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कोटाः SDM ने एक मां को दिलाया उसका हक

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Published : Jul 17, 2020, 7:39 PM IST

कोटा के सांगोद में शुक्रवार को एसडीएम ने कार्रवाई करते हुए एक मां को उसका हक दिलाया है. जानकारी के अनुसार एक महिला ने अपने पुत्र और वधु के खिलाफ भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत मामला दर्ज करवाया था. जिसका निस्तारण करते हुए एसडीएम ने तीनों भाइयों को अपनी मां को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने के लिए पाबंद किया.

Mother upset with problem of maintenance, भरण पोषण की समस्या से परेशान मां
भरण पोषण की समस्या से परेशान मां

सांगोद (कोटा). क्षेत्र के कनवास गांव में एसडीएम ने पहल करते हुए भरण पोषण की समस्या से परेशान मां को उसका हक दिलाया है. बेटे-बहू द्वारा भरण पोषण नहीं करने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम डागा ने शुक्रवार को मां समेत उसके तीन बेटों को कार्यालय बुलाया और तीनों पुत्रों से समझाइश की.

जानकारी के अनुसार पीड़ित मां ने उपखंड अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर पुत्रों द्वारा भोजन, कपड़े, बीमार होने पर दवाइयों की व्यवस्था नहीं करने और जमीन वापस दिलाने जाने की मांग की थी. समझाइश के दौरान एसडीएम ने तीनों भाइयों को अपनी मां को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने के लिए पाबंद किया.

Mother upset with problem of maintenance, भरण पोषण की समस्या से परेशान मां
भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत मामला

पढ़ेंः LIVE : सचिन पायलट गुट की HC में दलील, विधानसभा के बाहर लागू नहीं होता व्हिप

समझाइस के बाद तीनों बेटे अपनी मां को राशि देने को तैयार हो गए और मौके पर ही तीनो ने एक-एक हजार की राशि अपनी मां को सौंपी. मामले का आपसी सहमति से निस्तारण होने पर तीनों ने एसडीएम का धन्यवाद किया. कनवास उपखंड मुख्यालय पर एसडीएम राजेश डागा ने भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत पक्षकारों की समझाइश से अब तक 7 मामलों का निस्तारण कराया है.

ये था मामला

कनवास क्षेत्र के गंगापुर गुंजारा निवासी छोटी बाई रैगर ने अपने बड़े पुत्र रतनलाल और पुत्रवधु मनभर बाई के विरुद्ध भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत मामला दर्ज करवाया था. महिला की मांग थी कि विरासत में मिली कृषि भूमि का तीनों पुत्रो में बंटवारा करने के बाद भी बड़े बेटे रतनलाल और पुत्रवधु मनभर बाई द्वारा अपनी मां को भोजन, कपड़े और बीमार होने पर दवाइयों की व्यवस्था नहीं करवाई जा रही थी.

पढ़ेंः राजेंद्र राठौड़ ने ऑडियो को बताया फर्जी, कहा- प्रदेश सरकार में हिम्मत है तो CBI से भी जांच करवा ले

जिस पर कार्रवाई करते हुए उपखण्ड अधिकारी ने बड़े पुत्र और पुत्रवधु को नोटिस जारी कर उपखण्ड कार्यलय बुलाया और पक्षकारों के समक्ष मामले निस्तारण किया. साथ ही तीनो पुत्रों को हर महीने की 17 तारीख को अपनी मां को एक-एक हजार रुपये देने के लिए पाबंद किया. जिस पर तीनों पुत्रों ने सहमति जताई.

सांगोद (कोटा). क्षेत्र के कनवास गांव में एसडीएम ने पहल करते हुए भरण पोषण की समस्या से परेशान मां को उसका हक दिलाया है. बेटे-बहू द्वारा भरण पोषण नहीं करने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम डागा ने शुक्रवार को मां समेत उसके तीन बेटों को कार्यालय बुलाया और तीनों पुत्रों से समझाइश की.

जानकारी के अनुसार पीड़ित मां ने उपखंड अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर पुत्रों द्वारा भोजन, कपड़े, बीमार होने पर दवाइयों की व्यवस्था नहीं करने और जमीन वापस दिलाने जाने की मांग की थी. समझाइश के दौरान एसडीएम ने तीनों भाइयों को अपनी मां को एक हजार रुपये प्रतिमाह देने के लिए पाबंद किया.

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भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत मामला

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समझाइस के बाद तीनों बेटे अपनी मां को राशि देने को तैयार हो गए और मौके पर ही तीनो ने एक-एक हजार की राशि अपनी मां को सौंपी. मामले का आपसी सहमति से निस्तारण होने पर तीनों ने एसडीएम का धन्यवाद किया. कनवास उपखंड मुख्यालय पर एसडीएम राजेश डागा ने भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत पक्षकारों की समझाइश से अब तक 7 मामलों का निस्तारण कराया है.

ये था मामला

कनवास क्षेत्र के गंगापुर गुंजारा निवासी छोटी बाई रैगर ने अपने बड़े पुत्र रतनलाल और पुत्रवधु मनभर बाई के विरुद्ध भरण पोषण अधिनियम 2007 के तहत मामला दर्ज करवाया था. महिला की मांग थी कि विरासत में मिली कृषि भूमि का तीनों पुत्रो में बंटवारा करने के बाद भी बड़े बेटे रतनलाल और पुत्रवधु मनभर बाई द्वारा अपनी मां को भोजन, कपड़े और बीमार होने पर दवाइयों की व्यवस्था नहीं करवाई जा रही थी.

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जिस पर कार्रवाई करते हुए उपखण्ड अधिकारी ने बड़े पुत्र और पुत्रवधु को नोटिस जारी कर उपखण्ड कार्यलय बुलाया और पक्षकारों के समक्ष मामले निस्तारण किया. साथ ही तीनो पुत्रों को हर महीने की 17 तारीख को अपनी मां को एक-एक हजार रुपये देने के लिए पाबंद किया. जिस पर तीनों पुत्रों ने सहमति जताई.

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