर बोराबास से लेकर झालावाड़ के गागरोन इलाके तक में हैं. इनमें दरा, रावठा, कोलीपुरा, जवाहर सागर, सेल्जर व सभी एरिया में पैंथर थे. पैंथर की संख्या इस पूरे जंगल में बढ़ने का कारण भी सुरक्षा और पर्याप्त प्रे बेस है.
उन्होंने बताया कि जितने भी टाइगर रिजर्व हैं, वहां पैंथर भी रहते हैं. ऐसे में पैंथर अपने से बड़े जानवर टाइगर से दूरी (Tiger Shifted to Mukundra Hills Tiger Reserve) बनाकर रहने लग जाता है. इसलिए सुरक्षित रहता है. जंगल में पूरी तरह से फेंसिंग की गई है. सीसीएफ शारदा प्रताप सिंह का कहना है कि वन्यजीव क्षेत्रों में सबसे ऑथेंटिक ऑर्गेनाइजेशन, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून ने मुकुंदरा में पैंथर की संख्या 86 और इससे ज्यादा बताई है. यह काफी बड़ी संख्या है. साथ ही यह संख्या इस बात की भी घोतक है कि लार्ज कार्निबोरा (बड़ी बिल्ली प्रजाति) के वन्यजीव के लिए उपयुक्त हैं. इसीलिए यहां पर इतने सारे लेपर्ड रह रहे हैं.
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नहीं होगा निगेटिव इंटरेक्शन : एक्सपर्ट अधिकारियों का मानना है कि पहले यहां पर टाइगर कम थे, लेकिन अब टाइगर आ गए हैं. ऐसे में यहां के पैंथर जंगल के कोर एरिया से भी सिमटकर फ्रिंज एरिया में चले जाएंगे. पहले पूरे जंगल में पैंथर घूम सकते थे. लेकिन अब टाइगर के कारण उनका एरिया सिमट जाएगा. टाइगर बड़ा जानवर है, इसीलिए यह अपने आप ही उससे दूर रहता है. ऐसा ही यहां होगा. मुकुंदरा के फील्ड डायरेक्टर सिंह के अनुसार टाइगर अपनी टेरिटरी जब बना लेगा और वह स्थापित हो जाएगी, तब पैंथर टाइगर के साथ भी रह लेते हैं. क्योंकि देश के जितने भी टाइगर रिजर्व हैं उनमें पैंथर भी मिलते हैं. वहां पर किसी भी तरह का निगेटिव इंटरेक्शन अभी तक परिलक्षित नहीं हुआ है. ऐसे में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में भी निगेटिव इंटरेक्शन की संभावनाएं काफी कम हैं.
इसलिए बढ़ रही है संख्या : मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के 670 स्क्वायर किलोमीटर एरिया की फेंसिंग होने से यहां पर अच्छा प्रोटेक्शन था. इसके अलावा प्रे बेस व पंसदीदा भोजन भी भरपूर था. इसमें लंगूर, मोर व अन्य शामिल हैं. यहां पर पर्याप्त पानी व प्रोटेक्शन है. जंगल में डिस्टर्ब करने वाला भी कोई नहीं है. इसके कारण ही जानवर की ब्रीडिंग अच्छी होती है. यहां स्थिति उनके लिए पूरी तरह अनुकूल है. इसीलिए यहां पर संख्या बढ़ रही है. साल 2021 की वन्यजीव गणना में भी इन पैंथरों की संख्या 82 आंकी गई थी. अब यह बढ़कर इस साल की वन्यजीव गणना में 90 से ज्यादा हो सकती है. जबकि साल 2019 में यह 40 से 45 के बीच थी. हालांकि यह पैंथर जब फ्रिंज एरिया या मुकुंदरा की पेरीफेरी में रहेंगे, तब बस्तियों या गांवों में उनके प्रवेश करने की संभावना बढ़ जाएगी.