कोटा. विधानसभा चुनाव में सांगोद सीट पर काफी रोचक मुकाबला होने जा रहा है. इस सीट पर कांग्रेस की ओर से भरत सिंह कुंदनपुर चुनाव लड़ते थे, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से पहले ही मना कर दिया था. ऐसे में कांग्रेस ने भानु प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने हीरालाल नागर को चुनावी मैदान में उतारा है. इनके अलावा भी चार अन्य प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. यहां पर कांग्रेस और भाजपा में हीसीधी टक्कर होती आई है और इस बार भी कुछ ऐसा ही लग रहा है.
इस सीट से जो जीता उसकी बनी सरकार : सांगोद सीट की खासियत ये है कि इस सीट से जो भी प्रत्याशी चुनाव जीता है, उसी की पार्टी की सरकार राजस्थान में बनी है. बीते तीन चुनाव में यहां भाजपा और कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं बदले थे. भाजपा से वर्तमान प्रत्याशी हीरालाल नागर और कांग्रेस से भरत सिंह कुंदनपुर ही चुनावी मैदान में रहे हैं. पहले चुनाव 2008 में भरत सिंह 9364 वोट से जीते थे, दूसरा चुनाव 2013 में 19232 वोट से हार गए थे. तीसरी चुनाव में महज 1868 वोटो का अंतर रहा और कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह कुंदनपुर जीते थे. अब 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट बदलते हुए भानु प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है. इनके अलावा बहुजन समाजवादी पार्टी से प्रभुलाल, राइट टू रिकॉल पार्टी से राकेश कुमार, आजाद समाजवादी पार्टी (कांशीराम) से राम अवतार वर्मा और निर्दलीय दीपक मेघवाल मैदान में हैं.
पढ़ें. ओसियां में दिव्या मदेरणा और भैराराम चौधरी में सीधा मुकाबला, जानें क्या हैं दोनों की ताकत
जनता और कार्यकर्ताओं के लिए किया संघर्ष: हीरालाल नागर का कहना है कि वह चंद वोटों से बीते चुनाव में हार गए थे. इसमें भी उन्होंने पूरी समीक्षा की और हार के कारणों की तह में पहुंचे हैं. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि 2018 में जीत के बाद यहां से विधायक रहे भरत सिंह कुंदनपुर केवल कांग्रेस के नेताओं पर ही हमला करते रहे. उनके मन में मंत्री नहीं बन पाने की कसक थी. नागर का यह भी कहना है कि वह पूरे 5 साल क्षेत्र में रहे हैं. कोरोना से लेकर हर मुसीबत में क्षेत्र के लोगों के साथ संघर्ष किया है, जबकि भाजपा कार्यकर्ताओं पर जबरन मुकदमे लगाए गए थे, इससे भी क्षेत्र में काफी रोष है.
कांग्रेस ने गांव-गरीब को राहत पहुंचाई : कांग्रेस प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा ने सांगोद की जनता को विकास से महरूम रखा है. हम भंवरासा बांध का पानी क्षेत्र की जनता को दिलाएंगे. कनवास परियोजना का काम भाजपा ने रोका और परवन सिंचाई परियोजना का भी स्वरूप बदल दिया गया. इन सब मुद्दों पर भी हम काम करने वाले हैं. भारतीय जनता पार्टी विकास में बाधक बनी है. गरीबों की सुध सदैव कांग्रेस ने ली है. कांग्रेस सरकार ने करोड़ों परिवारों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर देकर गरीब को राहत पहुंचाने का काम किया है. कांग्रेस की कल्याणकारी योजनाएं गांव, गरीब और असहाय के लिए सहारा बन रही हैं. इन्हीं के बूते पर हम आम जनता से वोट लेकर जीतेंगे.
पूर्व विधायक भरत सिंह ने पहले विरोध फिर किया समर्थन : सांगोद सीट से वर्तमान विधायक भरत सिंह ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी थी. साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी भानु प्रताप की घोषणा होने पर विरोध भी दर्ज कराया और मीडिया में बयान जारी कर भानु प्रताप को बाहरी बताया था. उन्होंने कांग्रेस के सह प्रभारी और ऑब्जर्वर काजी निजामुद्दीन पर गंभीर आरोप भी लगा दिए थे. भानु प्रताप के विरोध में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष रहे कुशल पाल सिंह पानाखेड़ा और उनके पुत्र विजय प्रताप सिंह ने नामांकन दाखिल कर दिया था, लेकिन भानु प्रताप के समर्थन में यह वापस भी लिया है. हालांकि, हाल ही में उन्होंने एक पत्र दोबारा क्षेत्र की जनता को जारी किया है, जिसमें उन्होंने भानु प्रताप का समर्थन किया है.
पढे़ं. राजस्थान की हॉट सीट सूरजगढ़, कांग्रेस के पांच बार के विधायक के सामने भाजपा की पूर्व सांसद
पहली बार चुनाव लड़ रहे भानु प्रताप, नागर का चौथा चुनाव : कांग्रेस प्रत्याशी भानु प्रताप युवा चेहरा हैं और पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले वह जिला परिषद के सदस्य भी रहे हैं. इसके साथ ही वो कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं और वर्तमान में कांग्रेस देहात के अध्यक्ष भी हैं. उनकी उम्र 44 साल है, जबकि उनके सामने प्रतिद्वंदी हीरालाल नागर अनुभवी है. नागर का यह चौथा चुनाव है. चारों बार उन्होंने भाजपा के टिकट पर ही सांगोद से चुनाव लड़ा है. उनकी उम्र 63 साल है. नागर वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री हैं. इससे पहले भी वो भाजपा संगठन में कई पदों पर रहे हैं.
सांगोद में सबसे ज्यादा वोट धाकड़, फिर मीणा : सांगोद विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 8770 है. इनमें महिलाएं 100350 हैं, जबकि 108420 पुरुष हैं. सांगोद में सबसे बड़ा तबका ओबीसी वोटर्स का है. यह 1 लाख 3000 के आसपास है. इनमें करीब 30000 धाकड़ और 17500 माली हैं. वहीं, 16800 के आसपास गुर्जर हैं. इसके अलावा कुम्हार, बंजारा, नाई, बैरागी, कश्यप, तेली, खाती, कुशवाहा, अहीर, यादव और जाट सहित कई जातियां हैं. दूसरे नंबर पर एससी वोटर का बोलबाला है, जो संख्या में 45000 हैं. इनमें 13000 के आसपास मेघवाल और 12000 के आसपास बैरवा हैं. वहीं, अन्य जातियों में रैगर, नायक, मेहरा, धोबी, वाल्मीकि, कोली, बागड़ी और खटीक सहित कई जातियां हैं.
एसटी के 26 हजार और जनरल के 18 हजार वोट : सांगोद विधानसभा क्षेत्र में तीसरे नंबर पर एसटी का बोलबाला है, जिनमें 26000 वोटर एसटी के हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा 22500 के आसपास मीणा मतदाता हैं. इसके बाद 3500 भील मतदाता हैं. वहीं, जनरल के 17800 वोट हैं, जिनमें ब्राह्मणों के 7400 और राजपूतों के वोट 6100 हैं. इसके बाद महाजन समाज के करीब 2200 वोटर हैं. अल्पसंख्यक समुदाय के भी यहां पर 13500 वोटर हैं, जिनमें से 12600 के आसपास मुस्लिम मतदाता हैं. शेष में पंजाबी, सिंधी, मराठी और ईसाई हैं.
पढ़ें. किसकी होगी बीकानेर पूर्व सीट? भाजपा की सिद्धि कुमारी और कांग्रेस के यशपाल गहलोत आमने-सामने
भाजपा प्रत्याशी हीरालाल नागर का मजबूत पक्ष :
- भाजपा से चौथा चुनाव, हर वर्ग के मतदाताओं में पकड़
- खुद की बिरादरी के इस एरिया में सबसे ज्यादा वोटर
- भाजपा के बड़े नेताओं का साथ होना
- पिछले चुनाव की हार से क्षेत्र के मतदाताओं की सहानुभूति
हीरालाल नागर का कमजोर पक्ष :
- क्षेत्र में परंपरागत कांग्रेसी वोटर्स से नुकसान
- खुद की जाति के मतदाताओं के समर्थन से अन्य जातियां की दूरी
- मुस्लिम मतदाता भी कांग्रेस के साथ
कांग्रेस प्रत्याशी भानु प्रताप सिंह का मजबूत पक्ष :
- अल्पसंख्यक और एससी के मतदाताओं का साथ होना
- उनके क्षेत्र पीपल्दा में मीणा को टिकट, ऐसे में सांगोद में मीणा वोटर का समर्थन
- उम्र कम होने से युवाओं का ज्यादा जुड़ाव
भानु प्रताप सिंह का कमजोर पक्ष :
- नया चेहरा और क्षेत्र में कम पहचान
- बाहरी बता कर टिकट मिलने का हुआ था विरोध, उनकी अंदर खाने नाराजगी
- क्षेत्र के कांग्रेसियों का साथ कम जुड़ना
- भाजपा की तरफ से अनुभवी प्रत्याशी का मैदान में होना