कोटा. शहर के रावतभाटा रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) के प्रिंसिपल के लोगों से ठगी करने का मामला सामने आया है. उसने करीब 10 से 12 लोगों से ठगी कर ली और लाखों रुपए लेकर फरार हो गया है. इस संबंध में डीपीएस स्कूल ने भी प्रिंसिपल त्रिद्वि नयन बनिस्था उर्फ त्रिदिव उपाध्याय से पल्ला झाड़ लिया और उसे टर्मिनेट कर दिया है.
उसने डीपीएस स्कूल के स्टाफ से भी रुपए हड़प लिए थे. इसके साथ ही उसने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स से लाखों रुपए की ठगी की है. उसने अपनी पत्नी को बीमार बताकर पैसे की आवश्यकता बताई थी. वहीं अपने मकान मालिक से भी उसने एक लाख की ठगी की थी और उसकी बेटी का एडमिशन पुणे के प्रतिष्ठित सिंबोसिस लॉ कॉलेज में करवाने की बात कही थी. हालांकि बाद में इस फ्रॉड का पता चलने पर मकान मालिक राम सिंह राठौड़ और लाडपुरा निवासी पैरंट्स सौरभ सेठिया ने भी मुकदमा दर्ज करवाया है. जिसकी पड़ताल आरकेपुरम थाना पुलिस कर रही है.
![school principal fled after fraud done with many](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/26-06-2023/18852625_middle.jpg)
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एसपी को जानकारी मिलते ही गठित हुई एसआईटीः कोटा शहर एसपी शरद चौधरी ने मामले में कार्रवाई आगे करते हुए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित कर दी है. एसपी चौधरी का कहना है कि पुलिस ने दो मुकदमे भी दर्ज कर लिए थे. साथ ही कुछ शिकायतें परिवाद के रूप में है, जिन पर भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं. अब पूरे मामलों की एकसाथ जांच पुलिस उप अधीक्षक चतुर्थ हर्षराज सिंह खरेड़ा करेंगे.
स्कूल की गलती से फरार हुआ प्रिंसिपलः स्कूल प्रबंधन ने भी इस तरह की शिकायत मिलने के बाद सोशल मीडिया ग्रुप पर पेरेंट्स से अपील कर दी थी. जिसके बाद ही त्रिद्वि नयन बनिस्था कोटा से फरार हो गया है. डीपीएस स्कूल की एडमिन के किरणजीत कौर ने इस मामले में कोई सूचना देने से भी इंकार कर दिया है. हालांकि विद्यालय प्रबंधन ने आरोपी प्रिंसिपल को टर्मिनेट कर दिया. साथ ही इस पूरे मामले में खाने पर भी एक पत्र भेजकर इतिश्री कर ली है.
ठेकेदार से ले लिया एडवांस पैसा, बमुश्किल लौटायाः राम सिंह का कहना है कि त्रिद्वि नयन बनिस्था ने रथकांकरा में स्कूल की बड़ी बिल्डिंग बनवाने के एवज में मुझसे बातचीत की और ठेकेदार चेतन शर्मा से संपर्क करवा दिया. इसके बाद उसने कहा कि इस स्कूल की सदस्यता लेनी होगी. जिसके बाद ही निर्माण भी कर सकते हैं. इस संबंध में उसने ठेकेदार चेतन शर्मा से ढाई लाख रुपए ले लिए थे. जिन्हें 3 दिन में वापस करने के लिए कहा था, लेकिन नहीं दिए बाद में कहा कि डीडी गलत बन गया है, दोबारा पैसा मांगा.
जैसे-तैसे दोबारा एक लाख रुपए की राशि दी, लेकिन त्रिद्वि नयन बनिस्था वापस नहीं कर रहा था. ऐसे में हमने बड़ी मुश्किल से यह राशि उससे वापस ली है. इसमें राम सिंह का यह भी कहना है कि उसने मुझे कमीशन का लालच भी दिया था. साथ ही त्रिद्वि नयन बनिस्था ने कहा था कि निर्माण होगा, तब मेरा भी कमीशन हो जाएगा और आपको भी मिलेगा.
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डीपीएस के स्टाफ को भी ठगाः यहां तक कि स्कूल प्रबंधन ने पुलिस को भी एक पत्र भेजा है. जिसमें लिखा है कि करीब 1.30 लाख रुपए की ठगी स्टाफ से की है. त्रिद्वि नयन बनिस्था ने स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर साकिब से 45000, अकाउंटेंट नरेंद्र सिंह 35000, टीचर बनी सेठी से 50000, स्टोर इंचार्ज उपेंद्र से 2000 इसी तरह के कारण बताकर ले लिए हैं. इन सबके लिए स्कूल जिम्मेदार नहीं है. यह पैसे प्रिंसिपल त्रिद्वि नयन बनिस्था ने ही रिसीव किए हैं. इसीलिए वही इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है.
पहले से भी कर चुका है इस तरह के फ्रॉडः त्रिद्वि नयन बनिस्था के श्रीनाथपुरम निवासी राम सिंह राठौड़ के मकान में किराए से रहता था. उसके आधार कार्ड के अनुसार वह मूलत आसाम का है, लेकिन इसके पहले भी वह कई जगह पर ठगी कर चुका है. हमने जिस मेल आईडी के जरिए उसने बेटी के प्रवेश के लिए मेल किया था. उसमें प्रियंका पंच पाटिल का जिक्र किया था. उनसे जब बात की तब उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से ठग है और पहले भी इस तरह के फ्रॉड कर चुका है. ऐसे में डीपीएस स्कूल प्रबंधन ने बिना वेरिफिकेशन के कैसे उसे प्रिंसिपल बना दिया, यह भी बड़ा सवाल है.
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गुवाहाटी में भी दर्ज करवाया था मुकदमाः गुवाहाटी में प्रियंका पंच पाटिल के साथ भी वह ठगी कर चुका था. इस संबंध में साइबर फ्रॉड की शिकायत भी की थी. प्रियंका पंचपाटिल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि उनके पिता गुवाहाटी में पोस्टेड थे. इस दौरान उनकी त्रिद्वि नयन बनिस्था से जान पहचान हुई थी और वह उनके पिता से भी ठगी कर ली थी. इस मामले में मामला दर्ज होने के बाद वह फरार होकर नेपाल चला गया था.
आईबी का ऑफिसर रहा, सीबीआई ने डाली थी रेडः प्रियंका पंच पाटिल का कहना है कि वह आईबी का ऑफिसर रहा है. साल 2010 में उसके घर पर रेड पड़ी थी. वह कई लोगों से इस तरह से ही ठगी कर रहा था. बाद में वह नेपाल भाग गया और वहां उसने अपना नाम बदलकर त्रिदिव उपाध्याय कर लिया. साथ ही उसने वहां फर्जी डिग्रियां बनाई और डीएवी स्कूल का प्रिंसिपल बन गया. वहां भी वह इसी तरह की ठगी करने लगा. बाद में भी वह कई स्कूलों और संस्थानों से जुड़कर ठगी कर चुका है.