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प्रदेश का पहला डिजिटल प्लेनेटोरियम बनेगा कोटा में, साइंस सेंटर में मॉडल्स और एक्सपेरिमेंट से समझेंगे खगोलीय घटनाएं - cost of building digital Planetarium in Kota

कोटा में प्रदेश का पहला डिजिटल प्लेनेटोरियम बनने जा रहा है. इसमें खगोलीय घटनाओं को समझने के लिए मॉडल्स रखे जाएंगे. गैलरीज होंगी और एक्सपेरिमेंट के लिए भी जगह होगी.

First digital Planetarium of Rajasthan in Kota, know what students will see and learn here
प्रदेश का पहला डिजिटल प्लेनेटोरियम बनेगा कोटा में, साइंस सेंटर में मॉडल्स और एक्सपेरिमेंट से समझेंगे खगोलीय घटनाएं
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Published : Jul 7, 2023, 8:00 PM IST

प्रदेश के पहले डिजिटल प्लेनेटोरियम में असल तारामंडल जैसा होगा नजारा

कोटा. शहर के इंस्ट्रूमेंट लिमिटेड के आवासीय परिसर में करीब 2 करोड़ की लागत से कोटा सिटी पार्क ऑक्सीजोन का निर्माण हुआ. विद्यार्थियों को विज्ञान और तकनीक समझाने के लिए कई प्रयोग भी इसमें किए गए हैं. इसी के साथ साइंस सेंटर का निर्माण भी पार्क के एरिया पर ही किया जा रहा है. जिसमें होटल कंट्री इन के नजदीक वाले एरिया में 5 एकड़ जमीन पर साइंस सेंटर का निर्माण होगा. यह साइंस सेंटर करीब 35 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार होगा. जहां पर प्रदेश का पहला डिजिटल प्लेनेटोरियम बनेगा. इसमें विद्यार्थी 3डी रूप में खगोलीय घटनाओं और तारामंडल को ठीक से समझ सकेंगे.

यह एक तरह से ऑडिटोरियम की तरह होगा. जिसमें 80 से 85 सीटिंग कैपेसिटी होगी. साथ ही साउंड और दूसरे कई तरह के सिस्टम यहां पर लगाए जाएंगे. केंद्र में विज्ञान के कठिन सिद्धांतों को सरलता से समझाने के लिए फन साइंस व थीमेटिक गैलरीज का निर्माण होगा. आउटडोर एवं इंडोर मॉडल्स की स्थापना होगी. भारत के वैज्ञानिकों के बारे में जानकारी उपलब्ध रहेगी. यहां एक ऑडिटोरियम भी बनेगा, जिसमें 3डी शो होंगे.

पढ़ें: सूर्य ग्रहण को लाइव देखने बिड़ला तारामंडल पहुंचे लोग, बंद होने से वापस लौटे दर्शक

राज्य सरकार जारी कर चुकी है 20 करोड़ः साइंस सेंटर और डिजिटल प्लेनेटोरियम का निर्माण करीब 35 करोड़ की लागत से बनेगा. इसके तहत 22.25 करोड में साइंस सेंटर बनेगा. 12.50 करोड़ रुपए में डिजिटल प्लेनेटोरियम बनेगा. इसमें राज्य और केंद्र दोनों की राशि लगेगी. इसके लिए राज्य सरकार ने 7.40 करोड़ रुपए डिजिटल प्लेनेटोरियम के लिए जारी कर दिए हैं. वहीं इससे पहले 12.67 करोड़ रुपए मार्च 2023 में साइंस सेंटर के लिए जारी किए गए थे. ऐसे में राज्य सरकार अब तक 20 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है. शेष बची हुई राशि 15 करोड़ केंद्र सरकार दे रही है.

पढ़ें: जयपुर के बिरला तारामंडल में नहीं दिखाया जाएगा सूर्य ग्रहण, ये है वजह

देख सकेंगे तारामंडल का पूरा कामः यह प्लेनेटोरियम एक ऐसी जगह होती है, जहां पर खगोलीय घटनाओं को देख सकते हैं. इसमें दर्शकों को नीचे बैठा दिया जाता है. बैठे हुए दर्शक सीलिंग पर स्टार्स और गृहों की मूवमेंट को आसानी से देख सकते हैं. इसी तरह से अंतरिक्ष के बारे में कुछ फिल्में भी दिखाई जाती हैं. जिससे उन्हें पूरे तारामंडल का ज्ञान मिलता है. साइंस सेंटर के लिए नगर विकास न्यास ने लैंड अलॉट कर दी है. इसकी रजिस्ट्री का काम इसी महीने में करवाया जाएगा. बिल्डिंग का नक्शा और डिजाइन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम और राज्य सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार तय होगा.

पढ़ें: देखिए जयपुर में सूर्य ग्रहण का अद्भुत दृश्य

खेल-खेल में सीख सकेंगे विज्ञानः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सहायक निदेशक प्रतिभा श्रृंगी का कहना है कि केंद्र और राजस्थान सरकार का संयुक्त प्रोजेक्ट है. यह निर्माण नेशनल काउंसिल आफ साइंस म्यूजियम करेगी. साइंस के ऐसे मॉडल यहां बनाए जाएंगे, जिससे बच्चे आसानी से प्रयोग करके विज्ञान के सिद्धांतों को सीख सकते हैं. इनमें गति, ऊर्जा व चुंबकीय सिद्धांत शामिल हैं. इसमें गतिज व स्थगित ऊर्जा, टॉर्नेटो कैसे बनते हैं. साउंड व इंफारेड कैसे काम करता है. प्रकाश के अपवर्तन व परावर्तन कैसे होते हैं. इन सब सिद्धांतों को भी आसानी से सीखा जा सकता है. प्रतिभा श्रृंगी के अनुसार इसमें कई साइंस गैलरीज बनाई जाएंगी. नेचुरल रिसोर्सेज, माउंटेन, एनवायरनमेंट सहित कई गैलरीज यहां होंगी. इसके अलावा फन साइंस गैलरीज भी यहां पर होगी. जिसमें फिजिक्स, जूलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स के मॉडल रहेंगे.

50 आउटडोर व 50 इनडोर में लगेंगे विज्ञान के मॉडलः वर्तमान साइंस सेंटर में करीब 20 के आसपास साइंस के मॉडल स्थापित किए गए हैं. जबकि नए साइंस सेंटर में 50 मॉडल इनडोर रहेंगे. जबकि 50 मॉडल आउटडोर में भी रहेंगे. एक ऑडिटोरियम यहां पर बनाया जाएगा. जिसमें साइंस से जुड़ी हुई फिल्म दिखाई जाएगी. इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनोटेक्नोलॉजी, एस्ट्रोफिजिक्स व बायोटेक्नोलॉजी सहित कई अन्य सब्जेक्ट शामिल हैं. इसके अलावा मिनी तारामंडल भी बनेगा. इस निर्माण के लिए एनसीएसएम दिल्ली आर्किटेक्ट की नियुक्ति करेगा. उसके बाद में राज्य सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और एनसीएसएम के अधिकारी मॉडल्स को तय करेंगे. यह प्रोजेक्ट करीब 3 साल में बनकर पूरा होगा.

प्रदेश के पहले डिजिटल प्लेनेटोरियम में असल तारामंडल जैसा होगा नजारा

कोटा. शहर के इंस्ट्रूमेंट लिमिटेड के आवासीय परिसर में करीब 2 करोड़ की लागत से कोटा सिटी पार्क ऑक्सीजोन का निर्माण हुआ. विद्यार्थियों को विज्ञान और तकनीक समझाने के लिए कई प्रयोग भी इसमें किए गए हैं. इसी के साथ साइंस सेंटर का निर्माण भी पार्क के एरिया पर ही किया जा रहा है. जिसमें होटल कंट्री इन के नजदीक वाले एरिया में 5 एकड़ जमीन पर साइंस सेंटर का निर्माण होगा. यह साइंस सेंटर करीब 35 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार होगा. जहां पर प्रदेश का पहला डिजिटल प्लेनेटोरियम बनेगा. इसमें विद्यार्थी 3डी रूप में खगोलीय घटनाओं और तारामंडल को ठीक से समझ सकेंगे.

यह एक तरह से ऑडिटोरियम की तरह होगा. जिसमें 80 से 85 सीटिंग कैपेसिटी होगी. साथ ही साउंड और दूसरे कई तरह के सिस्टम यहां पर लगाए जाएंगे. केंद्र में विज्ञान के कठिन सिद्धांतों को सरलता से समझाने के लिए फन साइंस व थीमेटिक गैलरीज का निर्माण होगा. आउटडोर एवं इंडोर मॉडल्स की स्थापना होगी. भारत के वैज्ञानिकों के बारे में जानकारी उपलब्ध रहेगी. यहां एक ऑडिटोरियम भी बनेगा, जिसमें 3डी शो होंगे.

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राज्य सरकार जारी कर चुकी है 20 करोड़ः साइंस सेंटर और डिजिटल प्लेनेटोरियम का निर्माण करीब 35 करोड़ की लागत से बनेगा. इसके तहत 22.25 करोड में साइंस सेंटर बनेगा. 12.50 करोड़ रुपए में डिजिटल प्लेनेटोरियम बनेगा. इसमें राज्य और केंद्र दोनों की राशि लगेगी. इसके लिए राज्य सरकार ने 7.40 करोड़ रुपए डिजिटल प्लेनेटोरियम के लिए जारी कर दिए हैं. वहीं इससे पहले 12.67 करोड़ रुपए मार्च 2023 में साइंस सेंटर के लिए जारी किए गए थे. ऐसे में राज्य सरकार अब तक 20 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है. शेष बची हुई राशि 15 करोड़ केंद्र सरकार दे रही है.

पढ़ें: जयपुर के बिरला तारामंडल में नहीं दिखाया जाएगा सूर्य ग्रहण, ये है वजह

देख सकेंगे तारामंडल का पूरा कामः यह प्लेनेटोरियम एक ऐसी जगह होती है, जहां पर खगोलीय घटनाओं को देख सकते हैं. इसमें दर्शकों को नीचे बैठा दिया जाता है. बैठे हुए दर्शक सीलिंग पर स्टार्स और गृहों की मूवमेंट को आसानी से देख सकते हैं. इसी तरह से अंतरिक्ष के बारे में कुछ फिल्में भी दिखाई जाती हैं. जिससे उन्हें पूरे तारामंडल का ज्ञान मिलता है. साइंस सेंटर के लिए नगर विकास न्यास ने लैंड अलॉट कर दी है. इसकी रजिस्ट्री का काम इसी महीने में करवाया जाएगा. बिल्डिंग का नक्शा और डिजाइन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम और राज्य सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अनुसार तय होगा.

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खेल-खेल में सीख सकेंगे विज्ञानः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सहायक निदेशक प्रतिभा श्रृंगी का कहना है कि केंद्र और राजस्थान सरकार का संयुक्त प्रोजेक्ट है. यह निर्माण नेशनल काउंसिल आफ साइंस म्यूजियम करेगी. साइंस के ऐसे मॉडल यहां बनाए जाएंगे, जिससे बच्चे आसानी से प्रयोग करके विज्ञान के सिद्धांतों को सीख सकते हैं. इनमें गति, ऊर्जा व चुंबकीय सिद्धांत शामिल हैं. इसमें गतिज व स्थगित ऊर्जा, टॉर्नेटो कैसे बनते हैं. साउंड व इंफारेड कैसे काम करता है. प्रकाश के अपवर्तन व परावर्तन कैसे होते हैं. इन सब सिद्धांतों को भी आसानी से सीखा जा सकता है. प्रतिभा श्रृंगी के अनुसार इसमें कई साइंस गैलरीज बनाई जाएंगी. नेचुरल रिसोर्सेज, माउंटेन, एनवायरनमेंट सहित कई गैलरीज यहां होंगी. इसके अलावा फन साइंस गैलरीज भी यहां पर होगी. जिसमें फिजिक्स, जूलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स के मॉडल रहेंगे.

50 आउटडोर व 50 इनडोर में लगेंगे विज्ञान के मॉडलः वर्तमान साइंस सेंटर में करीब 20 के आसपास साइंस के मॉडल स्थापित किए गए हैं. जबकि नए साइंस सेंटर में 50 मॉडल इनडोर रहेंगे. जबकि 50 मॉडल आउटडोर में भी रहेंगे. एक ऑडिटोरियम यहां पर बनाया जाएगा. जिसमें साइंस से जुड़ी हुई फिल्म दिखाई जाएगी. इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनोटेक्नोलॉजी, एस्ट्रोफिजिक्स व बायोटेक्नोलॉजी सहित कई अन्य सब्जेक्ट शामिल हैं. इसके अलावा मिनी तारामंडल भी बनेगा. इस निर्माण के लिए एनसीएसएम दिल्ली आर्किटेक्ट की नियुक्ति करेगा. उसके बाद में राज्य सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और एनसीएसएम के अधिकारी मॉडल्स को तय करेंगे. यह प्रोजेक्ट करीब 3 साल में बनकर पूरा होगा.

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