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Kota is Safest for Girls: कम्युनिटी पुलिसिंग से लेकर जनता तक कर रहे सुरक्षा की चिंता, छात्राएं बोली-सुरक्षित हैं हम

देश में कोचिंग नगरी कोटा ही एकमात्र शहर (Kota Coaching) है, जहां पर कम्युनिटी पुलिसिंग का अच्छा खासा नजराना देखने को मिलता है. करीब 16 साल पहले यह व्यवस्था शुरू की गई थी. यहां पर करीब 300 से ज्यादा कम्युनिटी पुलिस ऑफिसर तैनात है. जिनमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में है. यह सब लोग छात्राओं और यहां पढ़ने वाले कोचिंग स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए है.

Kota is Safest for Girls, Kota Coaching
कोटा में कम्युनिटी पुलिसिंग
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Published : Jan 8, 2022, 6:51 PM IST

कोटा. देशभर से लाखों बच्चे कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी करने आते हैं. जिनमें हजारों की संख्या में छात्राएं होती हैं. कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ पुलिस और स्थानीय नागरिकों के सतर्कता का परिणाम है कि लड़कियों के लिए कोटा देश में सबसे सेफ है.

कोटा शहर में हजारों बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना लेकर आते हैं. जिसमें हजारों की संख्या में लड़कियां शामिल होती हैं. बीते 33 साल से कोटा के कोचिंग संस्थान संचालित हैं. यहां कम्यूनिटी पुलिस और नागरिक की सतर्कता की वजह से बच्चियां खुद को अधिक सेफ महसूस करती हैं

कोटा में कम्युनिटी पुलिसिंग

कोटा एकमात्र ऐसा शहर है, जहां पर हजारों की संख्या में छात्राएं हर साल पढ़ने आती है और बीते 33 साल से कोटा में कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे हैं. इसके बावजूद भी ऐसी कोई बड़ी अनहोनी घटना कोटा में नहीं हुई है. देश में कोचिंग नगरी कोटा शहर है, जहां पर कम्युनिटी पुलिसिंग मुस्तैद रहती हैं. कोटा में कम्युनिटी पुलिसिंग की व्यवस्था 16 साल पहले शुरू हुई थी.

यह भी पढे़ं. Top Class facilities in Kota Hostels : यहां स्ट्रेस मैनेजमेंट से लेकर बच्चे की पूरी मॉनिटरिंग, होटल के बराबर VVIP सुविधाएं भी

हजार बच्चे पर एक सीपीओ

यहां पर करीब 300 से अधिक कम्युनिटी पुलिस ऑफिसर तैनात हैं. जिसमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हैं. ये सब लोग छात्राओं और यहां पढ़ने वाले कोचिंग स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए है. इन्हें पूरे कोचिंग एरिया में जगह-जगह पुलिस की मदद से तैनात किया हुआ है. कोटा में पढ़ने वाले हर 1000 बच्चे पर एक सीपीओ तैनात है. यह बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं. इन्हें ड्यूटी पॉइंट दिए हुए हैं.

सड़क पर छेड़छाड़ की घटना को त्वरित रिस्पांस

कोचिंग एरिया में किसी भी बाहरी छात्रा के साथ दुर्व्यवहार या छेड़छाड़ की घटना की सूचना होती है. इस पर तुरंत पुलिस चौकी के अलावा उस एरिया में तैनात सीपीओ ध्यान रखते हैं. कोचिंग एरिया में बदमाशी के नियत से आने वाले लोगों पर भी नजर रखी जाती है. ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें कोचिंग एरिया से बाहर खदेड़ा जाता है. साथ ही पुलिस में भी उनके खिलाफ शिकायत दी जाती है. यहां तक कि कोचिंग एरिया में बने हुए हॉस्टल में सभी स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना भी अनिवार्य किया हुआ है. इसके लिए हॉस्टल एसोसिएशन काम करती है. उनके सदस्य इस पर पूरी निगरानी बनाए रखते हैं.

यह भी पढ़ें. SPECIAL : देश भर के हजारों परिवारों में मेडिकल और इंजीनियरिंग सलेक्शन की रोशनी पहुंचाता है कोटा शहर...

डेडीकेटेड पुलिस सहायता केंद्र

कोटा ही ऐसा शहर है, जहां पर स्टूडेंट्स की मदद के लिए डेडीकेटेड पुलिस सहायता केंद्र (Dedicated Police Help Center Kota) संचालित किए जा रहे हैं. कोटा शहर में अभी वर्तमान में दो डेडीकेटेड पुलिस सहायता केंद्र हैं. जिनमें एक लैंडमार्क सिटी और दूसरा राजीव गांधी नगर में है. अब जल्द ही कोरल पार्क में भी एक पुलिस सहायता केंद्र खोल दिया जाएगा. जहां पर असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद के अधिकारियों को नियुक्त किया हुआ है. इसके अलावा इस चौकी पर भी स्टाफ तैनात किया हुआ है. यहां तैनात पुलिस कोचिंग एरिया में रहने वाले बच्चों और आसपास होने वाली घटनाओं पर रोक लगाते हैं. यहां पर सैकड़ों की संख्या में बच्चे अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, उनकी शिकायतों के समाधान भी तुरंत किए जाते हैं.

रात के समय एरिया में नो एंट्री, सब कुछ टाइमिंग से

कोचिंग एरिया अधिकांश ऐसी जगह पर स्थित है, जहां पर हॉस्टल ही हॉस्टल बने हुए हैं. ऐसे में उन एरिया का व्यापार भी समय से ही संचालित किया जाता है. सभी को निर्देश दिए हुए हैं और आपसी सामंजस्य से ही सभी व्यापारी यहां पर काम करते (business in Kota Coaching Area) हैं. रात के समय पूरे कोचिंग एरिया को पैक कर दिया जाता है. यहां पर एंट्री और एंट्रेंस के कुछ ही रास्ते रखे जाते हैं. जिससे आने वाले लोगों पर रात के समय नजर रखी जा सके. साथ ही दुकानों के खुलने का भी समय तय किया हुआ है. ऐसे में बाहरी लोगों को रात के समय कोचिंग एरिया में एंट्री भी नहीं मिलती है.

धीरे-धीरे जमा विश्वास, अब केवल पढ़ाई का माहौल

पैरंट्स को बच्चों को दूसरे शहर में भेजने में काफी हिचकिचाहट होती है. जब अपनी बेटियों को हजारों किलोमीटर दूर पढ़ने भेजना हो तो चिंता जरूर सताती है, लेकिन कोटा में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. यहां पर नॉर्थ ईस्ट से लेकर साउथ के प्रदेशों की बच्चियां भी पढ़ रही है. ये वेस्ट बंगाल, उड़ीसा, बिहार, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और गुजरात से लेकर कई राज्यों की छात्राएं पढ़ने आती हैं.

यह भी पढ़ें. SPECIAL : देश भर के हजारों परिवारों में मेडिकल और इंजीनियरिंग सलेक्शन की रोशनी पहुंचाता है कोटा शहर...

छात्रों ने कहा-होता है सुरक्षित महसूस

छात्राओं को भी कहना है कि हॉस्टल से कोचिंग और बाजार में कहीं भी जाने के दौरान रास्ते में कोई लड़के बदमाशी करते हैं, तो उन्हें चौराहे या फिर ड्यूटी पॉइंट पर मौजूद सीपीओ डांट फटकार कर भगा देते हैं. ऐसे में हमें सुरक्षित ही महसूस होता है. हजार में गुजरने वाले हर व्यक्ति पर सीपीओ की नजर रहती है, क्योंकि जगह-जगह बड़ी संख्या में पुलिस खड़े रहते हैं. हमारे पैरंट्स ने भी जब यहां पर हमें अकेला छोड़ा है, तो उसके पहले सब कुछ तहकीकत की थी. हॉस्टल से लेकर कोचिंग और आने-जाने के रास्तों पर भी किसी तरह की कोई दिक्कत उन्हें नजर नहीं आई, तब ही उन्होंने यहां पर भेजा है.

स्टूडेंट्स की पहुंच में वेलफेयर सोसायटी

कोचिंग स्टूडेंट्स के वेलफेयर के लिए सोसायटी भी बनाई हुई (Welfare society for Kota students) है. इसमें स्थानीय लोगों के साथ हॉस्टल व कोचिंग संस्थान से जुड़े लोग भी सदस्य व पदाधिकारी हैं. इन लोगों की कोविड-19 के दौरान बच्चों को भोजन पहुंचाने से लेकर बच्चों के संक्रमित होने पर उपचार से लेकर सब जिम्मेदारी वेलफेयर सोसायटी ने उठाई है.

इसके अलावा 18 प्लस की उम्र के लोगों को वैक्सीनेशन में भी सभी जिम्मेदारी वेलफेयर सोसाइटी ने ली (vaccination on Kota Students) थी. बड़ी संख्या में कोचिंग एरिया में लोगों को वैक्सीनेट किया गया है. वर्तमान में जहां पर 15 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन का काम चल रहा है. उसमें भी वेलफेयर सोसायटी अच्छा काम कर रही है.

कोटा. देशभर से लाखों बच्चे कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी करने आते हैं. जिनमें हजारों की संख्या में छात्राएं होती हैं. कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ पुलिस और स्थानीय नागरिकों के सतर्कता का परिणाम है कि लड़कियों के लिए कोटा देश में सबसे सेफ है.

कोटा शहर में हजारों बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना लेकर आते हैं. जिसमें हजारों की संख्या में लड़कियां शामिल होती हैं. बीते 33 साल से कोटा के कोचिंग संस्थान संचालित हैं. यहां कम्यूनिटी पुलिस और नागरिक की सतर्कता की वजह से बच्चियां खुद को अधिक सेफ महसूस करती हैं

कोटा में कम्युनिटी पुलिसिंग

कोटा एकमात्र ऐसा शहर है, जहां पर हजारों की संख्या में छात्राएं हर साल पढ़ने आती है और बीते 33 साल से कोटा में कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे हैं. इसके बावजूद भी ऐसी कोई बड़ी अनहोनी घटना कोटा में नहीं हुई है. देश में कोचिंग नगरी कोटा शहर है, जहां पर कम्युनिटी पुलिसिंग मुस्तैद रहती हैं. कोटा में कम्युनिटी पुलिसिंग की व्यवस्था 16 साल पहले शुरू हुई थी.

यह भी पढे़ं. Top Class facilities in Kota Hostels : यहां स्ट्रेस मैनेजमेंट से लेकर बच्चे की पूरी मॉनिटरिंग, होटल के बराबर VVIP सुविधाएं भी

हजार बच्चे पर एक सीपीओ

यहां पर करीब 300 से अधिक कम्युनिटी पुलिस ऑफिसर तैनात हैं. जिसमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हैं. ये सब लोग छात्राओं और यहां पढ़ने वाले कोचिंग स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए है. इन्हें पूरे कोचिंग एरिया में जगह-जगह पुलिस की मदद से तैनात किया हुआ है. कोटा में पढ़ने वाले हर 1000 बच्चे पर एक सीपीओ तैनात है. यह बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं. इन्हें ड्यूटी पॉइंट दिए हुए हैं.

सड़क पर छेड़छाड़ की घटना को त्वरित रिस्पांस

कोचिंग एरिया में किसी भी बाहरी छात्रा के साथ दुर्व्यवहार या छेड़छाड़ की घटना की सूचना होती है. इस पर तुरंत पुलिस चौकी के अलावा उस एरिया में तैनात सीपीओ ध्यान रखते हैं. कोचिंग एरिया में बदमाशी के नियत से आने वाले लोगों पर भी नजर रखी जाती है. ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें कोचिंग एरिया से बाहर खदेड़ा जाता है. साथ ही पुलिस में भी उनके खिलाफ शिकायत दी जाती है. यहां तक कि कोचिंग एरिया में बने हुए हॉस्टल में सभी स्टाफ का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना भी अनिवार्य किया हुआ है. इसके लिए हॉस्टल एसोसिएशन काम करती है. उनके सदस्य इस पर पूरी निगरानी बनाए रखते हैं.

यह भी पढ़ें. SPECIAL : देश भर के हजारों परिवारों में मेडिकल और इंजीनियरिंग सलेक्शन की रोशनी पहुंचाता है कोटा शहर...

डेडीकेटेड पुलिस सहायता केंद्र

कोटा ही ऐसा शहर है, जहां पर स्टूडेंट्स की मदद के लिए डेडीकेटेड पुलिस सहायता केंद्र (Dedicated Police Help Center Kota) संचालित किए जा रहे हैं. कोटा शहर में अभी वर्तमान में दो डेडीकेटेड पुलिस सहायता केंद्र हैं. जिनमें एक लैंडमार्क सिटी और दूसरा राजीव गांधी नगर में है. अब जल्द ही कोरल पार्क में भी एक पुलिस सहायता केंद्र खोल दिया जाएगा. जहां पर असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद के अधिकारियों को नियुक्त किया हुआ है. इसके अलावा इस चौकी पर भी स्टाफ तैनात किया हुआ है. यहां तैनात पुलिस कोचिंग एरिया में रहने वाले बच्चों और आसपास होने वाली घटनाओं पर रोक लगाते हैं. यहां पर सैकड़ों की संख्या में बच्चे अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, उनकी शिकायतों के समाधान भी तुरंत किए जाते हैं.

रात के समय एरिया में नो एंट्री, सब कुछ टाइमिंग से

कोचिंग एरिया अधिकांश ऐसी जगह पर स्थित है, जहां पर हॉस्टल ही हॉस्टल बने हुए हैं. ऐसे में उन एरिया का व्यापार भी समय से ही संचालित किया जाता है. सभी को निर्देश दिए हुए हैं और आपसी सामंजस्य से ही सभी व्यापारी यहां पर काम करते (business in Kota Coaching Area) हैं. रात के समय पूरे कोचिंग एरिया को पैक कर दिया जाता है. यहां पर एंट्री और एंट्रेंस के कुछ ही रास्ते रखे जाते हैं. जिससे आने वाले लोगों पर रात के समय नजर रखी जा सके. साथ ही दुकानों के खुलने का भी समय तय किया हुआ है. ऐसे में बाहरी लोगों को रात के समय कोचिंग एरिया में एंट्री भी नहीं मिलती है.

धीरे-धीरे जमा विश्वास, अब केवल पढ़ाई का माहौल

पैरंट्स को बच्चों को दूसरे शहर में भेजने में काफी हिचकिचाहट होती है. जब अपनी बेटियों को हजारों किलोमीटर दूर पढ़ने भेजना हो तो चिंता जरूर सताती है, लेकिन कोटा में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. यहां पर नॉर्थ ईस्ट से लेकर साउथ के प्रदेशों की बच्चियां भी पढ़ रही है. ये वेस्ट बंगाल, उड़ीसा, बिहार, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और गुजरात से लेकर कई राज्यों की छात्राएं पढ़ने आती हैं.

यह भी पढ़ें. SPECIAL : देश भर के हजारों परिवारों में मेडिकल और इंजीनियरिंग सलेक्शन की रोशनी पहुंचाता है कोटा शहर...

छात्रों ने कहा-होता है सुरक्षित महसूस

छात्राओं को भी कहना है कि हॉस्टल से कोचिंग और बाजार में कहीं भी जाने के दौरान रास्ते में कोई लड़के बदमाशी करते हैं, तो उन्हें चौराहे या फिर ड्यूटी पॉइंट पर मौजूद सीपीओ डांट फटकार कर भगा देते हैं. ऐसे में हमें सुरक्षित ही महसूस होता है. हजार में गुजरने वाले हर व्यक्ति पर सीपीओ की नजर रहती है, क्योंकि जगह-जगह बड़ी संख्या में पुलिस खड़े रहते हैं. हमारे पैरंट्स ने भी जब यहां पर हमें अकेला छोड़ा है, तो उसके पहले सब कुछ तहकीकत की थी. हॉस्टल से लेकर कोचिंग और आने-जाने के रास्तों पर भी किसी तरह की कोई दिक्कत उन्हें नजर नहीं आई, तब ही उन्होंने यहां पर भेजा है.

स्टूडेंट्स की पहुंच में वेलफेयर सोसायटी

कोचिंग स्टूडेंट्स के वेलफेयर के लिए सोसायटी भी बनाई हुई (Welfare society for Kota students) है. इसमें स्थानीय लोगों के साथ हॉस्टल व कोचिंग संस्थान से जुड़े लोग भी सदस्य व पदाधिकारी हैं. इन लोगों की कोविड-19 के दौरान बच्चों को भोजन पहुंचाने से लेकर बच्चों के संक्रमित होने पर उपचार से लेकर सब जिम्मेदारी वेलफेयर सोसायटी ने उठाई है.

इसके अलावा 18 प्लस की उम्र के लोगों को वैक्सीनेशन में भी सभी जिम्मेदारी वेलफेयर सोसाइटी ने ली (vaccination on Kota Students) थी. बड़ी संख्या में कोचिंग एरिया में लोगों को वैक्सीनेट किया गया है. वर्तमान में जहां पर 15 से 18 साल के बच्चों के वैक्सीनेशन का काम चल रहा है. उसमें भी वेलफेयर सोसायटी अच्छा काम कर रही है.

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