कोटा. राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर सत्ता में आती नजर आ रही है. कांग्रेस की विदाई हो रही है. इसी तरह से हाड़ौती में भी समीकरण भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में हैं. परिणाम के अनुसार हाड़ौती की 17 सीटों में से 11 पर भारतीय जनता पार्टी कब्जा जमा चुकी है. वहीं 6 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीत रहे हैं. साल 2018 के चुनाव में भी यहां से भारतीय जनता पार्टी 10 सीट जीत कर आई थी. कांग्रेस के पास 7 सीट थी. इस बार भाजपा ने अपनी लिस्ट में एक और सीट जोड़ी है. अब 2023 के परिणाम में भाजपा के पास 11 और कांग्रेस के पास 6 सीट है.
बूंदी से हुआ भाजपा का सूपड़ा साफ: बूंदी जिले की बात की जाए, तो वहां से हिंडोली विधानसभा सीट पर कांग्रेस की बड़ी जीत हुई है. वहां पर कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे अशोक चांदना 45000 से ज्यादा वोटों से जीत रहे हैं. यहां बीजेपी ने पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन वे हार गए. इसी तरह से बूंदी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हरिमोहन शर्मा चुनाव जीत रहे हैं. यहां बीजेपी के बागी रुपेश शर्मा भारी पड़े. वह तीसरे नंबर पर तो रहे, लेकिन उन्होंने 38000 के आसपास वोट लिए हैं. इसके चलते भाजपा प्रत्याशी अशोक डोगरा चुनाव हार गए.
वहीं तीसरी सीट केशोरापाटन की बात की जाए, तो वहां पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी और वर्तमान विधायक चंद्रकांता मेघवाल का हार मिली है. यहां से पूर्व विधायक और कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सीएल प्रेमी विधायक बने है. यहां कांग्रेस के बागी राकेश भाई ज्यादा वोट नहीं काट पाए, उन्हें 11700 वोट मिले हैं. जबकि बूंदी जिले में 2018 में दो सीटों पर भाजपा और एक पर कांग्रेस जीती थी.
बारां जिले से कांग्रेस का हुआ सूपड़ा साफ: बारां जिले से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. चारों ही सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई है. जबकि 2018 में यहां से तीन कांग्रेस और एक बीजेपी के विधायक थे. अंता विधानसभा सीट से कैबिनेट मंत्री प्रमोद जैन भाया चुनाव हार गए. यहां से भाजपा के प्रत्याशी कंवर लाल को जीत मिली. इसी तरह से दूसरी सीट किशनगंज है. जहां पर कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला सहरिया 22000 से ज्यादा वोटों से चुनाव हार गई हैं. यहां से एक बार फिर बीजेपी के ललित मीणा विधायक चुने गए हैं.
तीसरी सीट बारां अटरू है, जहां से टेलरिंग के पेशे से जुड़े राधेश्याम बैरवा को लोगों ने करीब 20000 वोटों से चुनाव जीता दिया. उन्होंने कांग्रेस एमएलए पानाचंद मेघवाल को हराया. चतुष्कोणीय संघर्ष में फंसी हुई छबड़ा सीट थी. जहां पर भाजपा और कांग्रेस दोनों के एक-एक बागी मैदान में थे. यहां से भाजपा के प्रताप सिंह सिंघवी 5000 से ज्यादा वोट से चुनाव जीते हैं. उन्होंने अपने नजदीकी कांग्रेस उम्मीदवार करण सिंह को हराया. कांग्रेस के बागी नरेश मीणा को 40000 और भाजपा के बागी उपेंद्र कुमार को 13000 वोट मिले.
झालावाड़ में कांग्रेस ने बीजेपी से छीनी एक सीट: साल 2018 के चुनाव में झालावाड़ की चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा था, लेकिन 2023 के चुनाव परिणाम में एक सीट खानपुर कांग्रेस ने अपने पक्ष में कर ली है. यहां से कांग्रेस के सुरेश गुर्जर जीत गए हैं. जबकि वर्तमान विधायक नरेंद्र नागर चुनाव हार गए हैं. जबकि झालावाड़ से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 53193 वोटों से चुनाव जीत गईं. उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल चुनाव हारे हैं.
डग से वर्तमान विधायक कालूराम मेघवाल 22261 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी चेतराज गहलोत को चुनाव हराया है. जबकि मनोहर थाना सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नेमीचंद मीणा तीसरे स्थान पर रहे. यहां मुकाबला कांग्रेस के बागी व पूर्व विधायक कैलाश मीणा और वर्तमान विधायक भाजपा प्रत्याशी गोविंद प्रसाद रानीपुरिया के बीच था. इसमें गोविंद प्रसाद रानीपुरिया 24865 वोटों से जीत गए हैं.
कोटा में भाजपा ने कांग्रेस से छीनी एक सीटः कोटा जिले की बात की जाए तो यहां पर 6 सीटों पर से चार पर भाजपा जीती है और दो पर कांग्रेस काबीज हुई है. साल 2018 के चुनाव में तीन-तीन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस जीती थी. ऐसे में एक सीट कांग्रेस से छीन कर सांगोद भाजपा के खाते में चली गई है, जबकि पीपल्दा में चेतन पटेल कोलाना और कोटा उत्तर पर शांति धारीवाल के रूप में कांग्रेस प्रत्याशियों की ही जीत हुई है. दूसरी तरफ कोटा दक्षिण संदीप शर्मा, रामगंजमंडी मदन दिलावर, लाडपुरा कल्पना देवी और सांगोद में हीरालाल नागर जीते हैं.