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स्पेशल: गौशालाओं में बदइंतजामी! 250 गायों की जगह रख रहे 350 गायें, सरकारी अनुदान के बाद भी स्थिति जस की तस

रामगंजमंडी शहर की गौशाला में क्षमता से अधिक गाय हैं, जिससे गायों को जहां रखने में दिक्कत होती है. बता दें कि गौशाला में बने टीन शेड में 250 गायों की जगह है. लेकिन गौशाला में 350 गाय मौजूद हैं. वहीं प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

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Published : Dec 9, 2019, 12:40 PM IST

रामगंजमंडी (कोटा). रामगंजमंडी शहर की गौशाला में क्षमता से अधिक गायों को रखने के लिए गौशाला समिति मजबूर है. बता दें कि सर्दी के समय में गौशाला में गायों को सुरक्षित रखने के लिये जो टीन शेड हैं, उनमें 250 गायों की जगह है, लेकिन गौशाला में वर्तमान में 350 गायों को रखा गया है.

गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश

बता दें कि यह गौशाला शहर की एक मात्र ऐसी गौशाला है. जिसमें शहर के आस पास के इलाकों से सड़कों पर बैठने वाली गायों का एक्सीडेंट होने पर यहां छोड़ा जाता है. बता दें कि गौशाला में एक्सीडेंट से घायल गायों का आंकड़ा 100 तक पहुंच चुका है.

12 बीघा भूमि पर संचालित है गौशाला...

बता दें कि यह गौशाला 12 बीघा भूमि पर संचालित है. इस गौशाला को संचालित हुए करीब 20 साल हो गए हैं. यह निर्माण इस गौशाला में भामाशाहों की मदद से हुआ है. वहीं गौशाला समिति सचिव जोनी शर्मा का कहना है कि इस गौशाला में क्षमता से अधिक गौमाता हैं, अभी कुछ और निर्माण भामाशाहों की मदद से करवाया जा रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

ये पढ़ेंः मावली-मारवाड़ रेल मार्ग का काम अटका नहीं, जल्द होगा शुरू: दीया कुमारी

गौशाला में 10 लाख रुपये का अनुदान राशि के रूप में मिला...

सरकार से इस वर्ष गौशाला में 10 लाख रुपये का अनुदान राशि के रूप में मिला है, लेकिन यह राशि गायों के खान-पान में ही खर्च होती है. यह राशि प्रति गाय 40 रुपये प्रतिदिन 6 माह के लिये आती है, बाकी के खानपान की व्यवस्था समिति को भामाशाहों के सहयोग से करनी पड़ती है. वहीं इन सभी कमियों को देखते हुए समिति ने गौशाला में ही जैविक खाद बनाना शुरू किया है.

गौ सेवा समिति सचिव जोनी शर्मा ने बताया कि यह गौशाला नगर पालिका क्षेत्र में है, लेकिन यहां पर जो एक्सीडेंट से घायल गाय आती है उनका उपचार किया जाता है, फिर भी कुछ गाय मर जाती हैं. जिन्हें डिस्पोज करवाने के पालिका के ठेकेदार को प्रति गाय 150 रुपये वहन करने पड़ते है. इस गौशाला पर नगर पालिका का कोई ध्यान नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार गोपालन के नाम पर टैक्स तो वसूल रही है, लेकिन इन पर आज तक सरकार का ध्यान नहीं गया.

ये पढ़ेंः सीएम गहलोत ने कहा- देश का लोकतांत्रिक माहौल ठीक नहीं, राष्ट्रवाद और अनुच्छेद 370 के नाम पर हो रही राजनीति

जानकारी के अनुसार भाजपा सरकार ने साल 2016 में प्रदेश में गायों को लेकर स्टांप ड्यूटी पर टैक्स लगाया था. साल 2018 में भाजपा सरकार ने अंग्रेजी और देशी शराब पर भी टैक्स लगाया था, जो भी व्यक्ति शराब पीता है, उससे सरकार गोपालन के नाम पर टैक्स वसूल रही है और इस टैक्स की राशि अब करोड़ों रुपये तक पहुंच चुकी है.

वहीं रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर का कहना है कि सरकार गौमाताओं के नाम पर टैक्स वसूल रही है, जो वर्तमान में 1700 करोड़ रुपये हो चुका है और सरकार के खाते में जमा है. इस पैसे को गौमाताओं पर ना खर्च करके गोतस्करों को बचाने के लिए खर्च किया जा रहा है.

रामगंजमंडी (कोटा). रामगंजमंडी शहर की गौशाला में क्षमता से अधिक गायों को रखने के लिए गौशाला समिति मजबूर है. बता दें कि सर्दी के समय में गौशाला में गायों को सुरक्षित रखने के लिये जो टीन शेड हैं, उनमें 250 गायों की जगह है, लेकिन गौशाला में वर्तमान में 350 गायों को रखा गया है.

गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश

बता दें कि यह गौशाला शहर की एक मात्र ऐसी गौशाला है. जिसमें शहर के आस पास के इलाकों से सड़कों पर बैठने वाली गायों का एक्सीडेंट होने पर यहां छोड़ा जाता है. बता दें कि गौशाला में एक्सीडेंट से घायल गायों का आंकड़ा 100 तक पहुंच चुका है.

12 बीघा भूमि पर संचालित है गौशाला...

बता दें कि यह गौशाला 12 बीघा भूमि पर संचालित है. इस गौशाला को संचालित हुए करीब 20 साल हो गए हैं. यह निर्माण इस गौशाला में भामाशाहों की मदद से हुआ है. वहीं गौशाला समिति सचिव जोनी शर्मा का कहना है कि इस गौशाला में क्षमता से अधिक गौमाता हैं, अभी कुछ और निर्माण भामाशाहों की मदद से करवाया जा रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

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गौशाला में 10 लाख रुपये का अनुदान राशि के रूप में मिला...

सरकार से इस वर्ष गौशाला में 10 लाख रुपये का अनुदान राशि के रूप में मिला है, लेकिन यह राशि गायों के खान-पान में ही खर्च होती है. यह राशि प्रति गाय 40 रुपये प्रतिदिन 6 माह के लिये आती है, बाकी के खानपान की व्यवस्था समिति को भामाशाहों के सहयोग से करनी पड़ती है. वहीं इन सभी कमियों को देखते हुए समिति ने गौशाला में ही जैविक खाद बनाना शुरू किया है.

गौ सेवा समिति सचिव जोनी शर्मा ने बताया कि यह गौशाला नगर पालिका क्षेत्र में है, लेकिन यहां पर जो एक्सीडेंट से घायल गाय आती है उनका उपचार किया जाता है, फिर भी कुछ गाय मर जाती हैं. जिन्हें डिस्पोज करवाने के पालिका के ठेकेदार को प्रति गाय 150 रुपये वहन करने पड़ते है. इस गौशाला पर नगर पालिका का कोई ध्यान नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार गोपालन के नाम पर टैक्स तो वसूल रही है, लेकिन इन पर आज तक सरकार का ध्यान नहीं गया.

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जानकारी के अनुसार भाजपा सरकार ने साल 2016 में प्रदेश में गायों को लेकर स्टांप ड्यूटी पर टैक्स लगाया था. साल 2018 में भाजपा सरकार ने अंग्रेजी और देशी शराब पर भी टैक्स लगाया था, जो भी व्यक्ति शराब पीता है, उससे सरकार गोपालन के नाम पर टैक्स वसूल रही है और इस टैक्स की राशि अब करोड़ों रुपये तक पहुंच चुकी है.

वहीं रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर का कहना है कि सरकार गौमाताओं के नाम पर टैक्स वसूल रही है, जो वर्तमान में 1700 करोड़ रुपये हो चुका है और सरकार के खाते में जमा है. इस पैसे को गौमाताओं पर ना खर्च करके गोतस्करों को बचाने के लिए खर्च किया जा रहा है.

Intro:रामगंजमण्डी/कोटा
रामगंजमंडी शहर की गौशाला मैं क्षमता से अधिक गायों को रखने के लिए गौशाला समिति मजबूर है।वही सर्दी के समय मे गोशाला में गायों को सुरक्षित टीन शेड रखने के लिये 250 की ही जगह है ।लेकिन गोशाला में वर्तमान में 350 गायो को रख रखा हैBody:रामगंजमण्डी/कोटा
रामगंजमंडी शहर की गौशाला मैं क्षमता से अधिक गायों को रखने के लिए गौशाला समिति मजबूर है।वही सर्दी के समय मे गोशाला में गायों को सुरक्षित टीन शेड रखने के लिये 250 की ही जगह है ।लेकिन गोशाला में वर्तमान में 350 गायो को रख रखा है ।यह गो शाला शहर की एक मात्र ऐसी गो शाला है जिसमे शहर के आस पास के इलाकों से सडको पर बैठने वाली गायों का एक्सीडेंट होने पर यहां छोड़ा जाता है । वही इन गायों को सर्दी के मौसम में सुरक्षित नही रखा जा रहा है। यहां तक कि गोशाला समिति के पास अपना खुद का विमान तक नही है। इन्ही कारणों की वजह से इस साल गोशाला में आने वाली एक्सीडेंटल गायों का आंकड़ा 100 तक पहुच चुका है । आपको बतादे की यह गो शाला 12 बीघा भूमि पर संचालित है ।इस गो शाला को संचालित हुए करीब 20 साल हो गए । यह निर्माण इस गोशाला में भामाशाहों की मदद से हुआ है । वही गोशाला समिति सचिव जोनी शर्मा का कहना है कि इस गोशाला में क्षमता से अधिक गोमाता है । अभी कुछ और निर्माण भामाशाहों की मदद से करवाया जा रहा है । लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नही ।सरकार से इस वर्ष गोशाला में 10 लाख रुपये का अनुदान राशि के रूप में मिला है लेकिन यह राशि गायों के खान पान में ही खर्च होती ।यह राशि प्रति गाय 40 रुपये प्रतिदिन 6 माह के लिये आती है बाकी का खानपान की व्यवस्था समिति को भामाशाहों के सहयोग से करनी पड़ती है । वही इन सभी कमियों को देखते हुए समिति ने गोशाला में ही जैविक खाद बनाना शुरू किया है । जिससे वह साल का 50 क्विंटल जैविक खाद बनाने का करके और आगे टीन शेड का काम शुरू करवाया जा रहा है । वही गोसेवा समिति सचिव जोनी शर्मा ने यह भी बताया कि यह गोशाला नगर पालिका क्षेत्र में है लेकिन यहां पर जो एक्सीडेंट से घायल होने वाली गाय जब आती है तो उनका उपचार करवाते है लेकिन कई गाय फिर भी मर जाती है तो उनको डिस्पोज करवाने के पालिका के ठेकेदार को प्रति गाय 150 रुपये वहन करने पड़ते है । और इस गोशाला पर नगर पालिका का कोई ध्यान नही है । जबकि पालिका की सड़कों पर घूमने वाली गाँयो को पालिका गोशाला में छोड़ने की बात बोलते है ।जबकि पहले पालिका को इस पर ध्यान देना चाहिए।सरकार गोपालन के नाम पर टैक्स तो वसूल रही है ।लेकिन इन पर आज तक सरकार का ध्यान नही गया।जानकारी के अनुसार भाजपा सरकार ने साल 2016 में प्रदेश में गायों को लेकर स्टांप ड्यूटी पर टैक्स लगाया था. साल 2018 में भाजपा सरकार ने अंग्रेजी और देशी शराब पर भी टैक्स लगाया था. जो भी व्यक्ति शराब पीता है, उससे सरकार गोपालन के नाम पर टैक्स वसूल रही है.ओर यह टेक्स की राशि अब करोड़ो रूपये तक पहुच चुकी है लेकिन आज भी धरातल पर गोशालाओं में अव्यवस्थाओं के कारण कई गाय अपनी जान गवा चुकी है।Conclusion:शहर को गोशाला सहमत से अधिक गोवंश , सरकार गोपालन के लिये लेती है करोड़ो का टेक्स ,नही हो पा रही गोशालाए विकसित , सर्दी के मौसम में गायों को रखने की अव्यवस्था से झुंझ रही गोशालाए ।
बाईट- गोशाला सीमित रोसली गांव सचिव जोनी शर्मा
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