कोटा. नगर निगम के पार्किंग स्टैंडों के हालात आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया जैसी हो गई हैं. इन पार्किंग स्टैंडों पर हर महीने सैलरी और अन्य खर्चे मिलाकर 4 लाख तक हो रहा है जबकि इनकी आय 90 हजार मासिक तक ही हो रही रही है. नगर निगम के चार पार्किंग स्टैंड जिनमें चंबल गार्डन, भीतरिया कुंड, बकरा मंडी और नयापुरा बस स्टैंड के नजदीक का स्टैंड शामिल है. चंबल गार्डन और उसी से जुड़ा हाड़ौती गार्डन एक ठेके पर संचालित होते थे. पिछले 1 अप्रैल से इन ठेकों को नगर निगम ही संचालित कर रहा है क्योंकि नगर निगम ने ठेका निकाला था पर कोई भी संवेदक उसे लेने को तैयार नहीं हुआ. ऐसे में अब नगर निगम की स्थाई कर्मचारियों के भरोसे इनको संचालित कर रहा है.
नगर निगम के आयुक्त नरेंद्र कुमार गुप्ता का कहना है कि उन्होंने दो बार ठेका देने का प्रयास किया लेकिन कोई भी तैयार नहीं हुआ. अब राशि कम करके दोबारा ठेका देने की प्रक्रिया शुरू करेंगे. जिससे इस समस्या का समाधान हो सके.
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इनकम 90 हजार खर्चा 4 लाख
नगर निगम की चार पार्किंग में रोजाना 1 से 3 हजार रुपए वाहन चालकों से वसूले जा रहे हैं. ऐसे में 30 हजार से 90 हजार रुपए तक मासिक आय इन पार्किंग स्टैंड से नगर निगम को हो रही है. जबकि यहां पर लगे हुए कार्मिकों को हर माह 2 से 4 लाख रुपए तनख्वाह दी जा रही है. नगर निगम के 15 से ज्यादा कार्मिक इस काम मे लगे हुए है.
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मूल काम छोड़ कर्मचारी काट रहे हैं पार्किंग की पर्चियां
पार्किंग ठेकों को संभाल रहे नगर निगम के स्थाई कार्मिकों में कोई सिविल विंग का है, तो कोई इलेक्ट्रिक विंग का, कोई अतिक्रमण निरोधक दस्ते का कार्मिक है. ऐसे में यह लोग अपने मूल काम को छोड़कर पार्किंग की पर्चियां काटने, वाहनों को पार्किंग में खड़ा करवाने, उनकी चौकीदारी और पर्ची लेकर वापस वाहन सुपुर्द करने के काम में जुटे हुए हैं. इसके अलावा दिन भर के काटी हुई पर्चियों का हिसाब का पैसा नगर निगममें जमा करवाने का काम भी इनके ही जिम्मे है. हालांकि यहां लगे हुए कार्मिकों का कहना है कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. वह नगर निगम के सफाई कर्मचारी है. नगर निगम जो चाहे वह काम उनसे करवा लेगा, लेकिन दिन भर में इन्हें केवल 20 से 50 वाहनों को ही स्टैंड पर खड़ा करवाना होता है.