कोटा. जिले के 1100 चिकित्सक हड़ताल पर हैं. इसमें अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ, मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट और निजी चिकित्सक शामिल है. इसके चलते कोटा जिले की चिकित्सा व्यवस्थाएं पूरी तरह से वेंटिलेटर पर आ गई है. केवल इमरजेंसी के मरीजों को ही उपचार मिल रहा है. निजी अस्पतालों में ओपीडी में डॉक्टर नहीं देख रहे हैं. वहीं निजी क्लीनिक ऊपर भी चिकित्सक सेवाएं नहीं दे रहे हैं. केवल सरकारी अस्पताल में ओपीडी चालू है. जिसमें भी लंबी कतारें लग रही है. वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले चिकित्सालयों में तो हालात और भी गंभीर है, क्योंकि वहां के चिकित्सक सामूहिक अवकाश लेकर कार्य बहिष्कार कर रहे हैं.
ऐसे में मरीजों को मजबूरीवश मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में आना पड़ रहा है. जहां पर लंबी कतारों में उन्हें लगना पड़ रहा है.एक मरीज का करीब 2 घंटे से ज्यादा समय में नंबर आ रहा है ऐसे में मरीज पसीना पसीना हो रहे हैं और परेशान हो रहे हैं. आईएमए के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. दुर्गा शंकर सैनी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तानाशाही कर रही है ऐसे में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप कर कर राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए.
वही अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के जिला अध्यक्ष अमित गोयल का कहना है चिकित्सकों की सुरक्षा के प्रभावी इंतजाम होने चाहिए इसकी मांग को लेकर ही हमने 24 घंटे का बंद और हड़ताल रखी है. प्रदेश नहीं पूरे देश में डॉक्टरों के साथ मरीज और उनके परिजन मारपीट पर उतारू हो रहे हैं और हिंसक घटनाएं हो रही है. जिनको रोकने के लिए सरकारें किसी तरह का कोई इंतजाम और सुरक्षा प्रदान नहीं कर पा रही है.