इटावा (कोटा). उन्नति और विकास का पहला पथ अगर गांव बने, तो वह राष्ट्र बहुत जल्द विकास की ओर अग्रसर होता है. वर्तमान हालातों के मध्यनजर, भारत विकास शील से विकसित राष्ट्र की श्रैणी में आने के लिए तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है. ऐसे में अगर ग्रामीण परिवेश के विकास की बात की जाए, तो यह सारा जिम्मा होता है वहां के सरपंच का. ग्रामीण विकास की धुरी गांव के सरपंच के इर्द-गिर्द ही धूमती नजर आती है. लेकिन आज के दौर में गांवो में ऐसे सरपंच भी नहीं मिलते है, जो मेहनत और लगन के साथ अपनी पंचायत को विकास में आगे बढ़ाने का माद्दा रखता हो.
बदलते परिवेश के साथ हर व्यक्ति केवल अपना विकास चाहता है, न की गांव और वार्ड का, लेकिन एक ऐसी ग्राम पंचायत की तस्वीर भी दिखता है, जहां विकास के पथ का पहिया इस कदर चला है कि यहां के लोग अब कहने लगे है कि सरपंच हो तो ऐसा, जिसने गांव के साथ हर वर्ग के व्यक्ति को साथ लिया और विकास करवाया. यह कहानी है, मंडावरा ग्राम पंचायत के विकास की तस्वीर का, जो स्थानीय सरपंच बजरंगलाल नागर उर्फ काका के सार्थक प्रयासो का परिणाम है.
बताया जा रहा है कि स्थानीय सरपंच के प्रयासो से शौचालयो का निर्माण, सीसी सड़को का निर्माण, विद्यालयों का विकास, ग्राम पंचायत कार्यलय का कायाकल्प, 11 केवी जीएसएस, प्रधानमंत्री आवासीय योजना से ग्रामीणों को लाभावंत्ति करवाने, सामुदायिक भवन के अलावा हर वर्ग के व्यक्ति को साथ लेकर चलना और जरूरत मंद की मदद करने, जैसे कार्यो ने सरपंच काका की मंडावरा में छाप छोड़ी है. जिसके परिणाम स्वरूप मंडावरा को खुले में शौच मुक्ति के मामले में राज्य स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है.
यह भी पढ़ें- सांगोद में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
लेकिन सरपंच काका को अपने क्षेत्र से निकल रहे दुदु-नैनवा स्टेट हाइवे 37A पर सीसी सड़क या डामरीकरण करवाने में असफल रहने का मलाल भी है. जिसका मुख्य कारण रहा कि यह घड़ियाल क्षेत्र होने के कारण इसका निर्माण करवाने में विधायक सांसदों ने भी अपने हाथ खींच लिए, लेकिन सरपंच बजरंगलाल काका ने अपनी पंचायत क्षेत्र के विकास के पथ पर ले जाने का भरपूर प्रयास किया है. जिसके कारण आज मंडावरा ग्राम विकास की और अग्रसर है.