कोटा. लहसुन उत्पादक किसान बीते साल खून के आंसू रोने को मजबूर थे. निचले स्तर पर किसानों का लहसुन एक रुपये किलो बिका था. कई किसानों को तो यह दाम भी नहीं मिला. लहसुन उत्पादक किसानों को लागत भी नहीं निकलने के चलते घाटा हो गया था. हाड़ौती में ही किसानों को करीब 2600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. अब इसको पूरा एक साल होने वाला है और किसानों ने बीते साल से रकबा तो कम कर दिया था, लेकिन उत्पादन भी इस बार अच्छा खासा होने वाला है.
साल 2022 में बुवाई की गई फसल का उत्पादन इस साल मार्च-अप्रैल से शुरू होगा. हालांकि, अभी उत्पादन का पूरा आंकड़ा सामने नहीं आ रहा है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि फसल इस बार अच्छी हुई है. ऐसे में 480000 मीट्रिक टन का उत्पादन कोटा संभाग में होने की उम्मीद है. अब मंडी में भाव बढ़ेंगे या कम रहेंगे, इस पर व्यापारी अच्छे मुनाफे की बात कह रहे हैं. लेकिन किसान इस बात पर कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं. भामाशाह कृषि उपज मंडी में इक्के-दुक्के किसान नया लहसुन लेकर पहुंच रहे हैं, जिन्हें बीते साल से थोड़े ज्यादा दाम मिल रहे हैं.
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लहसुन की फसल अच्छी हुई, अब भगवान से ही उम्मीद : झालावाड़ के जगन्नाथपुरा से नया लहसुन लेकर पहुंचे किसान द्वारका लाल का कहना है कि अभी पूरी तरह से लहसुन निकलना भी शुरू नहीं हुआ. इक्का-दुक्का ही किसान लहसुन लेकर पहुंच रहे हैं. मेरा नया लहसुन था, ऐसे में बीते साल से थोड़े ज्यादा भाव मिले हैं. हालांकि, अभी पूरी फसल बची है, उसका भाव क्या रहता है कुछ नहीं कहा जा सकता है. हमने बुवाई कर दी थी. अब फसल अच्छी हुई है. ऐसे में भगवान से ही उम्मीद है. चित्तौड़गढ़ जिले के बेगू से फसल लेकर पहुंचे किसान पदम कुमार का कहना है कि उन्हें इस बार एक से दो हजार रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा दाम मिले हैं, लेकिन यह भी खर्चे के मुताबिक मुनाफा नहीं है.
30 से 100 के बीच पहुंच सकते हैं भाव : लहसुन की ट्रेडिंग करने वाले व्यापारी पवन अग्रवाल का कहना है कि बीते साल दाम कम थे, इस बार थोड़ी तेजी बनने के आसार है. एशिया की सबसे बड़ी भामाशाह मंडी कोटा है. यहां से पूरे देश मे माल सप्लाई होता है. साउथ, नॉर्थ-ईस्ट, यूपी, दिल्ली, छत्तीसगढ़ व वेस्ट बंगाल में माल जाता है. बीते साल से पैदावार कम होने से भाव तेजी का ही रहेगा. हमें उम्मीद है कि 30 से लेकर 100 रुपये तक दाम बढ़ने की उम्मीद है. किसानों को भी ठीक रहेगा मुनाफा मिलने की उम्मीद है.
मंडी सचिव बोले- भाव के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी : भामाशाह कृषि उपज मंडी सचिव जवाहर लाल नागर के अनुसार भाव बढ़ने व कम रहने के कई सारे फैक्टर हैं. दूसरे स्टेट में कैसा उत्पादन है. खास तौर पर हमारे पड़ोसी देश और दक्षिण भाग में डिमांड कैसी है. दूसरी तरफ लहसुन प्रोसेसर काफी ज्यादा मात्रा में खरीदते हैं. ऐसे में उनकी क्या डिमांड है. इन पर ही यह निर्भर करेगा और इनकी डिमांड अब आना शुरू होगी. ऐसे में अभी भाव के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा.
व्यापारियों का दावा...इसलिए होगा मुनाफा : मंडी व्यापारी मुकेश भाटिया का कहना है कि लहसुन का रकबा इस बार हाड़ौती में भी कम है. साथ ही राजस्थान का सबसे बड़ा उत्पादक भी हाड़ौती ही है. ऐसे में यहां कम भाव होने से राजस्थान में भी उत्पादन कम है. मध्यप्रदेश में भी एरिया बीते साल भाव कम रहने से कम हो गया है. जबकि गुजरात में यह कम एरिया में उगाया गया है. इसी के चलते भाव इस बार बढ़ने की उम्मीद है. भाटिया तो कहना है कि किसानों को अच्छा मुनाफा इस बार मिल सकता है. कम उत्पादन ही दाम बढ़ने का फैक्टर है. इसके अलावा कोई फैक्टर नजर नहीं आ रहा है. माल के भी जल्दी उठाव के आसार भी लग रहे हैं.
मुनाफे की जगह से हुआ था घाटा : कोटा संभाग राजस्थान का सबसे ज्यादा लहसुन उत्पादक एरिया है. बीते साल भी संभाग के चारों जिलों में 115000 हेक्टेयर एरिया में लहसुन का उत्पादन किया था. जिससे बंपर उत्पादन 7 लाख मैट्रिक टन हुआ था. हालांकि, किसानों की हालत खराब हो गई और दाम काफी नीचे गिर गए. निचले दामों में लहसुन एक रुपये किलो भी बिका था. कई किसान ऐसे थे, जिनका लहसुन रुपए किलो भी नहीं बिक पाया है. ऐसे में मंडी में ही छोड़ने को मजबूर हो गए थे.
36000 हेक्टेयर में कम हुई है बुवाई : लहसुन के दाम कम रहने के चलते किसानों ने इससे मुंह तो फेर लिया, लेकिन फिर भी 30 फीसदी ही रकबा गिरा था. कई के किसानों ने इस साल लहसुन की बिल्कुल भी बुवाई नहीं की. हालांकि, अधिकांश किसानों ने रकबा कम कर दिया था. ऐसे में कोटा संभाग में जहां बीते साल 115445 हेक्टेयर में किसानों ने बुवाई की थी. यह बुवाई इस बार 79000 नहीं हुई है. करीब 36 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई है. बीते साल जहां पर 7 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था. इस बार यह 4.8 लाख मीट्रिक टन रहने की उम्मीद है.
बीते 5 सालों में सबसे कम औसत भाव रहे मंडी में : लहसुन रबी की फसल होती है. इसकी बुवाई अक्टूबर-नवंबर में होती है, जबकि उत्पादन अगले साल मार्च से लेकर अप्रैल-मई तक आता है. ऐसे में साल 2019 में बुवाई गई फसल 2020 में मंडी में पहुंचती है. मंडी सचिव जवाहरलाल नगर के अनुसार 2020 में कोटा कृषि उपज मंडी में 770951 क्विंटल आवक हुई थी. जबकि सालाना औसत भाव 5633 रुपए प्रति क्विंटल थे. साल 2021 में 942606 क्विंटल माल की आवक कोटा भामाशाह कृषि उपज मंडी में हुई थी. इसके औसत भाव 4608 रुपये प्रति क्विंटल थे. जबकि साल 2022 में बंपर उत्पादन के चलते 1054702 क्विंटल लहसुन की फसल मंडी में पहुंची. जिसके औसत दाम 2130 रुपए प्रति क्विंटल थे. यह बीते सालों की तुलना में सबसे कम थे.