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कोटा: लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन निभाई गोवर्धन पूजन की परंपरा, महिलाओं ने की खुशहाली की कामना

कोटा में लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की गई.गाय के गोबर से बनाये गोवर्धन महाराज पर महिलाओं ने दूध दही और नैवेद्य चढ़ाकर परिक्रमा की ओर मंगल कामना की प्रर्थना की.

गोवर्धन पूजा,Kota news
कोटा में गोवर्धन पूजा
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Published : Nov 15, 2020, 2:35 PM IST

कोटा. पूरे प्रदेश में दिवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. कोटा में लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन रविवार को गाय के गोबर से लिप कर गोवर्धन महाराज बनाए गए. वहीं महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में रहकर गोवर्धन महाराज का पूजन किया. महिलाओं ने मंगल गीत गाए साथ ही गोवर्धन महाराज की परिक्रमा कर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया.

कोटा में गोवर्धन पूजा

गाय के गोबर से लीपकर बनाया जाता है गोवर्धन महाराज

महिलाओं ने बताया कि यह परंपरा बहुत समय से चली आ रही है जहां पर भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को चटी उंगली से उठाया और गोवंश और जनता को बचाया इसी परंपरा को मनाते हुए दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा चली आ रही है. जिसमें घर के बाहर गाय के गोबर से जगह को लीप कर गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है. जिसमें महिलाएं पूजन करती है वहीं महिलाएं दूध दही नैवेद्य चढ़ाकर गोवर्धन की परिक्रमा करती है और आरती गाती है साथ ही परिवार की और देश की खुशहाली के लिए कामनाएं करती है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL: बाजार की मिठाइयों से परहेज, इस बार घरों में ही बन रहे स्वादिष्ट पकवान और गजक

गोवर्धन पूजन लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन सुबह किया जाता है. जिसमें महिलाएं सज धज कर पारंपरिक वेशभूषा में गोवर्धन का पूजन करती है. महिलाओ ने बताया कि गोवर्धन महाराज पर घी दूध दही, पापड़ी ओर प्रसाद चढ़ाया जाता है और दही बिलोनी को ऊपर घुमाया जाता है. इसके बाद परिक्रमा की जाती है.

कोटा. पूरे प्रदेश में दिवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. कोटा में लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन रविवार को गाय के गोबर से लिप कर गोवर्धन महाराज बनाए गए. वहीं महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में रहकर गोवर्धन महाराज का पूजन किया. महिलाओं ने मंगल गीत गाए साथ ही गोवर्धन महाराज की परिक्रमा कर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया.

कोटा में गोवर्धन पूजा

गाय के गोबर से लीपकर बनाया जाता है गोवर्धन महाराज

महिलाओं ने बताया कि यह परंपरा बहुत समय से चली आ रही है जहां पर भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को चटी उंगली से उठाया और गोवंश और जनता को बचाया इसी परंपरा को मनाते हुए दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा चली आ रही है. जिसमें घर के बाहर गाय के गोबर से जगह को लीप कर गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई जाती है. जिसमें महिलाएं पूजन करती है वहीं महिलाएं दूध दही नैवेद्य चढ़ाकर गोवर्धन की परिक्रमा करती है और आरती गाती है साथ ही परिवार की और देश की खुशहाली के लिए कामनाएं करती है.

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गोवर्धन पूजन लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन सुबह किया जाता है. जिसमें महिलाएं सज धज कर पारंपरिक वेशभूषा में गोवर्धन का पूजन करती है. महिलाओ ने बताया कि गोवर्धन महाराज पर घी दूध दही, पापड़ी ओर प्रसाद चढ़ाया जाता है और दही बिलोनी को ऊपर घुमाया जाता है. इसके बाद परिक्रमा की जाती है.

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