कोटा. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री और पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने फ्री वाली राजनीति पर गहलोत सरकार को जमकर घेरा. कोटा में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के पास बिजली खरीदने का पैसा ही नहीं है तो मुफ्त में कैसे बांटेगी. उन्होंने कहा कि विद्युत निगमों की देनदारियों इतनी बढ़ गई हैं कि सीएम गहलोत अब ज्यादा मात्रा में बिजली भी नहीं खरीद पा रहे हैं. इसी कारण बाहर के राज्यों से बिजली खरीद भी नहीं हो पा रही है.
ऐसी स्थिति के कारण ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती लोड शिफ्टिंग के नाम पर शुरू कर दी गई. दूसरी तरफ किसानों को सब्सिडी देने का दावा सरकार कर रही है, लेकिन अधिकांश किसानों का बिल बकाया चलता है. ऐसे में जिन किसानों की देनदारियां हैं, उनको सब्सिडी से बाहर कर दिया गया है. ऐसे में उनको 2000 यूनिट के सब्सिडी का फायदा नहीं मिल पा रहा है.
सेंट्रलाइज कॉन्ट्रैक्ट में हुआ गड़बड़झाला, 40 फीसदी ज्यादा दर : हीरालाल नागर ने आरोप लगाया कि किसानों को कनेक्शन लगाने के लिए पहले स्थानीय ठेकेदारों के जरिए काम करवाया जाता था. जबकि अब जयपुर से ही इन कनेक्शन को करवाने के लिए ठेका हुआ है, जिनमें चार पंचायत समिति क्षेत्रों में यह कार्य करवाए जा रहे हैं. जहां पर 40 फीसदी ज्यादा दर पर यह ठेका दिया है. इसके बावजूद भी ठेकेदार ने समय पर पूरा काम नहीं किया. उसे 1015 कनेक्शन 30 जून तक करने थे, लेकिन आधे ही कनेक्शन 514 हो पाए हैं. शेष किसान अभी भी इंतजार में हैं. अब किसान अपनी फसल को पानी नहीं दे पाएंगे, जबकि उन्होंने इसके लिए पहले ही 6 महीने पहले राशि जेवीवीएनएल को जमा करा दी है. पूरा सिस्टम धांधली का है. इसमें भयंकर गड़बड़झाला जयपुर लेवल से ही हो रहा है. स्थानीय स्तर पर कोई भी अधिकारी संवेदक पर कार्रवाई नहीं कर सकता है. उन्हें इसका अधिकार ही नहीं दिया गया है.
दो महीने तक नहीं मिल रहे ट्रांसफार्मर : हीरालाल नागर ने कहा कि कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में कहा था कि किसान को 72 घंटे में ट्रांसफार्मर उपलब्ध करा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. किसान को दो महीने तक ट्रांसफार्मर नहीं मिल रहा है. कई बार ट्रांसफार्मर या उसका तेल हो जाने पर पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं करती है. क्योंकि पुलिस का कहना है कि हमारे मामले बढ़ जाते हैं, इसीलिए पूरे महीने की रिपोर्ट एक ही दर्ज की जाती है. इस पर एडिशनल एसपी रिपोर्ट बनाकर भेजता है. जिसके बाद किसान को जयपुर से ट्रांसफार्मर या खंबे और बिजली के तार अलॉट किए जाते हैं. जिस प्रक्रिया में काफी लंबा समय लग जाता है. ट्रांसफार्मर सरकार के पास उपलब्ध कराने के लिए नहीं है, किसानों को 25 दिन तक वेटिंग झेलनी पड़ रही है. पुराने जले हुए ट्रांसफार्मर को ही रिपेयर करके दे रहे हैं. यह दोबारा ही खराब हो जाते है.
सरकार के मिसमैनेजमेंट और वित्तीय अनियमितता से बिजली निगमों का बढ़ गया है ऋण : राज्य सरकार के ऊपर सब्सिडी की देनदारी लगातार बढ़ रही है और नए ट्रांसफार्मर नहीं खरीद पा रही है. इसी के चलते बिजली भी नहीं खरीद पा रहे हैं. संसाधन भी नहीं बढ़ा पा रही हैं. राज्य सरकार के पास देनदारी बिजली विभाग की सब्सिडी का काफी बकाया है. यह 90 हजार करोड का ऋण विद्युत निगम पर हो गया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने 60 हजार करोड़ का लोन सरकार के ऊपर ले लिया था, जिससे विद्युत निगम को राहत मिली थी, ताकि लोगों को बिजली सही मिल सके. मिसमैनेजमेंट और वित्तीय अनियमितताओं के चलते यह हुआ है. इन सब मामलों को लेकर हमने संभागायुक्त को चेतावनी दी है. सरकार और संभागीय आयुक्त ने व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं किया तो 7 दिन बाद घेराव किया जाएगा.