सांगोद (कोटा). जिले में बुधवार को मामोर निवासी नंदकिशोर की ओर से सरसों की फसल के अवशेष जलाने का प्रयास किया जा रहा था. इस दौरान वहां से गुजर रहे एसडीएम राजेश डागा की उस पर नजर पड़ी. इसके बाद उपखंड अधिकारी ने नंदकिशोर को बुला कर प्रारम्भिक स्तर पर लगाई गई आग को बुझवाया गया. क्योकि नंद किशोर की ओर से फसल अवशेष जलाए जाने का प्रयास किया जा रहा था.
उस आधार पर उसे समझा कर पाबंद कर छोड दिया गया. साथ ही एसडीएम ने भविष्य में फसल अवशेष जलाए जाने पर नियमों के अन्तर्गत कानूनी कार्रवाई कर दंडित किए जाने की बात कही. इसके बाद कनवास उपखंड अधिकारी राजेश डागा की ओर से तहसीलदार, विकास अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षकों, ग्राम विकास अधिकारीयों, पटवारियों को किसानों से फसल अवशेष को नहीं जलाने के लिए समझाइश करने और उल्लंघन पर नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए.
कनवास उपखंड अधिकारी राजेश डागा ने बताया कि कनवास में फायर ब्रिगेड की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है और अन्य स्थानों से फायर ब्रिगेड की व्यवस्था की जाती है. साथ ही उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से पड़ोसी काश्तकार की फसल को भी आगजनी का खतरा हो सकता है. साथ ही पर्यावरण प्रदुषित होता है, सभी जंगली जानवरों, पशु-पक्षियों को भी नुकसान पहुंचता है.
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फसल अवशेष का अन्य उपयोग (खाद इत्यादि) करने हेतु कृषि विभाग की ओर से समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है. बता दें कि राजस्थान सरकार की ओर से फसल अवशेष जलाने पर वायु प्रदुषण और रोकथाम अधिनियम 1981 की धारा 19(5) के तहत 2 एकड़ तक अवशेष जलाने पर 2500 रुपए जुर्माना और 2 से 5 एकड़ तक अवशेष जलाने पर 5000 रुपए के जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है. इसके अलावा गत वर्ष भी समाचार पत्रों, ग्राम पंचायतों और पत्रादि से प्रचार-प्रसार कर सभी ग्रामीणों को समझाया गया था कि फसल अवशेष को जलाए नहीं.