कोटा. नगर विकास न्यास इंस्ट्रूमेंट लिमिटेड के आवासीय परिसर के 100 एकड़ एरिया में कोटा सिटी पार्क का निर्माण करवा रहा है. यह निर्माण अंतिम चरण में चल रहा है. इसके अधिकांश स्ट्रक्चर बनकर खड़े हो गए हैं, जबकि आर्ट हिल का निर्माण अभी चल रहा है. यह अपने आप में अनूठा स्ट्रक्चर है. नगर विकास न्यास के अधिकारी और संवेदक दावा करते हैं कि ये देश का पहला इस तरह का स्ट्रक्चर है, जिसमें अप्राकृतिक पहाड़ खड़ा किया जा रहा है. इसे कृतिम पहाड़ या आर्टिफिशियल हिल कहा जा सकता है. पूरे सिटी पार्क के साथ ही इसका डिजाइन भी आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने किया है.
इस तरह से हुआ है निर्माण : आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया के मुताबिक इस पहाड़ी की लंबाई 625 फीट और चौड़ाई औसत करीब 100 फीट के आसपास है. हालांकि यह चौड़ाई कम ज्यादा होती रहती है. कई जगहों पर ये पहाड़ी महज 50 फीट चौड़ी है और कई जगह पर यह चौड़ाई 175 फीट के आसपास भी है. इसी तरह से इस पहाड़ी की अधिकतम ऊंचाई 112 फीट है, जबकि न्यूनतम उचाई 50 फीट के आसपास है. साथ ही औसत ऊंचाई 100 फीट है.
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एक साथ इकट्ठा हो सकते हैं हजारों लोग : आर्टिफिशियल हिल तैयार करने के लिए सबसे पहले कॉलम का स्ट्रक्चर तैयार किया गया है. साथ ही सीमेंट कंक्रीट की दो दीवार बनाई गई हैं. इस दीवार के बीच की जगह खाली है, जिसमें आधा दर्जन सीमेंट कंक्रीट के पिलर और 11 लोहे के पाइप के जरिए बड़े पिलर बनाए गए हैं. इन्हीं पिलर के सपोर्ट पर ऊपर टीन शेड बिछाकर छत डाली जा रही है. इसका पूरा आकार एक पहाड़ी के जैसा है. दूर से देखने पर भी यह पहाड़ी ही नजर आती है. यह करीब 65000 वर्ग फिट में फैली है, जिसमें करीब 8 से 10 हजार लोग एक साथ मौजूद रहे सकते हैं.
पहाड़ी के बीच में बनेगा ग्लास टॉप रेस्टोरेंट : इस आर्ट हिल के बीचों-बीच सीमेंट कंक्रीट के पिलर के जरिए 112 फीट की ऊंचाई तक एक जगह बनाई गई है, जिसकी साइज 30X40 फिट है. इसमें लिफ्ट के जरिए ही ऊपर जाया जाएगा, जो ग्लास की बनी होगी. यह पूरी तरह से ग्लास टॉप बिल्डिंग रहेगी. इसमें एक रेस्तरां भी संचालित किया जाएगा. इस ग्लास टॉप रेस्तरां में बैठकर पूरे कोटा सिटी पार्क और आसपास के पूरे इलाके को भी देखा जा सकता है. ग्लास टॉप रेस्टोरेंट्स करीब 1200 स्क्वायर फीट का रहेगा, जिसमें लगभग 50 लोगों से जुड़ा हुआ कोई आयोजन या पार्टी यहां पर की जा सकती है.
कप और फूल की शेप में तैयार किए हैं पिलर : इसके निर्माण में लोहे के पाइपों को वेल्डिंग करते हुए पोल की तरह खड़ा किया गया है. ऐसे 11 खंभे लगाए गए हैं, जिनकी ऊंचाई भी अलग-अलग हैं. यह सभी लोहे के फूल की शेप में बनाए गए हैं. इनकी ऊंचाई कम ज्यादा पहाड़ी के अनुसार रखी गई है. साथ ही बीच में सीमेंट कंक्रीट के पिलर खड़े करते हुए स्ट्रक्चर बनाया गया है. इस स्ट्रक्चर पर भी लोहे के पाइप लगाकर उसे जोड़ा गया है. कई जगहों पर लोहे के पाइप को वेल्डिंग करके कंक्रीट के पिलर को भी मजबूती दी गई है. इस सीमेंट के स्ट्रक्चर को खड़ा करने के बाद लोहे के पिलर भी लगाए गए हैं. यह सीमेंट कंक्रीट के पिलर बीच में लगाए गए हैं, उनको कप का शेप दिया गया है.
सुरंगनुमा होने से अंदर रहेगी ठंडक : आर्ट हिल सुरंगनुमा बनाई गई है. ये पहले सकरा जबकि आगे जाकर चौड़ा हो जाता है. संवेदक व यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि इसमें पूरी तरह से ठंडक रहती है. शुरुआत में इसकी ऊंचाई कम है, फिर ऊंचाई धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. इसके बाद ऊंचाई वापस कम होती हुई दरवाजे की तरफ जा रही है. ऐसे में मेन एंट्रेंस से हवा इसमें प्रवेश करेगी तब ऊपर उड़ती हुई ठंडी हो जाएगी. यह वातानुकूलित नहीं रहेगी, लेकिन पूरी तरह से इसमें लाइटिंग लगाकर उजाला रखा जाएगा. इसका शेप इस तरह से दिया गया है कि अंदर पूरी तरह से ठंडक रहेगी. इसमें प्रवेश के लिए दो बड़े-बड़े मेन एंट्रेंस दिए गए हैं, जबकि दो इमरजेंसी एग्जिट भी बनाए गए हैं.
पहाड़ी पर चढ़ना होगा प्रतिबंधित : आर्ट हिल को बनाने के लिए 100 व्यक्ति कार्य में जुटे हुए हैं, जिनमें इंजीनियर से लेकर श्रमिक तक शामिल हैं. इसके अलावा आधा दर्जन बड़ी क्रेन भी यहां पर काम के लिए लगाई गई हैं. सबसे ज्यादा उपयोग इसमें लोहे का ही किया गया है. डेढ़ साल पहले इसका निर्माण शुरू हुआ था. अभी भी करीब 2 महीने लग सकते हैं. इसमें करीब सात करोड़ रुपए का खर्चा होना अनुमानित है. इसमें करीब 600 टन लोहा, 1500 क्यूबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट और 50 हजार फीट मिट्टी का उपयोग किया गया है. इस पहाड़ी पर निर्माण के बाद में मिट्टी पर घास लगा दी जाएगी, लेकिन किसी भी व्यक्ति को ऊपर चढ़ने की अनुमति नहीं होगी. केवल ग्लास टॉप रेस्टोरेंट पर ही जाया जा सकेगा.