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कोटा के म्यूजियम में है मां लक्ष्मी की अदभुत पेंटिंग, सोना-चांदी से जड़ित तस्वीर की यह है खासियत

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 11, 2023, 7:32 PM IST

दीपावली के मौके पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मां लक्ष्मी की आराधना से जुड़े इस पर्व पर आज हम आपको एक ऐसी पेंटिग के बारे में बता रहे हैं, जो अपने आप में अदभुत है. मां लक्ष्मी की ये पेंटिंग सोने-चादी से जड़ित है.

Deepawali 2023
मां लक्ष्मी की अदभुत पेंटिंग

कोटा. दीपावली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा हर घर में होती है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का काफी विशेष महत्व है. दीपावली के इस मौके पर आज हम आपको कोटा के गढ़ पैलेस स्थित राव माधो सिंह म्यूजियम में रखी मां लक्ष्मी की एक ऐसी अनूठी पेंटिंग के बारे में बता रहे हैं, जो कि सोने और चांदी से जड़ित है. यह पेंटिंग करीब 125 से 150 साल पुरानी है.

इस संग्रहालय का संचालन राव माधो सिंह म्यूजियम ट्रस्ट करता है. म्यूजियम के क्यूरेटर पंडित आशुतोष दाधीच से बताया कि स्वर्ण रजत जड़ित मां लक्ष्मी की यह पेंटिंग राजा रवि वर्मा की पेंटिंग की प्रतिकृति है. जिसको कोटा रियासत के कलाकारों ने आभूषण और वस्त्र से अलंकृत किया है.

पढ़ें:Diwali 2023 : कांच जैसी इस मिठाई का लक्ष्मी पूजन में है विशेष महत्व, बच्चे से बुजुर्ग तक की है फेवरेट

वस्त्र और आभूषणों को किया है स्वर्ण रजत जड़ितः पंडित आशुतोष दाधीच ने बताया पेंटिंग में जल के बीच में कमल पर लक्ष्मी माता विराजित हैं. पेंटिंग में माता लक्ष्मी सीधी खड़ी हैं और पास में एक हाथी भी सूंड में माला लेकर खड़ा है. इस पेंटिंग में साड़ी पर जगह-जगह पर सोने और चांदी को जड़ा हुआ है. उन्होंने बताया कि राजा रवि वर्मा ने केवल पेंटिंग बनाई थी, लेकिन इसमें वस्त्र और सोने चांदी का वर्क कोटा रियासत के कलाकारों ने राज परिवार की देखरेख में किया था. जिसमें मुकुट से लेकर साड़ी और आभूषणों में भी स्वर्ण व रजत जड़ा हुआ है. कोटा के कलाकारों ने इसको ड्रेस अप किया है. उन्होंने बताया कि इसमें असली वस्त्र उन्हें पहनाया गया है. साथ ही श्रृंगार भी किया हैं. इसमें कानों में बाली के साथ ही जो भी जेवर पहनाए गए हैं, उन्हें कोटा के कलाकारों ने स्वर्ण से अलंकृत किया है.

राजा रवि वर्मा की पेंटिंग की है प्रतिकृतिः पंडित आशुतोष दाधीच ने बताया कि मां लक्ष्मी की यह पेंटिंग राजा रवि वर्मा की पेंटिंग की प्रतिकृति है. यह करीब 125 से 150 साल पुरानी है. राजा रवि वर्मा केरल के रहने वाले थे. तिरुवंतपुरम रियासत के समय उन्होंने पेंटिंग बनाना शुरू किया था, ज्यादातर उन्होंने देवी देवताओं की ही पेंटिंग बनाई है. वे भारत के विख्यात चित्रकार रहे हैं. एक रियासत के वे राजा भी रहे हैं, लेकिन उन्होंने केवल इस पेंटिंग को तैयार किया था, इसमें सोने-चांदी को जड़ने का काम कोटा रियासत के कारीगरों ने किया है.

महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय की पेंटिंगः पंडित आशुतोष दाधीच का कहना है कि राजा रवि वर्मा की पेंटिंग बहुत मिल जाएंगी, लेकिन इस तरह से वस्त्र और आभूषणों से अलंकृत नहीं मिलेगी. महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय यह पेंटिंग कोटा रियासत में लाई गई थी. इसलिए यह पेंटिंग अब राज परिवार ने राव माधो सिंह म्यूजियम ट्रस्ट को सौंप दी है.

पढ़ें:Diwali 2023 : ये पटाखे हैं 'खास', इन्हें जलाया नहीं, बल्कि खाया जाता है, यहां जानें क्रैकर स्वीट्स की खासियत

नहीं है इस तरह की मां लक्ष्मी की दूसरी पेंटिंगः इस पेंटिंग को वस्त्र और आभूषणों से अलंकृत कर जीवंत किया गया है. यह अपनी तरह की एकमात्र पेंटिंग है. पंडित आशुतोष दाधीच ने दावा किया है कि इस तरह की दूसरी पेंटिंग नहीं है. रवि वर्मा काफी विख्यात कलाकार रहे हैं. उनका पूरा फोकस देवी देवताओं पर ही था. उन्होंने सरस्वती, लक्ष्मीजी, भगवान राम, सीता, श्री कृष्ण सहित कई पेंटिंग बनाई है. यह राजा रवि वर्मा की प्रतिकृति महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय में ही लाया गया था.

पूजन में नहीं किया जाता प्रयोगः इस पेंटिंग का प्रयोग पूजन में नहीं किया जाता है. इसे संग्रहालय में सहेजकर रखा हुआ है. इसका समय समय पर रख रखाव किया जाता है. वर्तमान में इस पेंटिंग को स्टैंड बनाकर दीवार पर लटकाया गया है. जिससे म्यूजियम में आने वाले लोग देख सकते हैं.

कोटा. दीपावली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा हर घर में होती है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का काफी विशेष महत्व है. दीपावली के इस मौके पर आज हम आपको कोटा के गढ़ पैलेस स्थित राव माधो सिंह म्यूजियम में रखी मां लक्ष्मी की एक ऐसी अनूठी पेंटिंग के बारे में बता रहे हैं, जो कि सोने और चांदी से जड़ित है. यह पेंटिंग करीब 125 से 150 साल पुरानी है.

इस संग्रहालय का संचालन राव माधो सिंह म्यूजियम ट्रस्ट करता है. म्यूजियम के क्यूरेटर पंडित आशुतोष दाधीच से बताया कि स्वर्ण रजत जड़ित मां लक्ष्मी की यह पेंटिंग राजा रवि वर्मा की पेंटिंग की प्रतिकृति है. जिसको कोटा रियासत के कलाकारों ने आभूषण और वस्त्र से अलंकृत किया है.

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वस्त्र और आभूषणों को किया है स्वर्ण रजत जड़ितः पंडित आशुतोष दाधीच ने बताया पेंटिंग में जल के बीच में कमल पर लक्ष्मी माता विराजित हैं. पेंटिंग में माता लक्ष्मी सीधी खड़ी हैं और पास में एक हाथी भी सूंड में माला लेकर खड़ा है. इस पेंटिंग में साड़ी पर जगह-जगह पर सोने और चांदी को जड़ा हुआ है. उन्होंने बताया कि राजा रवि वर्मा ने केवल पेंटिंग बनाई थी, लेकिन इसमें वस्त्र और सोने चांदी का वर्क कोटा रियासत के कलाकारों ने राज परिवार की देखरेख में किया था. जिसमें मुकुट से लेकर साड़ी और आभूषणों में भी स्वर्ण व रजत जड़ा हुआ है. कोटा के कलाकारों ने इसको ड्रेस अप किया है. उन्होंने बताया कि इसमें असली वस्त्र उन्हें पहनाया गया है. साथ ही श्रृंगार भी किया हैं. इसमें कानों में बाली के साथ ही जो भी जेवर पहनाए गए हैं, उन्हें कोटा के कलाकारों ने स्वर्ण से अलंकृत किया है.

राजा रवि वर्मा की पेंटिंग की है प्रतिकृतिः पंडित आशुतोष दाधीच ने बताया कि मां लक्ष्मी की यह पेंटिंग राजा रवि वर्मा की पेंटिंग की प्रतिकृति है. यह करीब 125 से 150 साल पुरानी है. राजा रवि वर्मा केरल के रहने वाले थे. तिरुवंतपुरम रियासत के समय उन्होंने पेंटिंग बनाना शुरू किया था, ज्यादातर उन्होंने देवी देवताओं की ही पेंटिंग बनाई है. वे भारत के विख्यात चित्रकार रहे हैं. एक रियासत के वे राजा भी रहे हैं, लेकिन उन्होंने केवल इस पेंटिंग को तैयार किया था, इसमें सोने-चांदी को जड़ने का काम कोटा रियासत के कारीगरों ने किया है.

महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय की पेंटिंगः पंडित आशुतोष दाधीच का कहना है कि राजा रवि वर्मा की पेंटिंग बहुत मिल जाएंगी, लेकिन इस तरह से वस्त्र और आभूषणों से अलंकृत नहीं मिलेगी. महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय यह पेंटिंग कोटा रियासत में लाई गई थी. इसलिए यह पेंटिंग अब राज परिवार ने राव माधो सिंह म्यूजियम ट्रस्ट को सौंप दी है.

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नहीं है इस तरह की मां लक्ष्मी की दूसरी पेंटिंगः इस पेंटिंग को वस्त्र और आभूषणों से अलंकृत कर जीवंत किया गया है. यह अपनी तरह की एकमात्र पेंटिंग है. पंडित आशुतोष दाधीच ने दावा किया है कि इस तरह की दूसरी पेंटिंग नहीं है. रवि वर्मा काफी विख्यात कलाकार रहे हैं. उनका पूरा फोकस देवी देवताओं पर ही था. उन्होंने सरस्वती, लक्ष्मीजी, भगवान राम, सीता, श्री कृष्ण सहित कई पेंटिंग बनाई है. यह राजा रवि वर्मा की प्रतिकृति महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय में ही लाया गया था.

पूजन में नहीं किया जाता प्रयोगः इस पेंटिंग का प्रयोग पूजन में नहीं किया जाता है. इसे संग्रहालय में सहेजकर रखा हुआ है. इसका समय समय पर रख रखाव किया जाता है. वर्तमान में इस पेंटिंग को स्टैंड बनाकर दीवार पर लटकाया गया है. जिससे म्यूजियम में आने वाले लोग देख सकते हैं.

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