सांगोद (कोटा). क्षेत्र के कनवास गांव में एसडीएम ने पहल करते हुए भरण पोषण की समस्या से परेशान मां को उसका हक दिलाया है. बेटे-बहू द्वारा भरण पोषण नहीं करने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम डागा ने शुक्रवार को मां समेत उसके तीन बेटों को कार्यालय बुलाया और तीनों पुत्रों से समझाइश की.
जानकारी के अनुसार पीड़ित मां ने उपखंड अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर पुत्रों द्वारा भोजन, कपड़े, बीमार होने पर दवाइयों की व्यवस्था नहीं करने और जमीन वापस दिलाने जाने की मांग की थी. समझाइश के दौरान एसडीएम ने तीनों भाइयों को अपनी मां को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने के लिए पाबंद किया.
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समझाइस के बाद तीनों बेटे अपनी मां को राशि देने को तैयार हो गए और मौके पर ही तीनो ने एक-एक हजार की राशि अपनी मां को सौंपी. मामले का आपसी सहमति से निस्तारण होने पर तीनों ने एसडीएम का धन्यवाद किया. कनवास उपखंड मुख्यालय पर एसडीएम राजेश डागा ने भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत पक्षकारों की समझाइश से अब तक 7 मामलों का निस्तारण कराया है.
ये था मामला
कनवास क्षेत्र के गंगापुर गुंजारा निवासी छोटी बाई रैगर ने अपने बड़े पुत्र रतनलाल और पुत्रवधु मनभर बाई के विरुद्ध भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत मामला दर्ज करवाया था. महिला की मांग थी कि विरासत में मिली कृषि भूमि का तीनों पुत्रो में बंटवारा करने के बाद भी बड़े बेटे रतनलाल और पुत्रवधु मनभर बाई द्वारा अपनी मां को भोजन, कपड़े और बीमार होने पर दवाइयों की व्यवस्था नहीं करवाई जा रही थी.
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जिस पर कार्रवाई करते हुए उपखण्ड अधिकारी ने बड़े पुत्र और पुत्रवधु को नोटिस जारी कर उपखण्ड कार्यलय बुलाया और पक्षकारों के समक्ष मामले निस्तारण किया. साथ ही तीनो पुत्रों को हर महीने की 17 तारीख को अपनी मां को एक-एक हजार रुपये देने के लिए पाबंद किया. जिस पर तीनों पुत्रों ने सहमति जताई.