कोटा: कोटा (Kota) में लगातार डेंगू (Dengue In Kota) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है जिले में 1100 से ज्यादा मरीज पूरे जिले में सामने आ चुके हैं. सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals) में मरीजों की लंबी कतार देखने को मिल रही है. मरीजों की तकलीफों में इजाफा संविदा कार्मिकों (Contract Personnel Strike) की हड़ताल भी कर रही है. जो पिछले डेढ़ साल से अटके पड़े एरियर भुगतान को जारी करने की मांग कर रहे हैं.
एरियर भुगतान पर अड़े संविदा कार्मिकों ने कोटा के एमबीएस अस्पताल (MBS Hospital) में हड़ताल कर दी. इसके चलते अस्पताल की पूरी व्यवस्था ठप हो गई है. परामर्श पर्ची से लेकर जांच और वार्डों तक में अव्यवस्थाएं हो गई हैं. कंप्यूटराइज्ड पर्ची के लिए लोग घंटों तक लाइन में लगे हुए हैं, लेकिन उन्हें नहीं मिल पा रही है. इस वजह से मरीज जरूरी चिकित्सकीय परामर्श भी नहीं ले पा रहे हैं. इसके साथ ही जांच की रसीद नहीं कटने से जांचें भी रुकी हुई हैं.
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काउंटर पर मरीज और परिसर में लग रहे नारे
मरीज पर्ची काउंटरों के बाहर सैकड़ों की संख्या में इंतजार कर रहे हैं. घंटों तक उन्हें पर्ची नहीं मिल पा रही है. दूसरी तरफ कई मरीज ऐसे हैं जो स्ट्रेचर पर ही लेटे हुए हैं और उन्हें उपचार नहीं मिल पा रहा है. अधिकांश मरीज वे भी हैं जो जांच के लिए इंतजार कर रहे हैं.
यह संविदा कार्मिक (Contract Personnel Strike) अस्पताल में रैली निकाल रहे हैं. साथ ही सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं करीब 450 से ज्यादा यह संविदा कार्मिक है. जिन्होंने एक साथ ही काम छोड़ दिया है और अस्पताल अब पूरी तरह से अव्यवस्थित हो गया है.
लाचार अस्पताल प्रबंधन
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने व्यवस्थाएं करने के लिए नर्सिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स को लगाया है, परमानेंट स्टाफ को भी तैनात किया गया है, लेकिन इतनी संख्या में लोग नहीं हैं. जिसके चलते दिक्कतें हो रही हैं. पर्ची काउंटर से लेकर वार्ड, ओपीडी, सेंट्रल लैब, दवा काउंटर और एक्स-रे रूम में कार्यरत हैं.
संविदा कर्मियों की एक ही मांग है कि उन्हें तुरंत एरियर का भुगतान कर दिया जाए. उनका कहना है कि डेढ़ साल से लगातार इस एरिया को अटकाया जा रहा है. वहीं अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ समीर टंडन का कहना है कि यह राशि 75 लाख रुपए के आसपास है. ऐसे में एक साथ इतनी राशि की व्यवस्था कर पाना संभव नहीं है. हम इन लोगों को पहले भी कह चुके हैं कि उन्हें राशि उपलब्ध करा दी जाएगी, लेकिन सरकार से पैसा मिलने के बाद ही दिया जा सकता है, लेकिन यह मानने को तैयार नहीं है.
सर्वर डाउन होने से बढ़ी समस्या
एक तरफ जांच-पड़ताल की सेवाओं को प्रभावित रखा तो दूसरी तरफ से सर्वर डाउन होने की समस्या से कंप्यूटराइज्ड पर्ची न निकलने से भी लोगों को परेशामनी का सामना करना पड़ा. इस कारण संविदा कार्मिकों की जगह जिनको ड्यूटी पर बैठाया गया था वह भी परेशान होते रहे. पर्ची काटने और जांच रसीद बनाने में भी काफी समय लग रहा था.