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स्पेशल: मेडिकल के मुकाबले इंजीनियरिंग में छात्राओं का रुझान कम, Experts भी हैरान! - 23 IIT

इंजीनियरिंग के मुकाबले लड़कियों का Interest मेडिकल फील्ड (Medical Entrance) में ज्यादा है, ऐसा Experts मानते हैं. हालिया आंकड़े इसी ओर इशारा करते हैं. जेईई मेन परीक्षा में 70 फीसदी मेल-कैंडीडेट्स हैं यहां फीमेल्स की भागीदारी मेल कैंडीडेट्स से आधी है. वहीं नीट यूजी (NEET UG 2021) में फीमेल कैंडीडेट्स (Female Candidates) की भागीदारी मेल कैंडिडेट्स के सापेक्ष 10 फीसदी अधिक है. कोटा जहां प्रतियोगी छात्र (competitive Student ) गढ़े जाते हैं वहां विशेषज्ञ इसकी वजह भी बताते हैं.

Girls are more into medical than engineering
मेडिकल के मुकाबले इंजीनियरिंग में छात्राओं का रुझान कम
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Published : Sep 12, 2021, 2:21 PM IST

Updated : Sep 12, 2021, 2:29 PM IST

कोटा: बेटियों की शिक्षा को लेकर देश काफी जागरूक हो चुका है. हर व्यक्ति अपनी बेटी को पढ़ाना चाहता है. इन दिनों लोग बेटियों की दिलचस्पी और उनकी काबिलियत को अहमियत देते हैं. नतीजतन पेरेन्ट्स उनके लिए हर वो प्रयास करते हैं जो उनके करियर के लिए बेहतर हो. NEET और इंजीनियरिंग को लेकर भी यही सोच है. लेकिन Interesting बात ये है कि बेटियां तकनीकी शिक्षा में मेल कैंडिडेट्स के मुकाबले कम रूचि दिखाती हैं.

Experts भी हैरान

NEET UG 2021 परीक्षा आज: NTA की वेबसाइट पर दिशा निर्देश, ड्रेस कोड को लेकर खास सुझाव

एक आंकड़े के मुताबिक मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में बेटियां 55 फ़ीसदी से भी अधिक भागीदारी दिखाती हैं, जबकि इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में यह आंकड़ा 30 फ़ीसदी से भी कम है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि आंकड़े स्पष्ट तौर पर संदेश देते हैं कि जेईई मेन परीक्षा में जहां 70 फीसदी मेल-कैंडीडेट्स हैं वहीं, 30 फीसदी फीमेल कैंडिडेट्स. यानि फीमेल्स की भागीदारी मेल कैंडीडेट्स से आधी है. वहीं नीट यूजी (NEET UG 2021) में फीमेल कैंडीडेट्स की भागीदारी मेल कैंडिडेट्स के सापेक्ष 10 फीसदी अधिक है.

20 फीसदी सुपरन्यूमैरेरी सीट, फिर भी संख्या कम

देश भर की 23 आईआईटी (IIT) में करीब 10000 सीटें अभी मौजूद है. ऐसे में शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने छात्राओं की संख्या बढ़ाने के लिए 20 प्रतिशत सुपरन्यूमैरेरी सीट भी पिछले साल बढ़ाई थी, इन पर छात्राओं का आरक्षण है. यानी कि करीब 2000 सीटें इनके लिए बढ़ाई गई. लेकिन इसका भी कोई खास असर देखने को नहीं मिला है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि इस साल परीक्षा परिणाम से ज्ञात होगा कि वर्ष 2021 में फीमेल कैंडीडेट्स की भागीदारी कितनी रही ? क्या 'सुपरन्यूमरी' सीट्स के तहत फीमेल रिजर्वेशन से फीमेल कैंडीडेट्स में इंजीनियरिंग के प्रति रुझान बढ़ा या नहीं?

इंजीनियरिंग में आधी से भी कम उपस्थिति

जेईई-मेन में भागीदारी वर्ष 2019 की बात की जाए तो जेईई मेंस परीक्षा में 11.47 लाख स्टूडेंट्स ने किस्मत आजमाई. जबकि इनमें से फीमेल कैंडिडेट की संख्या 3.3 लाख ही थी. छात्राओं के भाग लेने का प्रतिशत 28.77 रहा है. इसी तरह से वर्ष 2020 की बात की जाए तो जहां पर 10.23 लाख यदि उन्हें जेईईमेन (JEE MAIN) प्रवेश परीक्षा में भाग लिया था. इसकी जगह छात्राएं 3.08 लाख ही परीक्षा में बैठी थी, परीक्षार्थियों के अनुपात में छात्राओं का यह प्रतिशत 30.10 है. हालांकि वर्ष 2019 की जगह 20 में 22000 से कम छात्राएं इस परीक्षा में शामिल हुई थी, लेकिन भाग लेने का प्रतिशत 2 फ़ीसदी बढ़ा था.

नीट में छात्राओं की भागीदारी 10 फीसदी ज्यादा

नीट यूजी 2019 (NEET UG 2019) की बात की जाए तो 15.19 लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी. इनमें से छात्राएं 8.39 लाख थी जबकि छात्र 6.80 लाख शामिल हुए थे. छात्राओं का प्रतिशत 55.24 था. जबकि वर्ष 2020 में 15.97 लाख विद्यार्थी परीक्षा में बैठे, जिनमें से 8.80 लाख छात्राएं और 7.17 लाख में छात्र थे. छात्राओं का भागीदारी प्रतिशत एक बार भी 55 और छात्रों का 45 था. दोनों परीक्षाओं में 10 फीसदी ज्यादा छात्राएं परीक्षा में बैठी हैं.
कुल मिलाकर ये आंकड़े बताते हैं और जताते हैं कि बेटियां खुद को Technicalities से इतर खुद को साबित करने में ज्यादा यकीन रखती हैं.

कोटा: बेटियों की शिक्षा को लेकर देश काफी जागरूक हो चुका है. हर व्यक्ति अपनी बेटी को पढ़ाना चाहता है. इन दिनों लोग बेटियों की दिलचस्पी और उनकी काबिलियत को अहमियत देते हैं. नतीजतन पेरेन्ट्स उनके लिए हर वो प्रयास करते हैं जो उनके करियर के लिए बेहतर हो. NEET और इंजीनियरिंग को लेकर भी यही सोच है. लेकिन Interesting बात ये है कि बेटियां तकनीकी शिक्षा में मेल कैंडिडेट्स के मुकाबले कम रूचि दिखाती हैं.

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एक आंकड़े के मुताबिक मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में बेटियां 55 फ़ीसदी से भी अधिक भागीदारी दिखाती हैं, जबकि इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में यह आंकड़ा 30 फ़ीसदी से भी कम है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि आंकड़े स्पष्ट तौर पर संदेश देते हैं कि जेईई मेन परीक्षा में जहां 70 फीसदी मेल-कैंडीडेट्स हैं वहीं, 30 फीसदी फीमेल कैंडिडेट्स. यानि फीमेल्स की भागीदारी मेल कैंडीडेट्स से आधी है. वहीं नीट यूजी (NEET UG 2021) में फीमेल कैंडीडेट्स की भागीदारी मेल कैंडिडेट्स के सापेक्ष 10 फीसदी अधिक है.

20 फीसदी सुपरन्यूमैरेरी सीट, फिर भी संख्या कम

देश भर की 23 आईआईटी (IIT) में करीब 10000 सीटें अभी मौजूद है. ऐसे में शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) ने छात्राओं की संख्या बढ़ाने के लिए 20 प्रतिशत सुपरन्यूमैरेरी सीट भी पिछले साल बढ़ाई थी, इन पर छात्राओं का आरक्षण है. यानी कि करीब 2000 सीटें इनके लिए बढ़ाई गई. लेकिन इसका भी कोई खास असर देखने को नहीं मिला है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि इस साल परीक्षा परिणाम से ज्ञात होगा कि वर्ष 2021 में फीमेल कैंडीडेट्स की भागीदारी कितनी रही ? क्या 'सुपरन्यूमरी' सीट्स के तहत फीमेल रिजर्वेशन से फीमेल कैंडीडेट्स में इंजीनियरिंग के प्रति रुझान बढ़ा या नहीं?

इंजीनियरिंग में आधी से भी कम उपस्थिति

जेईई-मेन में भागीदारी वर्ष 2019 की बात की जाए तो जेईई मेंस परीक्षा में 11.47 लाख स्टूडेंट्स ने किस्मत आजमाई. जबकि इनमें से फीमेल कैंडिडेट की संख्या 3.3 लाख ही थी. छात्राओं के भाग लेने का प्रतिशत 28.77 रहा है. इसी तरह से वर्ष 2020 की बात की जाए तो जहां पर 10.23 लाख यदि उन्हें जेईईमेन (JEE MAIN) प्रवेश परीक्षा में भाग लिया था. इसकी जगह छात्राएं 3.08 लाख ही परीक्षा में बैठी थी, परीक्षार्थियों के अनुपात में छात्राओं का यह प्रतिशत 30.10 है. हालांकि वर्ष 2019 की जगह 20 में 22000 से कम छात्राएं इस परीक्षा में शामिल हुई थी, लेकिन भाग लेने का प्रतिशत 2 फ़ीसदी बढ़ा था.

नीट में छात्राओं की भागीदारी 10 फीसदी ज्यादा

नीट यूजी 2019 (NEET UG 2019) की बात की जाए तो 15.19 लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी. इनमें से छात्राएं 8.39 लाख थी जबकि छात्र 6.80 लाख शामिल हुए थे. छात्राओं का प्रतिशत 55.24 था. जबकि वर्ष 2020 में 15.97 लाख विद्यार्थी परीक्षा में बैठे, जिनमें से 8.80 लाख छात्राएं और 7.17 लाख में छात्र थे. छात्राओं का भागीदारी प्रतिशत एक बार भी 55 और छात्रों का 45 था. दोनों परीक्षाओं में 10 फीसदी ज्यादा छात्राएं परीक्षा में बैठी हैं.
कुल मिलाकर ये आंकड़े बताते हैं और जताते हैं कि बेटियां खुद को Technicalities से इतर खुद को साबित करने में ज्यादा यकीन रखती हैं.

Last Updated : Sep 12, 2021, 2:29 PM IST
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