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Fertilizer Shortage In Kota : चुनाव के समय हो सकती है खाद के लिए मारामारी, अभी अटैचमेंट की मार झेल रहे किसान - कोटा संभाग में रबी सीजन

कोटा संभाग में रबी सीजन की बुआई शुरू हो गई है. वर्तमान में खाद की कमी नहीं है, लेकिन सप्लाई काफी कम हो रही है. ऐसे में जब किसान को नवंबर-दिसंबर में इसकी अधिक जरूरत होगी, तब परेशानी बढ़ सकती है.

Possibility Of Fertilizer Shortage In Kota
Possibility Of Fertilizer Shortage In Kota
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 20, 2023, 1:21 PM IST

Updated : Oct 20, 2023, 1:46 PM IST

चुनाव के समय हो सकती है खाद के लिए मारामारी

कोटा. हाड़ौती संभाग में रबी सीजन की बुआई शुरू हो गई है और किसान अपने खेतों को तैयार कर रहे हैं. सरसों की बुआई अधिक अभी हुई है तो लहसुन, चना और गेहूं की बुआई की तैयारी चल रही है. ऐसे में किसानों के सामने हर बार खाद की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती होती है. वर्तमान में किसानों के लिए खाद खरीदने के साथ अटैचमेंट भी एक बड़ी चुनौती है. हर किसान को खाद लेने पर जबरन, दूसरी खाद या उर्वरक दे दी जाती है, जो उनके लिए उपयोगी नहीं होते हैं. वहीं, इसको लेकर कृषि विभाग की ओर से कई एडवाइजरी जारी हो चुके हैं, लेकिन खाद विक्रेताओं पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है.

इधर, हर साल डीएपी और यूरिया की कमी होती है, हालांकि शुरुआत में यह कमी नजर नहीं आ रही है, लेकिन अभी भी डिमांड के बराबर सप्लाई नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा प्रदेश में नवंबर व दिसंबर महीने में चुनाव है और बीते साल की तरह हर ही इस बार भी हाड़ौती में यूरिया और डीएपी की कमी की संभावना जताई जा रही है. वहीं, अगर ऐसा होता है तो फिर किसानों की परेशान बढ़ सकती है. हाड़ौती संभाग में जहां यूरिया की 320521, डीएपी की 73500 मीट्रिक टन की मांग है. जबकि वर्तमान में यहां यूरिया की उपलब्धता 36582 और डीएपी 11039 मीट्रिक टन है. ऐसे में जब किसको नवंबर-दिसंबर में इसकी जरूरत होगी, तब परेशानी बढ़ सकती है.

Possibility Of Fertilizer Shortage In Kota
अटैचमेंट की मार झेल रहे किसान

इसे भी पढ़ें - फर्टिलाइजर की कमी से जूझ रहे किसानों के सामने नकली खाद का संकट, ऐसे करें असली-नकली की पहचान?

डिमांड के मुकाबले आधी सप्लाई - हाड़ौती के चारों जिलों में अक्टूबर महीने में 136900 मीट्रिक टन यूरिया का एलोकेशन हुआ. जबकि अभी तक 47335 मीट्रिक टन ही आया है. इसमें पिछले महीने का शेष बचा हुआ है. इसमें यूरिया भी शामिल है. इसी तरह से डीएपी की, जहां मांग 35500 मीट्रिक टन है, यह वर्तमान में 20166 मीट्रिक टन ही आया है. इसमें भी पिछले महीने का शेष डीएपी शामिल है. ऐसे में डिमांड का आधा ही सप्लाई वर्तमान में मिल रहा है और यही स्थिति आगे भी बनी रही तो फिर किसानों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं. अगले माह राजस्थान में चुनाव भी है. ऐसे में अधिकारी और प्रशासन भी चुनाव में व्यस्त होंगे. इससे समस्या ज्यादा बढ़ सकती है.

नवंबर से शुरू होगी बुआई - कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक खेमराज शर्मा का कहना है कि 13 लाख 10 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य राज्य सरकार की ओर से हाड़ौती संभाग के लिए जिलों के लिए निर्धारित किया गया है. हालांकि यहां 12 लाख 10 हजार से 12 लाख 30 हजार हेक्टेयर एरिया में बुआई होती रही है. सर्वाधिक बुआई गेहूं और फिर उसके बाद सरसों, चना व लहसुन की होती है. वर्तमान में जिन इलाकों में नमी थी, वहां पर सरसों की बुआई जोर-शोर से चल रही है. वहीं, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर में गेहूं की बुआई भी शुरू हो जाएगी.

कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक खेमराज शर्मा का कहना है कि वर्तमान में डीएपी की डिमांड ज्यादा है. इसे बुआई के समय ज्यादा उपयोग में लिया जाता है. हालांकि, यूरिया भी कुछ मात्रा में बुआई के समय डाला जाता है. जबकि फसल को जो पहले पानी दिया जाता है उस समय यूरिया और डीएपी दोनों की रिमांड होती है, क्योंकि यूरिया का अधिकांतम उपयोग उसी समय होता है. हमने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को जिले के अनुसार एलॉटमेंट जारी करने के लिए पत्र भेजा है. हमारी डिमांड के अनुसार अलॉटमेंट मिलता है तो फिर कमी नहीं होगी. अगर अलॉटमेंट में देरी होती है तब समस्या आ सकती है.

इसे भी पढ़ें - रबी की फसल को खाद का संकट, जानें देश में क्यों हो रही उर्वरक की कमी

खाद के साथ अटैचमेंट की मार - सुल्तानपुर इलाके के हरिपुरा से खाद खरीदने आए दीपक मीणा का कहना है कि उन्हें 10 कट्टे लेने थे, लेकिन भामाशाह कृषि उपज मंडी के बाहर स्थित दुकानों ने यूरिया देने से इनकार कर दिया. इस यूरिया की एवज में 1000 से 1700 रुपए की अन्य उर्वरक दी जा रही है. जिनमें सल्फर व एमओपी शामिल है. मीणा ने यह भी बताया कि उन्होंने तीन से चार दुकानों में जाकर तलाश की लेकिन कोई भी बिना अटैचमेंट के खाद देने को तैयार नहीं है.

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कृषि विभाग के दावे झूठे

कृषि विभाग के दावे झूठे - जिले के चारचौमा निवासी कन्हैया प्रजापति का कहना है कि उन्होंने तीन कट्टे डीएपी खरीद व 10 कट्टे यूरिया खरीदा है, लेकिन डीएपी के साथ तीन कैट एएसपी व यूरिया के साथ एमओपी एक कट्टा जबरन दिया गया है. प्रजापति का कहना है कि उन्होंने चार से पांच दुकानों पर तलाश की, लेकिन कोई भी तैयार नहीं हुआ है. कृषि उपज मंडी के आसपास की सारी दुकानों पर घूम कर आए थे, लेकिन कहीं से भी उन्हें राहत नहीं मिली. कृषि विभाग झूठे दावे कर रहा है कोई भी दुकान पर बिना अटैचमेंट के माल नहीं मिल रहा हैं.

खाद बाहर न जाए इसके लिए लगा दी चौकी - कृषि विभाग के एडिशनल डायरेक्टर खेमराज शर्मा का कहना है कि जिन जिलों की सीमा मध्यप्रदेश से लगती है वहां चौकियां लगा कर उन जिलों के संयुक्त निदेशकों ने करवाई है. साथ ही कोई भी दूसरे जिले में खाद ले जाते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा बूंदी जिले से लगते सवाई माधोपुर और टोंक के किसान भी खाद लेने के लिए पहुंचते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए बूंदी जिला कलेक्टर ने राशनिंग की व्यवस्था से खाद बटवाने के निर्देश दिए हैं. अटैचमेंट के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने सभी व्यापारियों और कंपनियों को अटैचमेंट नहीं देने के लिए निर्देशित किया है. इससे उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है.

चुनाव के समय हो सकती है खाद के लिए मारामारी

कोटा. हाड़ौती संभाग में रबी सीजन की बुआई शुरू हो गई है और किसान अपने खेतों को तैयार कर रहे हैं. सरसों की बुआई अधिक अभी हुई है तो लहसुन, चना और गेहूं की बुआई की तैयारी चल रही है. ऐसे में किसानों के सामने हर बार खाद की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती होती है. वर्तमान में किसानों के लिए खाद खरीदने के साथ अटैचमेंट भी एक बड़ी चुनौती है. हर किसान को खाद लेने पर जबरन, दूसरी खाद या उर्वरक दे दी जाती है, जो उनके लिए उपयोगी नहीं होते हैं. वहीं, इसको लेकर कृषि विभाग की ओर से कई एडवाइजरी जारी हो चुके हैं, लेकिन खाद विक्रेताओं पर इसका कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है.

इधर, हर साल डीएपी और यूरिया की कमी होती है, हालांकि शुरुआत में यह कमी नजर नहीं आ रही है, लेकिन अभी भी डिमांड के बराबर सप्लाई नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा प्रदेश में नवंबर व दिसंबर महीने में चुनाव है और बीते साल की तरह हर ही इस बार भी हाड़ौती में यूरिया और डीएपी की कमी की संभावना जताई जा रही है. वहीं, अगर ऐसा होता है तो फिर किसानों की परेशान बढ़ सकती है. हाड़ौती संभाग में जहां यूरिया की 320521, डीएपी की 73500 मीट्रिक टन की मांग है. जबकि वर्तमान में यहां यूरिया की उपलब्धता 36582 और डीएपी 11039 मीट्रिक टन है. ऐसे में जब किसको नवंबर-दिसंबर में इसकी जरूरत होगी, तब परेशानी बढ़ सकती है.

Possibility Of Fertilizer Shortage In Kota
अटैचमेंट की मार झेल रहे किसान

इसे भी पढ़ें - फर्टिलाइजर की कमी से जूझ रहे किसानों के सामने नकली खाद का संकट, ऐसे करें असली-नकली की पहचान?

डिमांड के मुकाबले आधी सप्लाई - हाड़ौती के चारों जिलों में अक्टूबर महीने में 136900 मीट्रिक टन यूरिया का एलोकेशन हुआ. जबकि अभी तक 47335 मीट्रिक टन ही आया है. इसमें पिछले महीने का शेष बचा हुआ है. इसमें यूरिया भी शामिल है. इसी तरह से डीएपी की, जहां मांग 35500 मीट्रिक टन है, यह वर्तमान में 20166 मीट्रिक टन ही आया है. इसमें भी पिछले महीने का शेष डीएपी शामिल है. ऐसे में डिमांड का आधा ही सप्लाई वर्तमान में मिल रहा है और यही स्थिति आगे भी बनी रही तो फिर किसानों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं. अगले माह राजस्थान में चुनाव भी है. ऐसे में अधिकारी और प्रशासन भी चुनाव में व्यस्त होंगे. इससे समस्या ज्यादा बढ़ सकती है.

नवंबर से शुरू होगी बुआई - कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक खेमराज शर्मा का कहना है कि 13 लाख 10 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य राज्य सरकार की ओर से हाड़ौती संभाग के लिए जिलों के लिए निर्धारित किया गया है. हालांकि यहां 12 लाख 10 हजार से 12 लाख 30 हजार हेक्टेयर एरिया में बुआई होती रही है. सर्वाधिक बुआई गेहूं और फिर उसके बाद सरसों, चना व लहसुन की होती है. वर्तमान में जिन इलाकों में नमी थी, वहां पर सरसों की बुआई जोर-शोर से चल रही है. वहीं, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर में गेहूं की बुआई भी शुरू हो जाएगी.

कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक खेमराज शर्मा का कहना है कि वर्तमान में डीएपी की डिमांड ज्यादा है. इसे बुआई के समय ज्यादा उपयोग में लिया जाता है. हालांकि, यूरिया भी कुछ मात्रा में बुआई के समय डाला जाता है. जबकि फसल को जो पहले पानी दिया जाता है उस समय यूरिया और डीएपी दोनों की रिमांड होती है, क्योंकि यूरिया का अधिकांतम उपयोग उसी समय होता है. हमने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को जिले के अनुसार एलॉटमेंट जारी करने के लिए पत्र भेजा है. हमारी डिमांड के अनुसार अलॉटमेंट मिलता है तो फिर कमी नहीं होगी. अगर अलॉटमेंट में देरी होती है तब समस्या आ सकती है.

इसे भी पढ़ें - रबी की फसल को खाद का संकट, जानें देश में क्यों हो रही उर्वरक की कमी

खाद के साथ अटैचमेंट की मार - सुल्तानपुर इलाके के हरिपुरा से खाद खरीदने आए दीपक मीणा का कहना है कि उन्हें 10 कट्टे लेने थे, लेकिन भामाशाह कृषि उपज मंडी के बाहर स्थित दुकानों ने यूरिया देने से इनकार कर दिया. इस यूरिया की एवज में 1000 से 1700 रुपए की अन्य उर्वरक दी जा रही है. जिनमें सल्फर व एमओपी शामिल है. मीणा ने यह भी बताया कि उन्होंने तीन से चार दुकानों में जाकर तलाश की लेकिन कोई भी बिना अटैचमेंट के खाद देने को तैयार नहीं है.

Possibility Of Fertilizer Shortage In Kota
कृषि विभाग के दावे झूठे

कृषि विभाग के दावे झूठे - जिले के चारचौमा निवासी कन्हैया प्रजापति का कहना है कि उन्होंने तीन कट्टे डीएपी खरीद व 10 कट्टे यूरिया खरीदा है, लेकिन डीएपी के साथ तीन कैट एएसपी व यूरिया के साथ एमओपी एक कट्टा जबरन दिया गया है. प्रजापति का कहना है कि उन्होंने चार से पांच दुकानों पर तलाश की, लेकिन कोई भी तैयार नहीं हुआ है. कृषि उपज मंडी के आसपास की सारी दुकानों पर घूम कर आए थे, लेकिन कहीं से भी उन्हें राहत नहीं मिली. कृषि विभाग झूठे दावे कर रहा है कोई भी दुकान पर बिना अटैचमेंट के माल नहीं मिल रहा हैं.

खाद बाहर न जाए इसके लिए लगा दी चौकी - कृषि विभाग के एडिशनल डायरेक्टर खेमराज शर्मा का कहना है कि जिन जिलों की सीमा मध्यप्रदेश से लगती है वहां चौकियां लगा कर उन जिलों के संयुक्त निदेशकों ने करवाई है. साथ ही कोई भी दूसरे जिले में खाद ले जाते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा बूंदी जिले से लगते सवाई माधोपुर और टोंक के किसान भी खाद लेने के लिए पहुंचते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए बूंदी जिला कलेक्टर ने राशनिंग की व्यवस्था से खाद बटवाने के निर्देश दिए हैं. अटैचमेंट के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने सभी व्यापारियों और कंपनियों को अटैचमेंट नहीं देने के लिए निर्देशित किया है. इससे उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है.

Last Updated : Oct 20, 2023, 1:46 PM IST
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