कोटा. जिले के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एक और बाघिन मिली है, जिसको लेकर रणथंभौर से टीम कोटा पहुंची. यह बाघिन एमटी- 2301 है. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के कार्यवाहक फील्ड डायरेक्टर बीजो जॉय ने बताया कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और राज्य सरकार के निर्देश के बाद रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बाघिन टी- 2301 पर निगरानी रखी जा रही थी. बुधवार को उसकी लोकेशन मिलने के बाद एक्सपर्ट की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज किया. इसके बाद पूरे प्रोटोकोल से चिकित्सकीय जांच के बाद उसे मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व लाया गया.
ये हैं तैयारियां - उन्होंने बताया कि इसे मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सेल्जर रेंज में छोड़ा गया है, जहां पहले से ही पूरी तैयारियां कर ली गई थी. बाघिन को पहले सॉफ्ट रिलीज किया गया है. साथ ही मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघिन की निगरानी के लिए भी टीमें पहले से ही लगा दी गई हैं. वहीं, मुकुंदरा में पहले से ही एक बाघ एमटी - 5 मौजूद हैं. ऐसे में बाघ और बाघिन का जोड़ा यहां पर बन जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि एनटीसीए ने केवल एक बाघिन को रणथंभौर से यहां शिफ्ट करने की अनुमति दी थी. ऐसे में अब अन्य बाग बाघिन शिफ्टिंग में मुकुंदरा को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है.
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काफी दिनों से अकेला था एमटी-5 - मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में मई महीने में बाघिन एमटी-4 की मौत हो गई थी, जो की गर्भवती थी. उसके गर्भ से तीन बच्चे भी मिले थे. ऐसे में कयास लगाए गए कि संभवत: किसी जानवर का शिकार करते हुए वो घायल हो गई थी. हालांकि, उसके बाद उसको ट्रेंकुलाइज कर उसका उपचार भी किया गया, लेकिन वो रिकवर नहीं कर पाई. जबकि वन विभाग ने अपच की शिकायत बताई थी. ऐसे में नए जोड़े की सुरक्षा करना भी मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के स्टाफ के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा.
मुकुंदरा में बाघ-बाघिन की मौत का इतिहास - रणथंभौर टाइगर रिजर्व से 2018 में पहली बार एक बाघ को मुकुंदरा शिफ्ट किया गया था. इसके बाद दो बाघिन को यहां लाया गया. वहीं, रणथंभौर से एक बाघ खुद ही निकलकर मुकुंदरा आ गया था. ऐसे में मुकुंदरा में बाघ और बाघिन के दो जोड़े बन गए थे. एमटी 1 से लेकर एमटी 4 तक नाम दिए गए, जिनमें एमटी-2 बाघिन ने दो शावकों को जन्म दिया था.
वहीं, दूसरी बाघिन एमटी-4 के साथ कैमरा ट्रैप में एक शावक नजर आया था. यहां पर बाघों की संख्या बढ़कर सात हो गई थी, लेकिन अचानक से बाघों की मौत हो गई और एक बाघ व शावक लापता हो गया. एक बाघिन लाइटनिंग यानी एमटी-4 यहां पर थी, जिसके बाद एक बाघ टी-110 को फिर साल 2022 में रणथंभौर से यहां शिफ्ट किया गया, जिसे एमटी-5 नाम दिया गया. हाल ही में करीब 3 महीने पहले एमटी-4 की भी मौत हो गई. अब एमटी-4 की मौत के बाद ये अकेला बाघ बचा था.