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कोटा न्यू मेडिकल अस्पताल की खुली पोल, मरीजों को नहीं मिल रही मुफ्त दवाइयां

न्यू मेडिकल अस्पताल में भामाशाह लाभार्थियों को मुफ्त दवाओं के नाम पर सिर्फ स्टाफ भी बदसूलकी देखने को मिल रही है. वहीं मरीजों को एनओसी नहीं मिलने पर कई दवाईयां बाहर से खरीद कर, महंगे दामो पर लानी पड़ रही है.

New Medical Hospital, कोटा न्यूज स्टोरी, patients not getting medicine
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Published : Aug 13, 2019, 11:21 PM IST

कोटा. न्यू मेडिकल अस्पताल कहने को तो कोटा शहर के सबसे बड़े अस्पतालों में गिना जाता है, लेकिन इस अस्पताल के भामाशाह योजना के दवा काउंटर पर मरीजो और तीमारदारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. भर्ती मरीजो की भामाशाह कार्ड चालू होने के बावजूद भी दवाईयों के लिए इधर से उधर भटकना पड़ रहा है. पीड़ित मरीज बाहर से दवाएं खरीदनी को मजबूर है. वही भामाशाह दवा काउंटर का स्टाफ भी मरीजो और तीमारदारों से बदमीजी करते है.

कोटा न्यू मेडिकल कॉलेज में नहीं मिल रही मुफ्त दवाइयां

तीमारदार जब एनओसी की बात करते है तो उनको मना कर दिया जाता है. वही अस्पताल में कैथून कस्बे से आये मरीज के परिजन ने बताया कि दवाएं समय पर नही मिल रही है, अगर दवा मिलती भी है तो आधी अधूरी दी जाती है. एनओसी की बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऊपर से एनओसी के लिए मना कर रखा है.साथ ही बताया कि भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद दवाओं को बाहर से खरीदने को मजबूर है.

यह भी पढ़े: भाजपा मुख्यालय में होर्डिंग बदला, पहली बार पार्टी के होर्डिंग में नजर आए राजेंद्र राठौड़

भर्ती मरीज की पत्नी ने बताया कि भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. भामाशाह दवा काउंटर के बार बार चक्कर काटने के बाद भी आधी अधूरी दवाएं मिल पाती है. वही दवा काउंटर पर बैठा स्टाफ भी बदसूलकी करता है.

न्यू मेडिकल अस्पताल का सरकारी तंत्र कितना बिगड़ा हुआ है वह भामाशाह योजना के दवा काउंटर पर देखा जा रहा है. लोग भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद महंगे दामो में दवाएं बाहर से खरीदने को मजबूर है.

कोटा. न्यू मेडिकल अस्पताल कहने को तो कोटा शहर के सबसे बड़े अस्पतालों में गिना जाता है, लेकिन इस अस्पताल के भामाशाह योजना के दवा काउंटर पर मरीजो और तीमारदारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. भर्ती मरीजो की भामाशाह कार्ड चालू होने के बावजूद भी दवाईयों के लिए इधर से उधर भटकना पड़ रहा है. पीड़ित मरीज बाहर से दवाएं खरीदनी को मजबूर है. वही भामाशाह दवा काउंटर का स्टाफ भी मरीजो और तीमारदारों से बदमीजी करते है.

कोटा न्यू मेडिकल कॉलेज में नहीं मिल रही मुफ्त दवाइयां

तीमारदार जब एनओसी की बात करते है तो उनको मना कर दिया जाता है. वही अस्पताल में कैथून कस्बे से आये मरीज के परिजन ने बताया कि दवाएं समय पर नही मिल रही है, अगर दवा मिलती भी है तो आधी अधूरी दी जाती है. एनओसी की बात करते हुए उन्होंने कहा कि ऊपर से एनओसी के लिए मना कर रखा है.साथ ही बताया कि भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद दवाओं को बाहर से खरीदने को मजबूर है.

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भर्ती मरीज की पत्नी ने बताया कि भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. भामाशाह दवा काउंटर के बार बार चक्कर काटने के बाद भी आधी अधूरी दवाएं मिल पाती है. वही दवा काउंटर पर बैठा स्टाफ भी बदसूलकी करता है.

न्यू मेडिकल अस्पताल का सरकारी तंत्र कितना बिगड़ा हुआ है वह भामाशाह योजना के दवा काउंटर पर देखा जा रहा है. लोग भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद महंगे दामो में दवाएं बाहर से खरीदने को मजबूर है.

Intro:मेडिकल कालेज अस्पताल में भामाशाह लाभार्थियों को नही मिल रही दवाएं।
वहां लगा स्टाफ मरीजो ओर तीमारदारों से करते है बदसूलकी।
एनओसी नही देने पर कई दवाएं बाहर से खरीद कर महंगे दामो पर लानी पड़ रही है।
शहर के सबसे बड़े अस्पताल न्यू मेडिकल अस्पताल में भामाशाह योजना के दवा काउंटर पर मरीजो व तीमारदारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।भर्ती मरीजो को भामाशाह कार्ड चालू होने के बावजूद बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही है।वही भामाशाह दवा काउंटर पर लग रहा स्टाफ भी मरीजो व तीमारदारों से बदमीजी करते है।
Body:कोटा शहर के न्यू मेडिकल अस्पताल में भामाशाह दवा काउंटर पर भर्ती मरीजो को कई दवाओं के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है इसके चलते कई दवाओं को बाहर से लाने के लिए बोला जाता है।वही तीमारदार जब एनओसी की बात करते है तो उनको मना कर दिया जाता है।वही अस्पताल में कैथून कस्बे से आये मरीज तेजकरण सुमन के साथ आये महावीर सुमन ने बताया कि दवाएं समय पर नही मिल रही अगर दवा भी मिली तो आधी अधूरी दी है।जब एनओसी की बात कही तो उन्होंने साफ मना कर दिया और कहा कि ऊपर से ही एनओसी के लिए मना कर रखा है।वही बताया कि भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद दवाओं को बाहर से खरीदनी पड़ रही है।वही भर्ती मरीज शंकरलाल की पत्नी सुनीता ने बताया कि भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है भामाशाह दवा काउंटर के बार बार चक्कर काटने के बाद भी आधी अधूरी दवाएं मिल पाती है।वही दवा काउंटर पर बैठा स्टाफ भी बदसूलकी करता है।
Conclusion:सरकारी तंत्र कितना बिगड़ा हुआ है वह भामाशाह योजना के दवा काउंटर पर देखा जा सकता है।लोग भामाशाह लाभार्थी होने के बावजूद गरीब तबके के मरीजो को महंगे दामो में दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही है।
बाईट-महावीर सुमन, परिजन मरीज
बाईट-सुनीता, परिजन
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