कोटा: शहर के काला तालाब इलाके में मगरमच्छों की मौत (Death of Crocodiles in Kala Talab) का मामला सामने आया है. इस मामले में सांगोद विधायक और स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड के मेंबर भरत सिंह ने भी प्रिंसिपल सेक्रेट्री (MLA Bharat Singh wrote Letter to Principal Secretary) श्रेया गुहा को पत्र लिखा है. उन्होंने इस पूरे मामले में जांच करवाने की बात कही है.
वन्यजीव प्रेमियों ने दावा किया है कि काला तालाब इलाके में करीब 50 मगरमच्छों की मौत यूआईटी की आवासीय कॉलोनी के निर्माण के चलते हुई है. इन लोगों का कहना है कि काला तालाब इलाके में एक बड़ा तालाब है. जिसमें फ्लाई ऐश और मिट्टी डाली जा रही है. इसके चलते मगरमच्छों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है और वह दम तोड़ रहे हैं.
यूआईटी के अधिशासी अभियंता अनिल यादव का कहना है कि एक पुराना तालाब वहां पर स्थित है. जिसमें सैकड़ों की संख्या में मगरमच्छ हैं, लेकिन हम उस तालाब के एरिया में कोई छेड़खानी नहीं कर रहे हैं. यह रेवेन्यू का एरिया है. उसके बाहर व आसपास यूआईटी की जमीन है. वहां पर एक हाउसिंग स्कीम के लिए प्लॉट काटे जाएंगे. इसके लिए सड़क और अन्य निर्माण करवाया जा रहा है.
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इस तालाब को अच्छी तरह से सुंदर बनाकर बाउंड्री करवा दी जाएगी. मगरमच्छों से आम जनता को बचाने के लिए सेफ्टी गोल भी बनाई जाएगी. हम उसी को लेकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मगरमच्छ मरने के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. यूआईटी ने किसी तरह की फ्लाई ऐश तालाब में नहीं डाली है.
इस पूरे मामले में वन विभाग के कोटा टेरिटोरियल के लाडपुरा रेंजर कुंदन सिंह का कहना है कि एक फोटो बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. ये फोटो हमारे पास भी पहुंची थी. इसमें एक मगरमच्छ का शव दिखाई दिया था. इसके बाद काला तालाब इलाके में कल भी टीम भेजी गई थी. साथ ही एक टीम आज भी भेजी है. लेकिन मगरमच्छ का शव नहीं मिला है. शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा. उसके बाद ही कहा जा सकेगा कि मगरमच्छ की मौत कैसे हुई है? साथ ही उनका कहना है कि 50 मगरमच्छ की मौत तालाब में नहीं हुई है.
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तालाब के आसपास एरिया के रहने वाले लोगों ने कहा कि उन्होंने मगरमच्छ को मरते हुए तो नहीं देखा, लेकिन तालाब पहले काफी बड़ा था, जिसे छोटा कर दिया गया है. लगातार ढाई महीने से तालाब को छोटा करने का काम जारी है. इस तालाब में काफी संख्या में मगरमच्छ हैं और कई बार बाहर से भी बड़े मगरमच्छ आ जाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर रेलवे के माल गोदाम के हम्मालों के लिए आवासीय कालोनी काटी जाएगी. उन्होंने कहा कि भारी मात्रा में फ्लाई ऐश व मिट्टी डालने का काम रात-दिन यहां पर मशीन से किया जा रहा है. तालाब करीब 10 हजार स्क्वायर मीटर से ज्यादा था. जिसे केवल 4700 स्क्वायर मीटर तक छोड़ा जाएगा. मशीन चलाने वालों का भी कहना है कि लगातार वे यहां पर थर्मल की राख और मिट्टी डाल रहे हैं.